संत अपने नहीं, देश व समाज के बारे में सोचता है: सीएम
मां पाटेश्वरी शक्तिपीठ मंदिर तुलसीपुर देवीपाटन में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ में पहुंचे मुख्यमंत्री
लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि संत का स्वभाव लोक कल्याणकारी होता है, वह अपने नहीं, देश व समाज के बारे में सोचता है। समाज को वह दिशा देता है। अपने बारे में सोचने वाला व्यक्ति कभी संत नहीं हो सकता। मनुष्य भी अपने लिए सोचता है तो स्वार्थी और लोक कल्याण के लिए सोचने वाला परमार्थी कहलाता है। अपने लिए सोचने वाले व्यक्ति कभी समाज के लिए अनुकरणीय नहीं हो सकता।
सीएम मंगलवार को मां पाटेश्वरी शक्तिपीठ मंदिर देवीपाटन के गुरु गोरक्षनाथ मंडपम में आयोजित ब्रह्मलीन महंत योगी महेंद्र नाथ महाराज की 22वीं पुण्यतिथि पर चल रहे श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ व श्रद्धांजलि सभा में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि महंत महेंद्र नाथ द्वारा यहां की गई साधना व लोककल्याण कारी कार्यक्रमों के लिए कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं।
सीएम ने कहा कि 10- 11 वर्षों तक महेंद्र नाथ जी को इस पीठ पर मां की सेवा का अवसर मिला। उन्होंने पूज्य महंत अवेद्यनाथ जी के मार्गदर्शन में लोककल्याणकारी प्रवृत्ति, सकारात्मक सोच, समग्र विकास की रूपरेखा तैयार की।
धर्मस्थल राष्ट्रीय एकता का संदेश भी देते हैं
मुख्यमंत्री ने कहा कि मां पाटेश्वरी का यह पीठ आदिपीठ है। मान्यता है कि यहां दक्ष प्रजापति के यज्ञ के फलस्वरूप सती के अंग जिन 51 स्थलों पर धरती पर गिरे थे, यहां मां का पट सहित वाम स्कंद यहां गिरने के कारण यह मां पाटेश्वरी के धाम के रूप में कहलाया था। गुरु गोरक्षनाथ ने यहां माँ के विग्रह को स्थापित किया था। यहां पहले पिंडी के रूप और बाद में गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज ने यहां मां पाटेश्वरी के भव्य विग्रह की स्थापना कराई थी। कालांतर में यहां नवदुर्गा की मूर्तियां भी स्थापित हुई।
आज यहां गोसेवा, धर्मशाला, वनवासी बच्चों के लिए छात्रावास, बच्चों के लिए विद्यालय, चिकित्सालय आदि लोक कल्याणकारी कार्यक्रम चल रहे हैं।
धर्म स्थल सिर्फ उपासना के केंद्र ही नहीं हैं, वे राष्ट्रीय एकता का भी संदेश देते हैं। एकता से परिवार, समाज व देश एक सूत्र में बंधे रहते हैं।
गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ ने कहा कि देवीपाटन शक्तिपीठ आस्था का केंद्र है और भारत-नेपाल की एकता का भी आधार है। यह पीठ दोनों देश के सांस्कृतिक सेतु का माध्यम हो सकता है। चैत्र नवरात्रि में नेपाल से सिद्ध रतन नाथ जी की यात्रा यहां आती है। पंचमी से नवमी तक यहाँ पर हजारों श्रद्धालु देवीपाटन पूजन-अर्चन करने आते हैं।
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