



डीएम ने पेयजल परियोजनाओं की धीमी प्रगति पर कार्यदायी संस्थाओं को कारण बताओं नोटिस जारी करने का दिया निर्देश
बस्ती : जल जीवन मिशन के अन्तर्गत पेयजल परियोजनाओं की धीमी प्रगति पर जिलाधिकारी श्रीमती प्रिंयका निरंजन ने असंतोष व्यक्त करते हुए दोनों कार्यदायी संस्थाओं को कारण बताओं नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। कलेक्टेªट सभागार में आयोजित समीक्षा बैठक में उन्होने पाया कि श्रीनिवास कांस्ट्रक्शन द्वारा 140 ग्राम पंचायतों के सापेक्ष 89 ग्राम पंचायतों का सर्वे किया गया है तथा मात्र 19 ग्राम पंचायतों का डीपीआर जमा किया गया है। इसी प्रकार मेघा कांस्ट्रक्शन द्वारा 592 ग्राम पंचायतों के सापेक्ष मात्र 24 का डीपीआर जमा किया गया है। शासन के निर्देशानुसार 31 अगस्त तक सभी ग्राम पंचायतों का डीपीआर जमा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
जिलाधिकारी ने निर्देश दिया है कि दोनों कार्यदायी संस्थाए सर्वे टीम तथा डिजायनिंग टीम की संख्या बढाये तभी बचे हुए समय में कार्य पूर्ण हो पायेगा। सर्वे टीम द्वारा घर-घर पाईपलाईन पहुॅचाने का सर्वे किया जाता है तथा इसके अनुसार डिजायनिंग टीम द्वारा डीपीआर बनाया जाता है। समीक्षा में दोनों कार्यदासी संस्थाओं के शिथिलता एवं उदासीनता को देखते हुए जिलाधिकारी ने प्रकरण को शासन को भी अवगत कराने का निर्णय लिया है।
उन्होने प्रत्येक सक्रिय पेयजल परियोजना क्षेत्र में जलकर की वसूली के लिए निर्देशित किया है। समीक्षा में उन्होने पाया कि जिन ग्राम पंचायतों में पेयजल योजना सक्रिय है, वहॉ भी जलकर की वसूली नही हो रही है, जिसके कारण, बिजली का बिल, आपरेटर का मानदेय तथा छोटी-मोटी मरम्मत नही हो पा रही है। इसके लिए उन्होने थर्ड पार्टी संस्था आईएसए को प्रत्येक गॉव में जाकर जागरूकता कार्यक्रम करने तथा लोगों को जलकर देने के लिए प्रेरित करने का निर्देश दिया है। उल्लेखनीय है कि आईएसए में 07 एनजीओ नामित किए गये है। जिलाधिकारी ने निर्देश दिया है कि इनको दो-दो ब्लाक एलाट किया जाय।
उन्होने जिला परियोजना मानीटरिंग यूनिट को भी सक्रिय भागीदारी निभाने का निर्देश दिया है। इसमें परियोजना की मानीटरिंग के लिए संस्था द्वारा 9 लोग संविदा पर तैनात किए गये है। इनके क्रियाकलापों को लेकर भी जिलाधिकारी ने अप्रसन्नता व्यक्त की है क्योकि समय से कार्य पूरा नही हो पा रहा है। जिलाधिकारी ने प्रत्येक पेयजल परियोजना से जुड़े घरों की सूची, कनेक्शन की सूची तथा जलकर की वसूली की रिपोर्ट तलब किया है। उन्होने रेट्रोफिटिंग वाली परियोजनाओं की सूची भी तलब किया है।
समीक्षा में उन्होने पाया कि फेज-1 में कुल 117 ग्राम पंचायते ली गयी थी, जिसमें से 62 परियोजना ग्राम पंचायतों को स्थानान्तरित कर दी गयी है। जल निगम के रिपोर्ट के अनुसार इसमें से 32 बन्द है। 55 परियोजनाए जल निगम द्वारा संचालित की जा रही है, जिसमें से 35 बन्द है। अधिशासी अभियन्ता संजय कुमार ने बताया कि इसमें अधिकतर पम्प जलने, स्टार्टर खराब होने या लिकेज होने के कारण बन्द है, जिसे दो सप्ताह में ठीक करा लिया जायेंगा।
परियोजना के फेज-2 में 212 ग्राम पंचायते ली गयी है, जिसमें से सभी में मेघा कांस्ट्रक्शन द्वारा डीपीआर प्रस्तुत कर दिया गया है। 103 परियोजना के लिए भूमि चिन्हित करते हुए 53 में बोरिंग करा ली गयी है। शेष 109 के भूमि चिन्हॉकन के लिए जिलाधिकारी ने सभी उप जिलाधिकारियो को निर्देशित किया है।
परियोजना के फेज-3 में श्रीनिवास कांस्ट्रक्शन द्वारा 140 ग्राम पंचायते तथा मेघा द्वारा 592 ग्राम पंचायते ली गयी है। श्रीनिवास कांस्ट्रक्शन द्वारा 140 में से 89 का सर्वे कर लिया गया है, इसमें 64 का भूमि चिन्हित हो गया है, 19 का डीपीआर बन गया है तथा 31 का डीपीआर 15 दिनों में जमा किया जायेंगा। मेघा द्वारा लिए गये 592 में से 230 परियोजनाओं के लिए भूमि चिन्हित हो गयी है। शेष भूमि चिन्हिकरण के लिए संबंधित उप जिलाधिकारी तथा बीडीओ को निर्देशित किया गया है।
बैठक में सीडीओ डा. राजेश कुमार प्रजापति ने कहा कि दोनों कांस्ट्रक्शन कम्पनी ब्लाकवार ग्राम पंचायतों की सूची दे दंे ताकि बीडीओ द्वारा भूमि चिन्हॉकन कराया जा सकें। बैठक का संचालन जिला विकास अधिकारी/परियोजना अधिकारी जल जीवन मिशन अजीत श्रीवास्तव ने किया। इसमें सभी ब्लाक के सहायक विकास अधिकारी पंचायत, कार्यदायी संस्थाओं के प्रतिनिधिगण उपस्थित रहे।
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