Sunday, April 28, 2024
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डेंगू बुखार के कारण, लक्षण,घरेलू उपचार वा बचाव

 डेंगू क्या है 

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ज़्यादा गर्मी वाले इलाकों में मच्छर के काटने से होने वाला वायरल रोग.मौसम में परिवर्तन होने के साथ ही बीमार होना भी स्वाभाविक है, इसमें कुछ ऐसी बीमारियां होती है जो आगे चलकर हमारे लिए घातक सिद्ध हो सकती हैं। ऐसे में इन बीमारियों से बचाव के उपाय ही हमें स्वस्थ रख सकते हैं। इसी में एक बीमारी है डेंगू।डेंगू का यूं तो कोई पूर्णतः इलाज नहीं है इसीलिए प्रथम तौर पर इसके कारणों के रोकथाम को अपनाने की ही सलाह दी जाती है ताकि हम इस बीमारी से बचे रहें।जो लोग वायरस के साथ दूसरी बार संक्रमित होते हैं उन्हें गंभीर रोग विकसित होने का अधिक खतरा होता है.लक्षणों में तेज़ बुखार, सिरदर्द, चकत्ते और मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द शामिल है. गंभीर मामलों में, गंभीर रक्तस्राव और सदमे की स्थिति हो सकती है, जो जानलेवा भी सिद्ध हो सकती है.उपचार में तरल पदार्थ और दर्द-निवारक भी शामिल होता है. गंभीर मामलों में अस्पताल में देखभाल की आवश्यकता होती है.डेंगू (Dengue) एक मच्छर जनित वायरल इंफेक्शन या डिजीज है। डेंगू होने पर तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों एवं जोड़ों में दर्द, त्वचा पर चकत्ते आदि निकल आते हैं। डेंगू बुखार (Dengue Fever) को हड्डी तोड़ बुखार (Breakbone fever) भी कहते हैं। एडीज मच्छर के काटने से डेंगू होता है। यह संक्रमण फ्लेविविरिडे परिवार (Flaviviridae family) के एक वायरस के सेरोटाइप- डीईएनवी-1 (DENV-1), डीईएनवी-2 (DENV-2), डीईएनवी-3 (DENV-3) और डीईएनवी-4 (DENV-4) के कारण होता है। हालांकि, ये वायरस 10 दिनों से अधिक समय तक जीवित नहीं रहते हैं। जब डेंगू का संक्रमण गंभीर रूप ले लेता है, तो डेंगू रक्तस्रावी बुखार या डीएचएफ (Dengue Haemorrhagic Fever) होने का खतरा बढ़ जाता है। इसमें भारी रक्तस्राव (Heavy Bleeding), ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट, यहां तक ​​कि पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। डीएचएफ को डेंगू शॉक सिंड्रोम (Dengue shock syndrome) भी कहा जाता है। अधिक गंभीर मामलों में तुरंत हॉस्पिटल में भर्ती कराने की जरूरत होती है वरना पीड़ित की जान भी जा सकती है। डेंगू का कोई विशिष्ट या खास उपचार उपलब्ध नहीं है। सिर्फ इसके लक्षणों को पहचानकर ही आप इस पर काबू पा सकते हैं।

डेंगू के लक्षण 

डेंगू हल्का (Mild) या गंभीर (Severe) दोनों हो सकता है। ऐसे में इसके लक्षण भी अलग-अलग नजर आते हैं। खासतौर से बच्चों और किशोरों में माइल्ड डेंगू होने पर कई बार कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं। संक्रमित होने के बाद डेंगू के हल्के लक्षण चार से सात दिनों के अंदर नजर आने लगते हैं। इन लक्षणों में तेज बुखार (104° F) के अलावा नीचे दिए गए लक्षण भी शामिल हैं :

