तेजी से यूनिकॉर्न में बदल रहे स्टार्टअप,
नए यूनिकॉर्न जोड़ने में भारत चीन से निकला आगे
देश को आत्मनिर्भर बनाने और अर्थव्यवस्था को गति देने में स्टार्टअप की महत्वपूर्ण भूमिका है। मेहनत और कौशल के दम आज ये स्टार्टअप यूनिकॉर्न के रूप में उभर रहे हैं। हाल ही में भारत ने यूनिकॉर्न जोड़ने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। दरअसल, नए यूनिकॉर्न जोड़ने में भारत चीन से आगे निकल गया है।
दरअसल, जनवरी-जुलाई 2022 में भारत के 14 स्टार्टअप यूनिकॉर्न बने, जबकि इसी अवधि में चीन के सिर्फ 11 स्टार्टअप यूनिकॉर्न बने। वहीं यूनिकॉर्न की कुल संख्या के हिसाब से अमेरिका और चीन के बाद भारत तीसरे नंबर पर है।
क्या है यूनिकॉर्न
‘स्टार्टअप’ यानि कि किसी चीज की शुरुआत करना या किसी चीज को प्रारंभ करना होता है। जब कोई कंपनी साझेदारी या अस्थाई संगठन के रूप में शुरू करते हैं तो उस उद्यम या नए व्यवसाय को स्टार्टअप कहते हैं। यही स्टार्टअप आगे चलकर यूनिकॉर्न बन जाते हैं। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि ‘यूनिकॉर्न’ उन दुर्लभ स्टार्टअप को कहा जाता है, जो 1 बिलियन डॉलर से अधिक का मूल्यांकन हासिल कर लेता है।
भारत में यूनिकॉर्न का स्टेटस
भारतीय स्टार्टअप परिवेश यूनिकॉर्न की संख्या के लिहाज से दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा है। यहां 5 मई 2022 तक 100 से अधिक यूनिकॉर्न हैं, जिनका कुल मूल्यांकन 332.7 अरब डॉलर से है।
वर्ष 2021 के दौरान यूनिकॉर्न की संख्या में भारी उछाल दर्ज किया गया था। इस दौरान कुल 44 स्टार्टअप यूनिकॉर्न 93 अरब डॉलर के कुल मूल्यांकन के साथ यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हुए।
वर्ष 2022 के पहले चार महीनों के दौरान भारत में 18.9 अरब डॉलर के कुल मूल्यांकन के साथ 14 यूनिकॉर्न तैयार हुए हैं।
इंटरप्रेन्योरशिप की भावना देश के कोने-कोने में मौजूद है। उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) ने सभी 36 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के 647 जिलों में स्टार्टअप के प्रसार से यह बिल्कुल स्पष्ट है।
देश में स्टार्टअप से यूनिकॉर्न तक का सफर
प्रत्येक स्टार्टअप के लिए यूनिकॉर्न बनने की अपनी अनूठी यात्रा होती है लेकिन भारत में स्टार्टअप को यूनिकॉर्न बनने के लिए न्यूनतम समय 6 महीने और अधिकतम समय 26 वर्ष है। वित्त वर्ष 2016-17 तक हर साल लगभग एक यूनिकॉर्न तैयार होता था। पिछले चार वर्षों में (वित्त वर्ष 2017-18 के बाद से) यह संख्या तेजी से बढ़ रही है और हर साल अतिरिक्त यूनिकॉर्न की संख्या में सालाना आधार पर 66 प्रशित की वृद्धि हुई है। इसके साथ ही देश में 104 यूनिकॉर्न तैयार हो चुके हैं और 75 हजार पर काम चल रहा है।
भारतीय यूनिकॉर्न के मोर्चे पर देश सदी के पड़ाव पर हैं और घरेलू स्टार्टअप परिवेश आत्मनिर्भरता के मिशन की दिशा में प्रभावी ढंग से पहले की तरह काम कर रहा है। आत्मनिर्भर भारत का दृष्टिकोण स्टार्टअप परिवेश में गहराई से निहित है और वह आगामी वर्षों में भी जारी रहेगी।
स्टार्टअप इंडिया का सफर
स्टार्टअप इंडिया अभियान के शुभारंभ यानि 16 जनवरी 2016 के बाद से अब तक देश में मान्यता प्राप्त स्टार्ट अप की संख्या 75 हजार से अधिक हो गयी है। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग ने स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष के साथ ही 75 हजार से अधिक स्टार्टअप को मान्यता दी है जो बहुत बड़ी उपलब्धि है। देश में नवाचार और स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की कार्य योजना तैयार करने के लिए कार्यक्रम शुरू किया गया था। छह साल बाद, कार्य योजना को सफलतापूर्वक लागू करके भारत को तीसरे सबसे बड़े स्टार्ट अप पारिस्थितिकी तंत्र में बदल दिया। वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि प्रतिदिन 80 से अधिक स्टार्टअप को मान्यता मिल रही है।
स्टार्टअप के प्रमुख क्षेत्र
भारत में नवाचार केवल कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है बल्कि आईटी सेवाओं से 13 प्रतिशत, स्वास्थ्य सेवा एवं जीवन विज्ञान से 9 प्रतिशत, शिक्षा 7 प्रतिशत, पेशेवर एवं वाणिज्यिक सेवाओं से 5 प्रतिशत, कृषि 5 प्रतिशत और खाद्य एवं पेय पदार्थों से 5 प्रतिशत के साथ 56 विविध क्षेत्रों में समस्याओं को हल करने वाले स्टार्टअप को मान्यता दी है।
कोरोना काल में भी बढ़े स्टार्टअप
कुछ समय पहले एक कार्यक्रम में पीएम मोदी ने बूताया कि हमारे कुल यूनिकॉर्न में से 44, पिछले साल बने थे। इतना ही नहीं इस वर्ष के 3-4 महीने में ही 14 और नए यूनिकॉर्न बन गए। इसका मतलब यह हुआ कि वैश्विक महामारी के इस दौर में भी हमारे स्टार्ट-अप, संपत्ति और कीमत सृजित करते रहें हैं। उन्होंने कहा कि इन यूनिकॉर्न का कुल वैल्यूशन 330 बीलियन डॉलर यानि, 25 लाख करोड़ रुपयों से भी ज्यादा है। विशेषज्ञों का तो ये भी कहना है कि आने वाले वर्षों में इस संख्या में तेज उछाल देखने को मिलेगी। एक अच्छी बात ये भी है, कि, हमारे यूनिकॉर्न विविधीकरण हैं। ये e-commerce, Fin-Tech, Ed-Tech, Bio-Tech जैसे कई क्षेत्रों में काम कर रहे हैं। आज, भारत का स्टार्ट-अप इकोसिस्टम सिर्फ बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं है, छोटे-छोटे शहरों और कस्बों से भी इंटरप्रेन्योर सामने आ रहे हैं।
ALSO READ