Friday, March 29, 2024
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सहयोगात्मक व सद्भावपूर्ण कार्य संस्कृति से ही विश्वविद्यालय करेगा प्रगतिः कुलपति

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सहयोगात्मक व सद्भावपूर्ण कार्य संस्कृति से ही विश्वविद्यालय करेगा प्रगतिः कुलपति

– प्रो. सुधीर कुमार जैन ने किया सामाजिक विज्ञान संकाय के शिक्षक-शिक्षिकाओं से संवाद

वाराणसी : कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने कहा है कि विश्वविद्यालय के सभी सदस्यों के सद्भाव व सहयोग के साथ काम करने से ही संस्थान आगे बढ़ सकता है तथा सभी संकाय सदस्यों को एक टीम की तरह आगे बढ़ना होगा। कुलपति जी सामाजिक विज्ञान संकाय स्थित एच. एन. त्रिपाठी सभागार में संकाय के शिक्षक, शिक्षिकाओं के साथ संवाद कर रहे थे।

उन्होंने शिक्षकों को नियमित कामकाज व शिक्षण में आने वाली चुनौतियों के बारे में जानकारी ली तथा संभावित समाधानों पर भी चर्चा की। कुलपति जी ने कहा कि विश्वविद्यालय के सुचारु पर प्रभावी कामकाज में शिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, फिर चाहे वह शिक्षण हो, अनुसंधान हो अथवा प्रशासन।

उन्होंने शिक्षक, शिक्षिकाओं का आह्वान किया कि वे विश्वविद्यालय की समस्याओं को सुलझाने के लिए आगे आएं तथा अपने सुझावों व प्रयासों से समाधान करें। प्रो. जैन ने कहा कि समस्याएं व चुनौतियां प्रत्येक संस्थान व व्यवस्था में होती हैं, लेकिन मात्र आलोचना व कमियों पर ध्यान केन्द्रित न करके रचनात्मक योगदान से ही आगे बढ़ा जा सकता है।

कुलपति जी ने कहा कि सामाजिक विज्ञान अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है एवं अनेक अन्य क्षेत्रों जैसे पर्यावरण व धारणीय विकास, कम्प्यूटर साइंस आदि विषयों के साथ जुड़कर ऐसे अध्ययन व अनुसंधान किये जा सकते हैं, जो समाज व आमजन के लिए अत्यंत हितकर हो सकते हैं। कुलपति जी ने अंतर्विषयी अध्ययन व अनुसंधान को समय की ज़रूरत बताते कहा कि बीएचयू के संकाय सदस्यों को इस दिशा में सक्रियता से कार्य करना चाहिए, क्योंकि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय इसके लिए बेजोड़ अवसर व ढांचा उपलब्ध कराता है।

कुलपति जी ने कहा कि विश्वविद्यालय में आवश्यकतानुसार कक्षाओं की उपलब्धता, एक सुचारू व सरल प्रशासनिक व्यवस्था तथा विद्यार्थियों व संकाय सदस्यों के लिए बेहतर अवसर व सुविधाएं सुनिश्चित करना उनकी प्राथमिकताओं में शामिल है, लेकिन यह तभी संभव हो सकता है जब विश्वविद्यालय के सभी सदस्य निष्ठापूर्वक एवं पूरी प्रतिबद्धता के साथ बीएचयू के उत्थान के लिए उनका सहयोग करें।

कुलपति जी ने कहा कि विश्वविद्यालयों व शैक्षणिक संस्थानों से विशिष्ट अपेक्षाएं होती हैं, जैसे शिक्षा प्रदान करना, नए शोधों व अनुसंधानों के माध्यम से समाज को समस्याओं के समाधान मुहैया कराना, आमजन को बेहतर जीवन के उपाय सुझाना आदि, ऐसे में विश्वविद्यालय के सदस्यों को भी इन अपेक्षाओं के अनुरूप अपनी कार्य संस्कृति व व्यवहार विकसित करना होगा।

इस दौरान शिक्षक व शिक्षिकाओं ने परीक्षाओं, शैक्षणिक व शोध गुणवत्ता, विश्वविद्यालय की रैंकिग को और बेहतर करने आदि विषयों पर सुझाव दिये। सामाजिक विज्ञान संकाय की संकाय प्रमुख प्रो. बिंदा परांजपे ने कुलपति जी का स्वागत किया तथा संकाय सदस्यों से संवाद के लिए उनका आभार जताया। इस अवसर पर विभिन्न विभागों के अध्यक्ष, विश्वविद्यालय के अधिकारीगण आदि उपस्थित रहे।

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