सिरदर्द

मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों में दर्द

उल्टी

जी मिचलाना

आंखों में दर्द होना

त्वचा पर लाल चकत्ते होना

ग्लैंड्स में सूजन होना

इसके अलावा गंभीर लक्षणों में मसूड़ों से खून आना, खून की उल्टी लगना, तेज-तेज सांस आना और शरीर टूटना/बेचैनी जैसे लक्षण भी डेंगू में देखे जाते हैं। हालांकि, गंभीर मामलों में रक्तस्रावी बुखार या डीएचएफ (Dengue Haemorrhagic Fever) के होने का खतरा बढ़ जाता है। इस स्थिति में, रक्त वाहिकाएं (blood vessels) क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और रक्त में प्लेटलेट काउंट की कमी होने लगती है। ऐसी स्थिति में निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं:

गंभीर पेट दर्द

लगातार उल्टी होना

मसूड़ों या नाक से रक्तस्राव

मूत्र, मल या उल्टी में खून आना

त्वचा के नीचे रक्तस्राव होना, जो चोट जैसा नजर आ सकता है

सांस लेने में कठिनाई

थकान महसूस करना

चिड़चिड़ापन या बेचैनी

डेंगू के जोखिम कारक 

विभिन्न कारक होते हैं, जो डेंगू से संक्रमित होने के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। हम आपको नीचे कुछ ऐसे ही प्रमुख जोखिम कारकों के बारे में जानकारी दे रहें हैं:-

डेंगू पीड़ित क्षेत्र में रहना  : यदि आप उन क्षेत्रों में रहते हैं, जहां एडीज मच्छरों का प्रकोप अधिक है, तो आपके डेंगू से संक्रमित होने की संभावना स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती है।

पहले डेंगू संक्रमण होना : जिन लोगों को एक बार डेंगू हो जाता है, उनमें इस वायरल संक्रमण से प्रतिरक्षा नहीं हो पाती है। ऐसे में जब आपको दूसरी बार डेंगू होता है, तो अधिक गंभीर रूप से प्रभावित होने की संभावना बढ़ जाती है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होना  : जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) कमजोर होती है, उनमें भी डेंगू होने की संभावन अधिक होती है। ऐसे में बुजुर्ग लोग डेंगू के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। साथ ही, मधुमेह (Diabetes), फेफड़ों के रोग (lung diseases) और हृदय रोग (cardiovascular ailments) से पीड़ित लोगों में भी डेंगू होने की आशंका बढ़ जाती है।

लो प्लेटलेट काउंट  : डेंगू तब और अधिक गंभीर हो जाता है, जब पीड़ित व्यक्ति के रक्त में प्लेटलेट (थक्का बनाने वाली कोशिकाएं) काउंट काफी कम होने लगता है। ऐसे में यदि आपका प्लेटलेट काउंट का स्तर पहले से ही कम है, तो दूसरों की तुलना में डेंगू से जल्दी संक्रमित हो सकते हैं।

डेंगू संबंधित जटिलताएं 

यदि डेंगू का संक्रमण गंभीर है, तो यह आपके फेफड़ों, लिवर और हृदय को प्रभावित कर सकता है। ब्लड प्रेशर काफी कम हो सकता है। अत्यधिक गंभारी मामलों में यह घातक भी हो सकता है। डेंगू का संक्रमण गंभीर होने पर शरीर में निम्न जटिलताएं देखी जा सकती हैं:

पेट में गंभीर रूप से दर्द होना

लिवर में फ्लूइड का एकत्रित होना

रक्तस्राव

जी मिचलाना

सीने में तरल पदार्थ का जमा होना

डेंगू का निदान 

डेंगू का निदान आमतौर पर रोगी के लक्षणों और शारीरिक परीक्षण के आधार पर किया जाता है। आपका डॉक्टर आपके लक्षणों का मूल्यांकन करने के बाद निम्नलिखित परीक्षणों (Tests) का सुझाव दे सकता है-

पूर्ण रक्त गणना  : इस परीक्षण के जरिए शरीर में प्लेटलेट काउंट का पता चलता है। इन कोशिकाओं के काउंट का कम होना यह दर्शाता है कि डेंगू कितना गंभीर हो चुका है।

