शैक्षणिक व शोध परिदृश्य में आ रहे बदलावों के मद्देनज़र संस्थानों को भी रहना होगा परिवर्तन के लिये तैयारः प्रो. सतीश के. त्रिपाठी
अमेरिका में बफलो विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रो. त्रिपाठी ने किया काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शैक्षणिक प्रमुखों व वरिष्ठ अधिकारियों से संवाद
वाराणसी: अमेरिका में बफलो स्थित न्यूयॉर्क स्टेट यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष प्रो. सतीश के. त्रिपाठी ने कहा है कि बदलते वक्त के साथ शैक्षणिक संस्थानों को भी बदलाव के लिये तैयार रहना चाहिए। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विभिन्न संस्थानों के निदेशकों, संकाय प्रमुखों तथा वरिष्ठ अधिकारियों के साथ संवाद करते हुए प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि शैक्षणिक परिदृश्य में अनेक सकारात्मक व महत्वपूर्ण परिवर्तन आ रहे हैं, ऐसे में शिक्षण संस्थान पुरानी परिपाटी पर चलते नहीं रह सकते और उन्हें छात्र, शिक्षा व शोध के हित में नई पद्धतियों व तौर तरीकों को अपनाना होगा।
प्रो. त्रिपाठी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पुरा छात्र भी हैं। उन्होंने अमेरिका में पिछले तीन दशकों के दौरान विभिन्न संस्थानों में शैक्षणिक प्रशासक के रूप में अपने अनुभवों को भी साझा किया। प्रो. त्रिपाठी ने बफलो विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति, पेशेवरों को शिक्षण व शोध के लिए संस्थान में लाने तथा शिक्षकों के क्षमता निर्माण के लिए अपनाई जा रही श्रेष्ठ पद्धतियों पर भी चर्चा की। उन्होंने प्रभावी रूप से निर्णय लेने में आंकड़ों (Data) की अहमियत तथा इस क्रम में सही, सटीक व पुष्ट डेटा की उपलब्धता की आवश्यता पर विशेष बल दिया।
उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को सरकार तथा विभिन्न हितधारकों को उपयोगी डेटा उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य करना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि शिक्षण संस्थानों को चाहिए कि वे डेटा संग्रह तथा डेटा प्रबंधन के मामले में अत्यंत गंभीरता के साथ काम करें। उन्होंने कहा कि अब लोगों व संस्थानों को यह समझ में आने लगा है कि सही व सटीक डेटा की उपलब्धता से वे अधिक बेहतर ढंग से कार्य कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि संस्थानों को प्रतिभावान लोगों को नियुक्त करने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए, चाहे वह प्रतिभा किसी भी स्थान या देश से क्यों न हो। प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि शिक्षक या शोधकर्ता का चयन करते समय अगर कोई उत्कृष्ठ उम्मीदवार सामने हो, जिसके चयन से संस्थान वास्तव में लाभान्वित होगा, तो ऐसे में प्रक्रियाओं में लचीलापन अपनाने में कोई बुराई नहीं है।
उन्होंने नियुक्तियों, पेशेवरों को शिक्षण के लिए अवसर देने, डेटा प्रबंधन तथा विश्वविद्यालय का शोध आउटलुक और बेहतर करने के संबंध में बीएचयू परिवार के सदस्यों के प्रश्नों के उत्तर भी दिये। प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि किसी भी शिक्षण संस्थान की उन्नति के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि उसमें उच्च गुणवत्ता के शोध की अच्छी खासी संख्या हो। उन्होंने शिक्षकों को महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए आवेदन करने तथा उन्हें प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करने तथा सुविधाएं प्रदान करने का सुझाव दिया।
इस अवसर पर कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन भी उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि किसी भी संस्थान में जहां वैश्विक संस्थानों की सूची में शामिल होने का लक्ष्य रखा गया हो, गुणवत्तापरक शिक्षा व शोध दोनों ही अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इनमें से किसी एक में भी पिछड़ने से संस्थान व विद्यार्थी, दोनों का हित प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगा। प्रो. जैन ने आईआईटी गांधीनगर की उन्नति के लिए उत्तम पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रो. सतीश के. त्रिपाठी के साथ मिलकर काम करने के अनुभव भी साझा किये। कुलपति जी ने प्रो. त्रिपाठी का आभार जताया कि उन्होंने अपने समृद्ध अनुभव को बीएचयू के सदस्यों से साझा किया तथा उम्मीद जताई कि विश्वविद्यालय की विकास यात्रा में इस संवाद का लाभ अवश्य मिलेगा।