कृषि विश्वविद्यालय के दो प्रोफेसरों के बीच हाथापाई मे कुलपति ने एक को किया निलंबित
कुमारगंज : आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज परिसर स्थित भारतीय स्टेट बैंक शाखा प्रबंधक कक्ष में कृषि विश्वविद्यालय के दो प्रोफेसरों के बीच हाथापाई एवं मारपीट किए जाने का मामला प्रकाश में आया है।
घटना के बाद दोनों शिक्षकों में आरोप-प्रत्यारोप लगाते हुए मामले में मुकदमा कायम किए जाने हेतु कुमारगंज पुलिस को तहरीर दी है हालांकि पुलिस प्रकरण में छानबीन में जुटी गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ डी नियोगी विश्वविद्यालय परिसर स्थित भारतीय स्टेट बैंक शाखा के प्रबंधक भास्कर पांडे के कार्यालय कक्ष में बैठे हुए थे इसी बीच विश्वविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ रमेश प्रताप सिंह भी बैंक प्रबंधक कच्छ में पहुंच गए थे।
डॉ रमेश प्रताप सिंह का आरोप है कि शाखा प्रबंधक ही सामने उनके विरुद्ध प्रचलित एक जांच प्रकरण को लेकर डॉ डी नियोगी उनसे बिना पैसे के जांच कमेटी द्वारा उनके पक्ष में रिपोर्ट प्रेषित ना किए जाने की बात कही उनका आरोप है कि अधिष्ठाता छात्र कल्याण जांच कमेटी के सदस्य हैं और उन्होंने 2 लाख रुपए सुविधा शुल्क की मांग की जिसे सुनकर वह अवाक रह गए। दोनों लोगों में वार्ता होते होते कहासुनी और हाथापाई तक पहुंच गई।
बैंक में मौजूद शाखा प्रबंधक सहित अन्य कर्मियों ने बीच बचाव किया। उधर अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ डी नियोगी का का आरोप है कि डॉ रमेश प्रताप सिंह ही उनसे भिड़ गए थे तथा उन्हें लात घूसों से जमकर मारा पीटा है।
घटना के बाद विश्वविद्यालय के सुरक्षा प्रभारी राजेश कुमार सिंह अधिष्ठाता छात्र कल्याण को शिकायती पत्र के साथ लेकर थाने पहुंचे और सहायक प्राध्यापक के खिलाफ मुकदमा कायम कराए जाने हेतु तहरीर दी। दोनों पक्षों से तहरीर मिलने के बावजूद कुमारगंज पुलिस ने किसी भी पक्ष का कोई मुकदमा नहीं दर्ज किया है। थानाध्यक्ष वीर सिंह का कहना है कि दोनों पक्षों से तहरीर मिली है, जांच कराई जा रही है जांच पूरी होने के बाद ही मामले में प्राथमिकी कायम की जाएगी। मामले का सज्ञान होने पर विश्वविद्यालय के कुलपति ब्रजेंद्र सिंह ने सहायक प्राध्यापक डॉ. रमेश प्रताप सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर उन्हें आजमगढ़ कृषि महाविद्यालय कोटवा से अटैच कर दिया है।
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कुलपति के आदेश को विश्वविद्यालय के निदेशक प्रशासन डॉ. एके सिंह ने उक्त निर्णय का आदेश भी शुक्रवार को जारी कर दिया है। निलंबित किए गए सहायक प्राध्यापक डॉ. रमेश प्रताप सिंह का कहना है कि उनके विरुद्ध गबन का मुकदमा वर्ष 2019 में हुआ था। जिसमें कई जांच एजेंसियों ने जांच भी की और अंतिम रिपोर्ट न्यायालय को प्रेषित भी किया जा चूका है ।जिसमें एक बार जांच कमेटी ने रिपोर्ट भी प्रेषित कर दी थी, किंतु मुझे परेशान करने की नियत से विश्वविद्यालय प्रशासन ने फिर से जांच कमेटी गठित कर दी है और बताया कि विवि प्रशासन द्वारा एकतरफा कार्रवाई की गई है।
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विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा लिया गया तत्काल निर्णय विश्वविद्यालय परिसर में चर्चा का विषय बना हुआ है।
विश्वविद्यालय कर्मियों का कहना है कि कार्यालय अवधि के बाद हुए विवाद में बिना कोई जांच कमेटी गठित कर मात्र पांच लोगों की मीटिंग बुलाकर आनन-फानन में निर्णय लिया जाना सेवा नियमावली के विरुद्ध है।
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