डेंगू एनएस1 एजी के लिए एलिसा टेस्ट  : यह एक ब्लड टेस्ट है, जिसके जरिए डेंगू वायरस एंटिजेन (dengue virus antigen) का पता लगाया जाता है। हालांकि, यह संक्रमण के प्रारंभिक चरणों के दौरान नकारात्मक परिणाम दिखा सकता है। ऐसे में यदि किसी में डेंगू के लक्षण बने रहते हैं, तो यह टेस्ट दोबारा करवा लेना चाहिए।

पीसीआर टेस्ट : यह टेस्ट संक्रमण के पहले 7 दिनों में अधिक प्रभावी हो सकता है, जब एनएस1 एजी

टेस्ट का रिजल्ट संक्रमण होने के बावजूद भी नेगेटिव आता है।

सीरम आईजीजी और आईजीएम टेस्ट  : आमतौर पर यह टेस्ट बाद की अवस्था और स्थिति को जानने के लिए की जाती है। एक बार जब वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है, तो प्रतिरक्षा कोशिकाएं डेंगू वायरस के खिलाफ आईजीजी (IgG) और आईजीएम (IgM) एंटीबॉडीज का निर्माण करना शुरू कर देती हैं। इन एंटीबॉडीज का स्तर धीरे-धीरे बढ़ता है।

डेंगू का इलाज 

डेंगू के लिए आपको डॉक्टर ने जो दवाइयां दी है उनके साथ रिकवरी को तेज़ करने के लिए आप आयुर्वेदिक इलाज भी कर सकते हैं।

1. नारियल पानी: नारियल पानी के कई फायदे हैं। ये आपकी सेहत से लेकर त्वचा को हेल्दी रखने का काम करता है। साथ ही बीमार पड़ने पर भी इसका सेवन ज़रूर करें। डेंगू का आम लक्षण उल्टियां होना है, जिससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है। नारियल पानी आपके शरीर में डिहाइड्रेशन नहीं होने देगा। इसलिए इसे अपनी डाइट में ज़रूर शामिल करें।

2. मेथी का पानी: मेथी के ऐसे तो कई लाभ हैं, लेकिन यह एक शक्तिशाली दर्द निवारक दवा भी है। मेथी को रातभर पानी में भिगो कर रखें और सुबह इसे छान कर पी लें।

3. पपीते के पत्ते: डेंगू के इलाज के लिए पपीते के पत्ते बहुत लंबे समय से एक लोकप्रिय उपाय है। यह इम्यूनिटी को बढ़ावा देकर रोगियों में डेंगू के लक्षणों से राहत दिलाते हैं। इन पत्तों का रस निकालकर कम से कम दिन में दो बार पिएं।

4. नीम का जूस: नीम के पत्तों में जादुई मेडिकल गुण होते हैं। जो शरीर में वायरस के विकास और प्रसार को बाधित करने में बड़ा योगदान देते हैं। यह प्रतिरक्षा को बढ़ाकर रक्त प्लेटलेट्स काउंट को भी बढ़ाने में मदद कर सकता है। इसे पानी में कुछ देर उबालें और फिर छान कर पी लें।

5. संतरे का रस: विटामिन-सी इम्यून सिस्टम को बढ़ावा देने का काम करता है। संतरे का जूस पीने से न सिर्फ आपकी इम्यूनिटी मज़बूत होगी बल्कि शरीर को हाइड्रेशन भी मिलेगा।

आयुर्वेद मे गिलोय, एलो वेरा, पपीते के पत्ते और अनार का जूस पीने से डेंगू से मुक्ति मिल सकती है.हर चार घंटे या दिन में 3-4 बार इन चारों का 50-50 ग्राम जूस पीने से लाभु मिलता है. इससे प्लेटलेट का घटती संख्या को रोकने में मदद मिलती है.    

