ग्रीन एनर्जी हब बनने की ओर अग्रसर भारत
सांची बनेगा देश का दूसरी सोलर सिटी
पूरी दुनिया पर्यावरण संबंधित समस्याओं से लगातार जूझ रही है। दरअसल, अधिक मात्रा में हो रहे कार्बन उत्सर्जन के कारण पृथ्वी का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे तमाम तरह की समस्याएं आ रही हैं। भविष्य में ग्लोबल वार्मिंग की वजह से उत्पन्न समस्याओं से निपटने के लिए विकल्प के रूप में हरित ऊर्जा को प्राथमिकता दी जा रही है। जीरो कार्बन उत्सर्जन सुनिश्चित करने और पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण पहल करते हुए केंद्र सरकार सोलर पावर के विकास और विस्तार पर खास ध्यान दे रही है। इस क्रम में मध्य प्रदेश का विश्व विख्यात सिटी सांची देश की दूसरी सोलर सिटी बनने जा रहा है। आज देश में सोलर पावर के विस्तार और लोगों के बीच पहुंच सुनिश्चित करने के लिए कई तरह की योजनाएं चल रही हैं।
सांची बनेगा देश का दूसरा सोलर सिटी
सरकार ने हरित ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से विस्तार देने के लिए प्रयासरत है। इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए विश्व विख्यात सांची देश की दूसरी सोलर सिटी बनने जा रहा है। इसके तहत सौर ऊर्जा से 7.3 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा। सोलर सिटी बनने के बाद सांची की बिजली से जरूरत की पूर्ति सौर ऊर्जा से ही होगी। सोलर सिटी बनने से बिजली आपूर्ति में आत्मनिर्भर होने के साथ ही सांची की अगले पांच वर्षों की बिजली की आवश्यकताओं की पूर्ति सौर ऊर्जा से सुनिश्चित रहेगी। ओडिशा का कोणार्क पहला शहर जिसे पूरी तरह सोलर सिटी बनाया जा रहा है।
सांची है वर्ल्ड हेरिटेज साइट
दरअसल, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से महज 48 किमी दूर सांची वर्ल्ड हेरिटेज साइट है। दुनियाभर से यहां पर्यटक आते हैं। जिसे अब सौर ऊर्जा से संचालित करने से एक नई और अलग पहचान मिलेगी। इसके साथ ही ओडिशा का कोणार्क पहला शहर जिसे पूरी तरह सोलर सिटी बनाया जा रहा है के बाद सांची ही देश का वह दूसरा शहर होगा जोकि पूरी तरह से सौर ऊर्जा पर निर्भर रहेगा ।
केंद्र सरकार की योजना से हो रहा तैयार
केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा प्रत्येक राज्य में एक शहर को सोलर सिटी के रूप में विकसित करने की योजना बनाई गई है। पर्यटन को ध्यान में रखते हुए सांची को सोलर सिटी के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया है, जिसके बाद से अब सांची सोलर सिटी योजना के तहत इस प्रमुख पर्यटन केन्द्र में 12 तकनीकी संस्थानों को ऑफ-ग्रिड सोलर प्लांट से संचालित किए जाने के लिए जोड़ा जा रहा है। इसके लिए आंगनवाड़ी भवनों को सौर ऊर्जा से ऊर्जीकृत किया जा रहा है। सांची ग्रिड सिस्टम में छह हजार किलोवाट क्षमता का सोलर सिस्टम लगाने की तैयारी है।
अर्थव्यवस्था के साथ पर्यटन में भी होगी वृद्धि
परियोजना में सांची के प्रत्येक घर, कृषि और उद्योग को सोलर सिस्टम से जोड़ा जा रहा है। इससे बिजली का बिल, प्रदूषण, सरकारी सब्सिडी की आवश्यकता में कमी आने के साथ स्थानीय अर्थ-व्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा और सांची के पर्यटन महत्व में भी वृद्धि होगी। साथ ही, सौर स्ट्रीट लाइट, गार्डन लाइट, स्टड लाइट, हाई-मास्ट लाइट, सौर पेयजल कियोस्क, लोक परिवहन के लिए बेटरी चलित ई-रिक्शा, चार्जिंग स्टेशन, अक्षय ऊर्जा आधारित संयंत्र विंड टर्बाइन और पिजो इलेक्ट्रिक जनरेटर्स स्थापित किए जा रहे हैं । इसी क्रम में मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी द्वारा सांची में ग्रीन इनर्जी को बढ़ावा देने के साथ-साथ सोलर रूफटॉप लगाने के लिए आमजन को प्रेरणा देने के कार्यक्रम भी संचालित हैं।
तैयार हो रहा सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्लांट
केंद्र सरकार के प्रयास से विगत सात-आठ साल में सोलर पावर के विकास में तेजी से काम हुए हैं। हरित ऊर्जा के क्षेत्र में बढ़ते प्रयास से आज रामागुंडम, तेलंगाना में 100 मेगावाट की क्षमता के साथ भारत का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर पावर प्रोजेक्ट व्यावसायिक उपयोग के लिए शुरू हो गया है। रामागुंडम में 100 मेगावाट का फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट उन्नत तकनीक के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल है। परियोजना 40 सेगमेंट्स में विभाजित हैं और इनमें से प्रत्येक की क्षमता 2.5 मेगावाट है। यह परियोजना नेशनल सोलर मिशन के तत्वाधान में 423 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हो रही है जो जलाशय के 500 एकड़ क्षेत्र में फैली हुई है।
नेशनल सोलर मिशन राष्ट्रीय कार्ययोजना में शामिल
सौर ऊर्जा भारत के जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्ययोजना में शामिल है जिसमें नेशनल सोलर मिशन का अहम योगदान है। इसका उद्देश्य फॉसिल आधारित ऊर्जा विकल्पों के साथ सौर ऊर्जा को प्रतिस्पर्धी बनाने के उद्देश्य सहित बिजली उत्पादन एवं अन्य उपयोगों के लिए सौर ऊर्जा के विकास एवं उपयोग को बढ़ावा देना है। नेशनल सोलर मिशन के माध्यम से सौर ऊर्जा के लिए उपयुक्त अवयवों और उत्पादों के घरेलू उत्पादन के माध्यम से देश में सौर ऊर्जा उत्पादन की लागत को कम करना है। सौर ऊर्जा उत्पादन की लागत को कम करने और पूरे विश्व की ऊर्जा समस्यां को एक सामूहिक विकल्प देने के लिए पीएम मोदी ने इंटरनेशनल सोलर अलायंस बनाने की एक बड़ी पहल की है।
ऊर्जा विकल्प स्थापित कर रहा ISA
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance- ISA) की घोषणा पीएम मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति द्वारा वर्ष 2015 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन के 21वें सत्र (COP-21) में फ्रांस के पेरिस में की गई थी। ISA एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसका प्राथमिक कार्य सौर प्रौद्योगिकी की लागत को कम करके दुनियाभर में सौर विकास को पहुंचाना है। ISA सौर ऊर्जा को एक समाधान के रूप में स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है जो एक साथ सभी भौगोलिक क्षेत्रों में जलवायु, ऊर्जा और आर्थिक प्राथमिकताओं पर गौर करते हुए वैश्विक स्तर पर सौर ऊर्जा की सुविधा सुनिश्चित करता है। इसके साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर देशों की मदद करते हुए एक आत्मनिर्भर ऊर्जा विकल्प स्थापित करने में मदद करता है।
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