अयोध्यालाइव : राम की संस्कृति जहां भी गई, मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती रहीः सीएम योगी
मुख्यमंत्री ने किया 41वें रामायण मेले का उद्घाटन
रामायण मेले पर आधारित पुस्तिका ‘तुलसी दल’ का किया विमोचन
अयोध्या । दीपोत्सव में थाईलैंड, इंडोनेशिया, रूस, ताइवान, श्रीलंका, नेपाल, भूटान समेत कई देशों की रामलीलाओं का मंचन होता है। राम की संस्कृति दुनिया में जहां भी गई, मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती रही। राम का नाम ही मंत्र है, जो जिस रूप में लेगा, उसे वैसा ही फल मिलेगा। जन्मभूमि पर सत्ताधारी कुछ भी दावा करते रहे हों पर जब भगवान राम ने चाहा तो लाखों कारसेवक आ जाते थे और अपना काम करके चले जाते थे। लोगों की धमकी कुछ नहीं कर पाई, कारसेवकों का संघर्ष रंग दिखाया। जो लोगों के लिए असंभव था, भगवान श्रीराम ने पीएम मोदी से वह कार्य संभव करा दिया। अब अयोध्या को सजाने-संवारने की जिम्मेदारी हमारी है।
यह बातें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहीं। उन्होंने रामकथा पार्क में 41वें रामायण मेले का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री व श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास जी महाराज ने रामायण मेले पर आधारित पुस्तिका ‘तुलसी दल’ का विमोचन भी किया।
गोरक्षपीठाधीश्वर ने कहा कि विवाह पंचमी से लेकर 4 दिन का रामायण मेला 40 वर्षों से यहां हो रहा है। ऐसे सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजन ने जिस ऊर्जा का संचार किया, उसी की परिणीति है कि 500 वर्ष का इंतजार समाप्त हुआ और राम मंदिर का निर्माण प्रारंभ हो चुका है। यह समूचे देशवासियों व दुनिया के सनातनधर्मियों, पीड़ित व प्रताड़ितों के लिए प्रेरणा व गौरव की बात है। इस वर्ष दीपोत्सव में स्वयं पीएम आए थे। वैश्विक स्तर पर दीपोत्सव को जैसी मान्यता मिली, वह बरबस ही नई अयोध्या की तरफ ध्यान आकर्षित करता है।
सीएम ने कहा कि 2018 में विवाह पंचमी पर मैंने जनकपुर में मां जानकी मंदिर में दर्शन किया था। यह नजदीक से जानने को मिला कि नेपाल व भारत के बीच मां जानकी कैसे सेतु का काम कर रही हैं। उस समय रावण के आतंक से आर्यव्रत के दो माध्यम को जोड़ने के कारक अयोध्या व जनकपुर बने ही थे, वर्तमान में भारत-नेपाल के सांस्कृतिक संबंधों को जोड़ने के सशक्त माध्यम बन चुके हैं। सांस्कृतिक संबंध नई ऊंचाइयों को प्राप्त हों। यह दायित्व संतों को लेना होगा।
हम प्राचीन परंपरा के वारिस हैं
सीएम ने कहा कि राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान तमाम भ्रांति फैलाई थी, लेकिन पुरानी स्मृतियों में अयोध्या का उल्लेख मिलता है। तुलसीदास ने कितने अच्छे शब्दों में अयोध्या व मां सरयू का गान किया है। हम कितनी प्राचीन परंपरा के वारिस हैं, किस विरासत के वाहक हैं। फिर भी संकोच करते हैं। 5 वर्षों में आपने भी बदलती अयोध्या को देखा है। दीपोत्सव पर अयोध्या सबसे सुंदरतम नगरी के रूप में जगमगाती दिखती है। सूर्य वंश की राजधानी के रूप में गौरव को प्रतिस्थापित करती दिखती है। आज नई अयोध्या हमारे सामने है। रामचरित मानस व पवित्र ग्रंथों में अयोध्या का महिमा गान जिस रूप में है, उसी रूप में बढ़ाना होगा। सरकारें पैसा दे सकती हैं पर वह समय व समान रूप से खर्च हो। इसके लिए हम क्या प्रयास कर सकते हैं। यदि हम भी हर कार्य से जुड़ जाएं तो अयोध्या को सबसे सुंदरतम नगरी के रूप में स्थापित कर देंगे। दो वर्ष में यह कार्य पूरा होना है। यहां एयरपोर्ट बनने जा रहा। सड़कों की कनेक्टिविटी दे रहे। अंदर की सड़कें चौड़ी करेंगे। मठ-मंदिरों के सुंदरीकरण व कुंडों का पुनरुद्धार करेंगे। अयोध्या के प्रति हम सभी की जिम्मेदारी है।
जीवों के कल्याण का मार्ग दिखाती है रामायण