विद्यार्थी बीएचयू के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता :प्रो. सुधीर कुमार जैन
उन्हें सर्वोत्तम सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए किये जाएंगे हर संभव प्रयास: प्रो. सुधीर कुमार जैन
कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने बीएचयू के छात्र-छात्राओं से किया संवाद
पीएचडी शोधवृत्ति में देरी के मामलों के त्वरित व प्रभावी निवारण के लिए नया ईमेल-आईडी होगा शुरू
अंतराष्ट्रीय स्तर पर शोधपत्र प्रस्तुत करने हेतु शोधार्थियों की विदेश यात्राओं में वित्तीय सहायता के लिए नई योजना पर विचार
वाराणसी : कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने कहा है कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों को सर्वोत्तम सुविधाएं और ढांचागत व्यव्स्थाएं प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास करेगा। खचाखच भरे स्वतंत्र भवन में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए, प्रो. जैन ने कहा कि उनका प्रशासन विद्यार्थियों के लिए सर्वोत्तम कैंपस अनुभव और अध्ययन के अवसर सुनिश्चित करने के लिए लगातार काम कर रहा है। इस साल जनवरी में कार्यभार संभालने के बाद कुलपति महोदय का विद्यार्थियों के साथ यह पहला औपचारिक संवाद था। इस अवसर पर कुलपति जी ने अपनी जीवन यात्रा के अनुभव भी साझा किये और बताया कि किस तरह एक साधारण परिवार से आने वाला छात्र आज इस मुकाम तक पंहुचा।
उन्होंने कहा कि जीवन में एक बड़े लक्ष्य को सामने रखकर आगे बढ़ना और सकारात्मक बदलाव लाने का उद्देश्य होना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि कानपुर आईआईटी में शिक्षक के रूप में कार्य करते हुए उनका एक स्पष्ट लक्ष्य था कि किस तरह भारत में भूंकप से लोगों की जान बचाई जाए। उन्होंने कहा कि वे निरन्तर इस लक्ष्य को साधने की दिशा में आगे बढ़ते रहे और साथ ही साथ एक बेहतर इंसान व पेशेवर बनने की दिशा में भी मेहनत की। प्रो. जैन ने कहा कि विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय में उनके लिए उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग करने के साथ-साथ एक सकारात्मक दृष्टिकोण और मूल्य विकसित करने हेतु प्रयासरत रहना चाहिए। इस अवसर पर उन्होंने विद्यार्थियों से जीवन में एक बड़ी दृष्टि विकसित करने तथा अपने जीवन और करियर में बेहतर प्रदर्शन करने हेतु व्यक्तित्व कौशल का निर्माण करने का आह्वान किया।
कुलपति जी ने कहा कि किसी भी शैक्षणिक संस्थान की उत्कृष्टता के लिए तीन चीजें सबसे महत्वपूर्ण हैं। पहला मेधावी लोगों (विद्यार्थियों और कर्मचारियों) को संस्थान में लाना, दूसरा उन्हें काम करने के लिए सभी जरूरी संसाधन उपलब्ध कराना और तीसरा सहयोग व सद्भाव के वातावरण का निर्माण करना। उन्होंने कहा कि पिछले छह महीनों के दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय में एक बेहतर और सामंजस्यपूर्ण कार्य संस्कृति बनाने का प्रयास किया है ताकि विश्वविद्यालय परिवार के सदस्यों में साझा रूप से आगे बढ़ने की भावना विकसित हो सके।
कुलपति जी ने कहा कि किसी भी संस्थान की सफलता के लिए नियमों का सम्मान और अनुशासन का पालन जरूरी होता है। इसलिए सभी से ये अपेक्षा की जाती है कि वे नियमों का गंभीरता के साथ पालन करें व उनका उल्लंघन न करें। उन्होंने कहा कि अगर नियम अत्यंत कठोर हैं और उन्हें लचीला व नरम बनाए जाने की आवश्यकता है, तो विश्वविद्यालय को ऐसा करने पर विचार करना चाहिए।
प्रो. जैन ने कहा कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय चाहता है कि उसके समस्त विद्यार्थी अपने करियर में सर्वश्रेष्ठ अवसर प्राप्त करें और आगे बढ़ें, लेकिन यह विद्यार्थियों की भी ज़िम्मेदारी है कि वे न केवल बेहतर पेशेवर बल्कि अच्छे इंसान बनने की आकांक्षा रखें। विद्यार्थियों के प्रश्नों के जवाब में, कुलपति जी ने कहा कि कभी-कभी संसाधन सीमित हो सकते हैं तथा कई अन्य चुनौतियां हो सकती हैं, किन्तु विद्यार्थियों को उनके लक्ष्यों की प्राप्ति के मार्ग पर आगे बढ़ने में सहयोग के लिए विश्वविद्यालय सदैव तत्परता के साथ उनके साथ खड़ा है। पीएचडी शोधवृत्ति में विलंब के मामलों के त्वरित व प्रभावी निवारण के लिए कुलपति जी ने छात्र अधिष्ठाता को नए ईमेल-आईडी की शुरुआत करने का सुझाव दिया। उन्होंने बताया कि महिला छात्रावासों में अध्ययन की व्यवस्था करने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि छात्राओं के लिए 2000 की क्षमता का छात्रावास बनाने के प्रस्ताव पर भी विचार किया जा रहा है।
कुलगुरू प्रो. वी. के. शुक्ला ने स्वागत उद्बोधन देते हुए कहा कि बीएचयू परिवार के सदस्य प्रो. जैन को कुलपति के रूप में पाकर हर्षित व उत्साहित हैं। उन्होंने विद्यार्थियों के साथ कुलपति जी के जुड़ाव के लिए उनकी प्रशंसा करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि प्रो. सुधीर कुमार जैन के नेतृत्व में बीएचयू नई ऊंचाइयों तक पंहुचेगा।
कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह ने छात्रों का आह्वान किया कि वे विश्वविद्यालय में रहते हुए केवल पुस्तकीय ज्ञान प्राप्त करने तक ही सीमित न रहें बल्कि अपने व्यक्तित्व के समग्र विकास की दिशा में भी काम करें। इस अवसर छात्र अधिष्ठाता प्रो. ए.के. नेमा ने धन्यवाद ज्ञापन प्रेषित किया।