डेंगू बुखार के लिए घरेलू उपचार              

डेंगू बुखार के उपचार में फायदेमंद है नीम : नीम के पत्तों का रस पीने से प्लेटलेट्स (Platelets) और सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या में वृद्धि होती है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली में भी सुधार करता है। इसलिए डेंगू के इलाज के दौरान चिकित्सक की सलाह अनुसार नीम का सेवन करें।

गिलोय से करें डेंगू बुखार का इलाज :गिलोय डेंगू बुखार के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण जड़ी बूटी है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है और शरीर के संक्रमण में कमी लाता है। गिलोय के तने को उबाल कर इसका काढ़ा बनाकर पिएँ। यह डेंगू के लक्षणों को असरदार तरीके से कम करता है। 2-3 ग्राम गिलोय पीस लें। इसमें 5-6 तुलसी की पत्तियाँ मिलाकर एक गिलास पानी में उबाल कर काढ़ा बना लें। इसे मरीज को पिलाएँ।

तुलसी का प्रयोग डेंगू बुखार में फायदेमंद :तुलसी की पत्तियां डेंगू बुखार में बहुत फायदेमंद साबित होती हैं। यह शरीर से विषाक्त तत्वों को बाहर निकालती हैं, और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती हैं।  5-7 तुलसी की पत्तियों को पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं। इसमें एक चुटकी काली मिर्च मिलाकर पिएँ।

पपीते से करें डेंगू बुखार का इलाज :पपीते के पत्ते डेंगू बुखार में बहुत लाभदायक होते हैं। अगर आपको डेंगू बुखार के लक्षण नजर आते हैं तो चिकित्सक की सलाह के अनुसार इसका सेवन करें। पपीते में मौजूद पोषक तत्वों और कार्बनिक यौगिकों का मिश्रण प्लेटलेट्स (Platelets) की संख्या में वृद्धि करता है।

डेंंगू बुखार में मेथी का उपयोग लाभदायक :मेथी के पत्ते बुखार में कमी लाते हैं, तथा शरीर में दर्द होने पर भी आराम पहुँचाते है। यह डेंगू बुखार के लक्षणों को शान्त करने के लिए सबसे अच्छा घरेलू उपचार है।

संतरे से डेंगू बुखार का इलाज :संतरे के रस में एंटीओक्सीडेंट्स (Antioxidants) और विटामिन सी होता है, जो डेंगू फीवर के वायरस को नष्ट करने के लिए बेहतर माना जाता है। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करता है।

जौ से करें डेंगू बुखार का उपचार: जौ घास में रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को सही करके, शरीर प्लेटलेट्स  (Platelets) की संख्या में वृद्धि करने की क्षमता होती है। डेंगू बुखार के समय खून में प्लेटलेट्स (Platelets) की संख्या बहुत कम हो जाती है, इसलिए जौ घास का सेवन बहुत लाभदायक होता है। जौ घास से काढ़ा बनाकर पिएँ। इस घास को खा भी सकते हैं। यह डेंगू बुखार के लक्षणों को कम करने में बहुत कारगर है।

नारियल पानी का सेवन डेंगू में फायदेमंद :डेंगू के इलाज (Dengue ke ilaj) के दौरान नारियल पानी पीना बहुत फायदेमंद होता है। इसमें मौजूद जरूरी पोषक तत्व जैसे मिनरल्स और इलेक्ट्रोलाइट्स (electrolytes) शरीर को मजबूत बनाते हैं।

डेंगू में कद्दू का सेवन लाभदायक पके हुए कद्दू को पीस कर एक चम्मच शहद डालकर पिएँ। बेहतर लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परमार्श लें।

चुकंदर का सेवन डेंगू में लाभदायक:चुकंदर के रस में अधिक मात्रा में एंटीओक्सीडेंट्स (Antioxidants) होता है, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है। दो से तीन चम्मच चुकंदर के रस को एक गिलास गाजर के रस में मिलाकर पिएँ तो खून में प्लेटलेट्स (Platelets) तेजी से बढ़ता है।

एलोवेरा का प्रयोग डेंगू में लाभदायक: 2-3 चम्मच एलोवेरा का रस पानी में मिलाकर रोज पिएं। इससे बहुत सारी बीमारियों से बचा जा सकता है। डेंगू बुखार में भी यह राहत दिलाता है।

डेंगू के दौरान खान-पान :

