सम्पूर्ण भोजन के साथ अपने बच्चे का पूर्ण विकास सुनिश्चित करें : आचार्य डॉक्टर आरपी पांडे
आपके बच्चे को पहले 6 महीनों के बाद अधिक ऊर्जा और पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। जिसके लिए केवल स्तनपान ही पर्याप्त नहीं है।
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पूर्ण पोषण क्या है
6 महीने की उम्र में, एक शिशु की ऊर्जा और पोषक तत्वों की आवश्यकता माँ के दूध से अधिक होने लगती है, और उन जरूरतों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त भोजन की आवश्यकता होती है और इसे ही पूर्ण पोषण कहा जाता है। इस उम्र के शिशु का पेट ठोस भोजन के लिए विकसित होता है।
यदि 6 महीने की उम्र में पूरक आहार नहीं दिया जाए, या उन्हें अनुचित तरीके से दिया जाए, तो शिशु के विकास में बाधा आ सकती है।
आवश्यकता
प्रारंभिक बचपन के दौरान उचित पोषण बच्चों के स्वास्थ्य, तथा शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आवश्यक है।
शिशु की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि पूर्ण पोषण:
उचित समय पे दी जाए –
यानी जब ऊर्जा और पोषक तत्वों की आवश्यकता माँ के दूध के माध्यम से ना मिल पाए।
सही मत्रा में हो –
यानि वह बढ़ते बच्चे की पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा, प्रोटीन और पोषक तत्व प्रदान करे।
सुरक्षित हो –
वे स्वच्छ रूप से इकट्ठा और तैयार किए जाए, और साफ बर्तनों का उपयोग करके साफ हाथों से खिलाया जाए।
अच्छे से खिलाया जाऐ
बच्चे की भूख के हिसाब से दिया जाए, और यह कि भोजन शिशु की उम्र के लिए उपयुक्त हो।
स्वस्थ भोजन समूह
प्रत्येक खाद्य समूह में विभिन्न पोषक तत्व होते हैं, जो आपके बच्चे के शारीरिक एवम् बौद्धिक विकास के लिए आवश्यक होते हैं । इसलिए यह जरूरी है की हम इन समूहों में से कुछ चुने भोजन अपने शिशु को खिलाते रहे।
डेयरी:
लगभग छह महीने की उम्र से डेयरी खाद्य पदार्थ दिए जा सकते हैं। लगभग 12 महीने की उम्र तक मां का दूध या शिशु फार्मूला शिशु का मुख्य पेय होता है।
सब्जियां:
सब्जियां बच्चों को ऊर्जा और विटामिन देती हैं। आप अलग-अलग प्रकार और स्वाद की ताजी पकि सब्जियां चुन सकते हैं। जैसे गाजर, मटर, आलू।
फल:
फल बच्चन में फाइबर और पानी की कमी नहीं होने देते हैं। इसिलिए यावश्यक है की आप अपने शिशु को हलके मसले हुए फल खिलाते रहे जैसे केला, सेब, नाशपाती, आड़ू, खरबूज और चीकू।
अनाज:
चावल, दाल, मक्का, जई और जौ जैसे अनाज बच्चों को वह ऊर्जा देते हैं जो उन्हें विकसित करने और सीखने की क्षमता को सुनिश्चित के लिए जरूरी हैं।
प्रोटीन:
प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों में मछली, मांस, अंडे, बीन्स, दाल, छोले, पनीर और नट्स शामिल हैं। ये खाद्य पदार्थ आपके बच्चे की मांसपेशियों के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।
शिशु आहार के तीन चरण
प्रथम चरण : पहले 6 महीने
पिसे हुए फल और सब्ज़ियां
चावल, दाल जैसे एकल अनाज के छाने हुए सूप
दूसरा चरण : 6-9 महीने
मसला हुआ भोजन एवं शिशु आहार
अनाज जैसे जौ और ओट्स
तीसरा चरण : 10-12 महीने
नरम, चबाने योग्य भोजन के टुकड़े
गाय का दूध
कुछ मिथक और तथ्य
मिथक
बच्चे की मजबूत हड्डियों के विकास के लिए दूध अनिवार्य है
तथ्य
हालांकि 6 महीने या उससे कम उम्र के बच्चे के लिए मां का दूध सबसे अच्छा भोजन है और मजबूत हड्डियों के लिए दूध जरूरी है। हालांकि, अगर आपका बच्चा दूध नहीं पीना चाहता है, तो परेशान न हों! वे अभी भी अन्य स्रोतों से कैल्शियम की अपनी आवश्यक खुराक प्राप्त कर सकते हैं।
मिथक
वह खाना न दें जो आपके बच्चे को एक बार में पसंद न आया हो
तथ्य
जब खाने की बात आती है तो शिशु हर दिन नए स्वाद का अनुभव करते हैं। हालांकि, आपका बच्चा जिस भोजन से नफरत करता है, उसे खत्म करके, आप उसे आवश्यक पोषक तत्वों से वंचित कर सकते हैं। जब तक आपका बच्चा इसे पसंद नहीं करता तब तक विभिन्न तरीकों से भोजन परोसने का प्रयास करें।
मिथक
छोटे बच्चों को सिर्फ सादा खाना ही देना चाहिए
तथ्य
माता-पिता अक्सर अपने बच्चों के लिए अनाज और सूप जैसे आजमाए हुए और भरोसेमंद नरम खाद्य पदार्थ चुनते हैं। यह पूरी तरह से सही नहीं है! माता-पिता अपने बच्चों को जीरा या करी पत्ते जैसे मसालों के साथ हल्का स्वाद वाला भोजन दे सकते हैं। आपके बच्चे का आहार पोषक तत्वों से भरपूर होना चाहिए और इसमें स्थानीय और मौसमी भोजन भी शामिल होना चाहिए।
मिथक
जूस आपके बच्चे के लिए स्वस्थ है
तथ्य
यह पूरी तरह से सच नहीं है! जैसे ही आप किसी फल से रस बनाते हैं, कुछ आवश्यक पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। अपने बच्चे को ताजे और मौसमी फलों के टुकड़े देना बेहतर है। रेडीमेड फलों के रस में अतिरिक्त चीनी हो सकती है जो आपके बच्चे के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
हालाँकि, अपने बच्चे को पूरा फल खाने के लिए प्रोत्साहित करें। अगर जूस देना ही है तो ताजा निचोड़ा दे
आटे की खिचड़ी
एक कटोरी मैं गेहूं का आटा लें और धीरे-धीरे गरम पानी मिलाएं और साथ ही साथ चम्मच से मिलाते रहें। ध्यान रखें की पानी जल्दी मिलाने पर आटा चिपक सकता है।
इस घोल को अब हल्की आंच पे तब तक पकाएं जब तक ये घोल गाढ़ा नहीं हो जाता। अब इसे चूल्हे से उतारें और कम से कम 5 मिनट के लिए ठंडा होने दें। अगर आपको कोई फल मिलाना हो तो उसे मसल के इस घोल में मिला दें। अच्छे से मिला के इस गोल को पूरी तरह ठंडा होने दें।
आपके शिशु के लिए आटे की खिचड़ी तैयार है।
गाजर और खरबूजे का जूस
गाजर और खरबूजे का जूस आपके शिशु के रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण श्रोत है। खरबूजे में विटामिन सी के साथ गाजर में मौजूद विटामिन ए इम्युनिटी बनाने में मदद करता है और आपके बच्चे के लिए संक्रमण को दूर रखता है