भारत को एकता के सूत्र में पिरोने वाले लौह पुरुष सरदार पटेल को देश कर रहा याद
हमारे देश के इतिहास में ऐसी बहुत कम शख्सियत हुई हैं जिन्हें सभी धर्म, सभी जाति, सभी समुदाय के लोगों का प्यार मिला हो। उन्हीं चुनिंदा शख्सियत में एक शख्स थे लौह पुरुष के नाम से मशहूर ”सरदार वल्लभभाई पटेल”। सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के खेड़ा जिले में हुआ था। देश की आजादी के आंदोलन में अहम भूमिका निभाने के साथ ही देश के एकीकरण में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती पर साल 2014 से 31 अक्टूबर को ‘नेशनल यूनिटी डे’ यानि ‘राष्ट्रीय एकता दिवस’ मनाया जाता है। सरदार पटेल ने अपने छात्र जीवन में लंदन जाकर बैरिस्टर की पढ़ाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे। तभी महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर वे आजादी के आंदोलन में शामिल हो गए।
राष्ट्रीय एकता दिवस पर देशभर में कई कार्यक्रम
स्वतंत्रता के पश्चात भारतीय एकता के प्रतीक, महान स्वतंत्रता सेनानी, देश के पहले उप-प्रधानमंत्री और पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई को आजादी के बाद भारत के एकीकरण में सबसे महत्वपूर्ण योगदान था, इसलिए उन्हें राष्ट्रीय एकता का प्रणेता माना जाता है। सरदार पटेल की जयंती पर देश भर में ‘रन फॉर यूनिटी’ का भी आयोजन किया गया है। कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए गए जिसमें सरदार पटेल की जीवनी, उनके महान व्यक्तित्व, उनके सशक्त विचारों, आजादी, राष्ट्र निर्माण व एकीकरण में उनके योगदान से जनता को रूबरू कराया जा सके। सरदार पटेल की जीवनी व कार्यों एवं दर्शन पर आधारित क्विज, निबंध व भाषण प्रतियोगिता का आयोजन विद्यालयों में करवाया गया।
एकता के सबसे बड़े सूत्रधार थे सरदार पटेल
आजाद हिंदुस्तान के इस महानायक को आखिर कोई कैसे भूल सकता है। वो सरदार पटेल ही थे जिनके अथक प्रयासों से भारत की भूमि के एक-एक टुकड़े को एकता के सूत्र में पिरोया गया। सरदार पटेल ने देश की सभी 565 रियासतों को एकीकृत किया। मुख्य रूप से जूनागढ़ और हैदराबाद दो ऐसी रियासतें थी जहां के राजा भारत में विलय करने को लेकर राजी नहीं हो रहे थे ऐसे मुश्किल समय में सरदार पटेल ने अपने राजनीतिक कौशल और दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर इन दोनों रियासतों को भारत में मिलाया।
संघर्ष से मिली सरदार की उपाधि
महात्मा गांधी से प्रभावित होकर सरदार पटेल ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का रास्ता तो चुन लिया था लेकिन उनके सामने चुनौतियां आसान नहीं थी। स्वतंत्रता आंदोलन में उन्होंने पहला और बड़ा योगदान 1918 में खेड़ा संघर्ष में दिया। उसके बाद उन्होंने 1928 में हुए बारदोली सत्याग्रह में किसान आंदोलन का सफल नेतृत्त्व भी किया। बारदोली सत्याग्रह आंदोलन के सफल होने के बाद वहां की महिलाओं ने वल्लभभाई पटेल को ‘सरदार’ की उपाधि प्रदान की थी। सरदार पटेल स्पष्ट व निर्भीक वक्ता थे। यदि वे कभी गांधी जी व जवाहर लाल नेहरू से असहमत होते तो वे उसे भी साफ कह देते थे। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्हें तीन साल की कैद हुई।
लौह पुरुष के अनमोल विचार
अपने विचारों के प्रति दृढ़ इच्छा रखने वाले सरदार पटेल ने कई ऐसी महत्वपूर्ण बातें कही जिससे भारतीय जनमानस पर आज भी गहरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने भारत भूमि के इस मिट्टी के लिए कहा था कि इस मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवास रहा है।” ऐसे ही उन्होंने कई अन्य महत्वपूर्ण बातें कही थी जैसे “आज हमें ऊंच-नीच, अमीर-गरीब, जाति-पंथ के भेदभावों को समाप्त कर देना चाहिए। “यह कथन आप समझ तक सकते हैं आज के दौर में भी कितना प्रासंगिक है। दो पुरुष ने यह भी कहा था कि “शक्ति के अभाव में विश्वास व्यर्थ है. विश्वास और शक्ति, दोनों किसी महान काम को करने के लिए आवश्यक हैं।” ऐसे ही कई अनमोल विचार सरदार पटेल ने अपने जीवन काल में कही जो आज भी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणादायक है।
राष्ट्रपति, पीएम मोदी समेत देशवासियों ने किया याद
राष्ट्रीय एकता दिवस के मौके पर राजपूती द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पीएम मोदी समेत करोड़ों देशवासियों ने लोह पुरुष सरदार पटेल को श्रद्धांजलि दी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें याद करते हुए लिखा “लौह पुरुष सरदार पटेल की जयंती पर मेरी विनम्र श्रद्धांजलि! वे आधुनिक भारत के शिल्पकार थे और हमारी प्रशासनिक प्रणाली के निर्माता भी। उनकी गणना आधुनिक भारत की विकास-यात्रा के प्रमुख मार्गदर्शकों में होती है। हमारा देश सदैव उनका ऋणी रहेगा।” इसी तरह पीएम मोदी ने भी सरदार पटेल की भव्य प्रतिमा स्टैचू ऑफ यूनिटी में जाकर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित किया।
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