डेंगू में खान-पान और जीवनशैली ऐसी होना चाहिए

अधिक से अधिक पानी पिएँ।

डेंगू होने पर तेज बुखार रहता है, साथ ही पेट की समस्या भी हो जाती है। ऐसे में हल्का एवं सुपाच्य आहार ही लेना चाहिए। 

डेंगू में मरीज का मुंह और गला सूख जाता है। इसलिए रोगी को ताजा सूप, जूस और नारियल पानी का सेवन करना चाहिए।

नींबू पानी बनाकर पिएँ। नींबू का रस शरीर से गंदगी को पेशाब के द्वारा निकाल कर शरीर को स्वस्थ बनाता है।

हर्बल टी से बुखार में आराम मिलता है। इसमें अदरक और इलायची डालकर बनाएँ।

डेंगू के लक्षण (Dengue Bukhar ke Lakshan) 

नजर आने पर ताजी सब्जियों का जूस पिएँ। इसमें गाजर, खीरा और अन्य पत्तेदार सब्जियाँ बहुत अच्छी होती हैं। ये सब्जियाँ आवश्यक विटामिन और खनिजों से परिपूर्ण है जो रोगी के प्रतिरक्षा शक्ति बढ़ाने में मदद करते हैं।

दलिया का सेवन करें। इसमें मौजूद उच्च फाइबर और पोषक तत्व रोगों से लड़ने के लिए पर्याप्त शक्ति देते हैं।

डेंगू के रोगी को प्रोटीन की बहुत आवश्यकता होती है। इसलिए रोगी को दूध और डेयरी उत्पाद (Dairy product) का सेवन जरूर करना चाहिए।

 डेंगू के दौरान जीवनशैली 

शारीरिक मेहनत ना करें।

जितना हो सके आराम करें।

गर्म कपड़े पहनें।     

डेंगू के लिए कोई खास दवा या सटीक इलाज उपलब्ध नहीं है। डॉक्टर बुखार, दर्द को नियंत्रित करने के लिए पेनकिलर जैसे पारासिटामोल दवा खाने के लिए दे सकता है। शरीर को हाइड्रेटेड रखकर डेंगू को कंट्रोल में रखना एक सबसे महत्वपूर्ण तरीका है। ऐसे में पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ पानी पीना चाहिए। हालांकि, गंभीर लक्षणों वाले मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत होती है। अत्यधिक गंभीर मामले में मरीज को नसों में तरल पदार्थ यानी इंट्रावेनस फ्लूइड (Intravenous fluid) या इलेक्ट्रोलाइट सप्लीमेंट दी जाती है। कुछ मामलों में ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग और ब्लड ट्रांस्फ्यूजन के जरिए भी इलाज की जाती है। आप खुद से एस्पिरिन या इबुप्रोफेन जैसी दवाओं का सेवन भूलकर भी ना करें, क्योंकि ये रक्तस्राव के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

डेंगू से बचाव 

अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन ने 9 से 16 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों में डेंगवैक्सिया (Dengvaxia) नामक एक डेंगू टीके का उपयोग करने के लिए मंजूरी दी थी। हालांकि, भारत में अभी तक इस टीके को इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी गई है। डेंगू एक संचारी रोग है, जो मच्छरों द्वारा एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है। ऐसे में वैक्सीन के उपलब्ध नहीं होने से डेंगू से बचने का सिर्फ एकमात्र तरीका है खुद को मच्छरों से बचाकर रखना। जितना हो सके आप मॉस्किटो रेपलेंट्स, मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। अपने घर के दरवाजे और खिड़कियों को शाम होने से पहले बदं कर दें। शरीर को पूरी तरह से कवर करने वाले कपड़े पहनें। निम्न दिए गए उपायों को भी आप अपना सकते हैं, सुनिश्चित करें कि आसपास पानी इकट्ठा ना हो। कूलर का पानी बदलते रहें। पानी को ढंक कर रखें। इन जगहों पर ही मच्छर अंडे देते हैं। यदि कोई खुला जल स्रोत है, जिसे आप हटा नहीं कर सकते हैं, तो उसे या तो ढंक दें या फिर उपयुक्त कीटनाशक अप्लाई करें।

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