कागजी शिक्षको और फर्जी प्राचार्यों से सम्पन्न होगी सेमेस्टर परीक्षा-2022
अयोध्या : विश्वविद्यालय से सम्बद्ध अनुदानित महाविद्यालयों एवं स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों के अनुमोदित शिक्षको को अपने ही महाविद्यालय में आन्तरिक परीक्षक एवं विश्वविद्यालय मूल्यांकन के लिए वेतन स्टेटमेंट आधार नम्बर अनुमोदन पत्र एवं न्यूनतम 03 वर्ष का अनुभव मांगा जाता है किन्तु विगत परीक्षाओं की भांति ही पुनः सेमेस्टर-2022 में ऐसे ही स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों के प्रबन्धको के मोटे गुलाबी लिफाफो का प्रभाव रहा कि कुलपति अवध विश्वविद्यालय द्वारा मात्र 01 महीने से भी कम अवधि के अनुमोदित शिक्षको को सम्बन्धित महाविद्यालय का केन्द्राध्यक्ष बनाया जा रहा है।
राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी शिक्षक प्रकोष्ठ अयोध्या के अध्यक्ष डॉ अनन्त राम सिंह ने कुलपति अवध विश्वविद्यालय के द्वारा महाविद्यालय प्रबन्धको की मिलीभगत से परीक्षा मानको की धज्जियां उड़ाये जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बताया कि आज की तिथि में विश्वविद्यालय से सम्बद्ध 423 परीक्षा केन्द्रो में से 80% केन्द्रो में स्थलीय रुप से न तो शिक्षक है और न ही प्राचार्य,फिर भी तथाकथित पारदर्शितापूर्ण परीक्षाएं लिफाफो की बढ़ती मोटाई के साथ निरन्तर जारी है।
वास्तविकता तो यह हैकि कुलपति अवध विश्वविद्यालय के साथ साथ कुलसचिव परीक्षा नियंत्रक और विश्वविद्यालय प्रशासन,सभी के सभी व्यक्तिगत स्वार्थपूर्ति में महाविद्यालय प्रबन्धको के हाथो की कठपुतली बन चुके है। वास्तविकता तो यह है कि विश्वविद्यालय प्रशासन महाविद्यालय प्रबन्धको की गोंद में खेल रहा है। बिना किसी आक्षेप के प्रबन्धको द्वारा सेटिंग करके रातो रात परीक्षा केन्द्र बदलवाये जा रहे है, बिना केन्द्राध्यक्ष के परीक्षाएं करवायी जा रही है।
विश्वविद्यालय से किसी और के नाम पर प्राचार्य का अनुमोदन लेकर केन्द्राध्यक्ष नामित करवा लिया गया है, सूत्रों की मानें तो दिलचस्प तथ्य यह कि जिन व्यक्तियों को कुलपति अवध विश्वविद्यालय द्वारा मुख्य परीक्षा का केन्द्राध्यक्ष बनाया गया है, उसके मोबाइल पर काल करने पर या तो उस नम्बर पर कोई और बोलता है या फिर परीक्षा अवधि में ही सम्बन्धित व्यक्ति विश्वविद्यालय परिक्षेत्र के बाहर के किसी अन्य जनपद से ही बोलता है।
यह स्थिति इसलिए है कि कुलपति अवध विश्वविद्यालय द्वारा महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री एवं उच्च शिक्षा मंत्री के दर्जनो आदेशो के बावजूद महाविद्यालय प्रबन्धन की चापलूसी और लिफाफा लालसा में विगत दो वर्ष में यह देखने की जहमत नहीं की जा सकी कि जितने शिक्षको व प्राचार्यो का अनुमोदित विश्वविद्यालय से प्रदान किया गया, ऐसे शिक्षक व प्राचार्य सम्बन्धित महाविद्यालयों में कार्यरत भी हैं या नहीं ?
दूसरी तरफ डां.सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय परिक्षेत्र के अम्बेडकरनगर अयोध्या बाराबंकी सुल्तानपुर गोण्डा बहराईच जनपदो में विश्वविद्यालय द्वारा बनाये गये संकलन केन्द्रो की हकीकत यह हैकि स्वयं 95% प्राचार्य/केन्द्राध्यक्षो द्वारा न तो पेपर प्राप्त किया जा रहा है और न ही उत्तर पुस्तिका ही जमा की जा रही है। क्यों कि परीक्षा केन्द्र पर नाम किसी और का लिखा है काम कोई और कर रहा है। संकलन केन्द्रो से खुलेआम सम्बन्धित महाविद्यालयों के बाबुओ और चपरासियो द्वारा पेपर प्राप्त कर उत्तर पुस्तिका जमा की जा रही है।
शिक्षक प्रकोष्ठ अध्यक्ष डां.अनन्त राम सिंह ने स्पष्ट किया है, विश्वविद्यालय के भ्रष्टाचार, अनियमितता, मानक विहीन महाविद्यालयो, फर्जी शिक्षको, फर्जी आन्तरिक एवं बाह्यपरीक्षकों, प्राचार्यो एवं केन्द्राध्यक्षो से सम्बन्धित सूचना कुलपति/कुलसचिव अवध विश्वविद्यालय से मांगी गयी है। अब यह देखना होगा कि नियम नैतिकता और पारदर्शिता का दम्भ भरने वाले कुलपति अवध विश्वविद्यालय द्वारा क्या कैसी और कब सूचना दी जाती है।