Saturday, July 27, 2024
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बीएचयू : शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए संस्थानों को आकांक्षी होने के साथ साथ स्वयं को करना होगा तैयार

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बीएचयू : शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए संस्थानों को आकांक्षी होने के साथ साथ स्वयं को करना होगा तैयार

– अपने विद्यार्थियों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा व वातावरण के लिए तैयार करने की ज़िम्मेदारी हम परः प्रो. सुधीर कुमार जैन

– बेस्ट प्रेक्टिसिस अपनाना अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों व शिक्षकों को अपने कैंपस में लाने के लिए अहमः प्रो. जैन

वाराणसी : शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण के लक्ष्य को हासिल करने के लिए उच्च शिक्षा के संस्थानों को आकांक्षी बनना होगा। विदेशी विद्यार्थियों व शिक्षकों को अपने कैंपस में लाने के लिए न सिर्फ उत्तम प्रणालियों (बेस्ट प्रेक्टिसिस) को अपनाना होगा बल्कि नीतिगत स्तर पर भी बदलाव लाने होंगे। ‘अखिल भारतीय शिक्षा समागम’ के तीसरे व अंतिम दिन ‘शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण’ पर आयोजित तकनीकी सत्र में शिक्षाविदों व शिक्षा के क्षेत्र की प्रमुख हस्तियों द्वारा ऐसे तमाम विचार साझा किये गए।

शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण
शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण

बीएचयू के कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने कहा कि अधिक संख्या में विदेशी विद्यार्थियों व शिक्षकों को अपने कैंपस में लाने के लिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे परिसर उनके अनुकूल हों। इसमें कई बिंदु शामिल हैं, जैसे रहने के लिए अच्छी जगह, उनकी रुचि के कोर्स, सरल प्रक्रियाएं तथा सुदृढ़ बुनियादी सुविधाएं। उन्होंने भारतीय विद्यार्थियों को अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा व वातावरण के लिए तैयार करने की ज़रूरत भी बताई। उन्होंने कहा कि हमारे विद्यार्थी अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में किसी भी तरह से कम नहीं होने चाहिए और इसके लिए हमे उनके क्षमता निर्माण व कौशल विकास पर विशेष ज़ोर देना होगा।

सिमबियॉसिस, पुणे, की प्रो-चांसलर प्रो. विद्या येरावडेकर ने कहा कि ऑनलाइन शिक्षा के रुझान व इस्तेमाल में बढ़ोतरी से कक्षाओं में अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थियों व शिक्षकों की प्रतिभागिता में इज़ाफा हुआ है। प्रो. विद्या ने कहा कि कक्षा में विदेशी विद्यार्थी का होना तथा स्टाफ रूम में विदेशी शिक्षक का होना न सिर्फ पठन पाठन के वातावरण बल्कि छात्रों व शिक्षकों के व्यक्तित्व को भी प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के पाठ्यक्रम को विकसित करने तथा विद्यार्थियों की पसंद के अनुरूप विकल्प उपलब्ध कराने की दिशा में काफी कार्य किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि संस्थानों को अपनी क्षमताओं को परिभाषित करना होगा, जिनसे अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी आकर्षित हों। उन्होंने भारतीय संस्थानों के व्यापक प्रचार की भी ज़रूरत बताई।

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चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आनंद अग्रवाल ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में अंतरराष्ट्रीय संबंध विभाग की स्थापना कि बात कही गई है और उनका विश्वविद्यालय बहुत पहले ही इस विभाग को स्थापित कर चुका है। उन्होंने सुझाव दिया कि विदेशी विद्यार्थियों को आकर्षित करने के लिए संस्थानों को साथ आना होगा तथा संयुक्त कार्यक्रम व शोध व्यवस्थाएं विकसित करनी होंगी। भारतीय शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए एक सुनियोजित रणनीति की वकालत करते हुए प्रो. अग्रवाल ने वैश्विक संस्थानों के साथ साझा उत्कृष्टता केन्द्र स्थापित करने का सुझाव दिया।

ओ. पी. जिंदल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सी. राज कुमार ने विभिन्न देशों में विदेशी विद्यार्थियों की संख्या के बारे में आंकड़े प्रस्तुत किये और बताया कि भारत इस सूची में कितना पीछे है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में उल्लिखित लक्ष्यों का ज़िक्र किया और कहा कि शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए व्यापक स्तर पर सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें विदेशी छात्रों को वह विकल्प उपलब्ध कराने होंगे जो वे चाहते हैं, न कि वे जो हमारे पास मौजूद हैं। प्रो. राज कुमार ने कहा कि हमे यह सुनिश्चित करना होगा कि विदेशी विद्यार्थी जटिल प्रक्रियाओं जैसे वीज़ा आदि में ही न उलझे रहें, इसके लिऐ प्रक्रियाओं का सरलीकरण अत्यंत आवश्यक है, जिससे विद्यार्थियों की रूचि ख़त्म न हो और समय भी बरबाद न हो।

डॉ. अर्चना मन्त्री, कुलपति, चित्कारा विश्वविद्यालय, पंजाब, ने उनके विश्वविद्यालय में मनाए जा रहे ग्लोबल वीक के अनुभव साझा किये। उन्होंने कहा कि इस प्रयास के परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में विदेशी शिक्षक विद्यार्थियों को पढ़ा पा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय शिक्षकों के भारतीय अनुभव को बेहतर बनाने के लिए काफी मेहनत की गई और अब इसके उत्साहजनक परिणाम दिख रहे हैं।

सत्र के दौरान विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों व प्रमुख शिक्षाविदों ने अपने सुझाव दिये। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली, की कुलपति प्रो. शांतिश्री पंडित ने बताता कि उनका विश्वविद्यालय इस दिशा में एक मॉडल संस्थान है, जहां बड़ी संख्या में विदेशी छात्र पढ़ते हैं।

बीएचयू : शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण के लिए संस्थानों को आकांक्षी होने के साथ साथ स्वयं को करना होगा तैयार

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य शिक्षा को 21वीं सदी के आधुनिक विचारों से जोड़ना : PM मोदी

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प्रवेश सम्बधित समस्त जानकारी विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

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