हर साल चैत्र नवरात्रि का समापन राम नवमी के साथ होता है। ऐसा कहते हैं कि रामनवमी के दिन भगवान राम का धरती पर जन्म हुआ था। श्रीराम मध्य दोपहर में कर्क लग्न और पुनर्वसु नक्षत्र में पैदा हुए थे। भगवान राम के जन्म की इस तारीख का जिक्र रामायण और रामचरित मानस जैसे तमाम धर्मग्रंथों में किया गया है। श्री राम स्वयं भगवान विष्णु का सातवां अवतार थे। आज देश में रामनवमी का त्योहार धूमधाम से मनाया गया।
राष्ट्रपति ने रामनवमी की दी बधाई
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रामनवमी की पूर्व संध्या पर सभी देशवासियों को बधाई दी है। राष्ट्रपति ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाने वाला उल्लास और समृद्धि का यह पर्व हमें प्रेम, करुणा, मानवता और त्याग के मार्ग पर चलते हुए निःस्वार्थ सेवा का संदेश देता है। भगवान राम का जीवन मर्यादा और त्याग का सर्वोत्तम उदाहरण है और हमें मर्यादित और अनुशासित जीवन जीना सिखाता है।
राम नवमी पर सभी देशवासियों को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं। मर्यादा पुरूषोत्तम श्री राम के चरित से त्याग व सेवा का अमूल्य संदेश मिलता है। सभी देशवासी, प्रभु राम के उच्च आदर्शों को आचरण में ढालें और एक गौरवशाली भारत के निर्माण के लिए स्वयं को समर्पित करें, ऐसी मेरी मंगलकामना है।
— President of India (@rashtrapatibhvn) March 30, 2023
पीएम मोदी ने ट्वीट कर दी शुभकामनाएं
पीएम मोदी ने रामनवमी के पावन अवसर पर सभी देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया- “रामनवमी के पावन-पुनीत अवसर पर समस्त देशवासियों को अनेकानेक शुभकामनाएं। त्याग, तपस्या, संयम और संकल्प पर आधारित मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान रामचंद्र का जीवन हर युग में मानवता की प्रेरणाशक्ति बना रहेगा।”
रामनवमी के पावन-पुनीत अवसर पर समस्त देशवासियों को अनेकानेक शुभकामनाएं। त्याग, तपस्या, संयम और संकल्प पर आधारित मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान रामचंद्र का जीवन हर युग में मानवता की प्रेरणाशक्ति बना रहेगा।
— Narendra Modi (@narendramodi) March 30, 2023
अयोध्या में उमड़ा भक्तों का हुजूम
अयोध्या में बड़े धूमधाम से रामनवमी मनाई जा रही है। आज श्री राम लला के अस्थाई गर्भ गृह में यह आखिरी श्री राम जन्ममोत्सव मनाया जा रहा है। अगले वर्ष रामलला अपने दिव्य और भव्य मंदिर के गर्भ गृह में स्थापित हो जाएंगे। आज रामनवमी के दिन रामलला को पंचामृत स्नान और इत्र का लेप लगाकर नवीन वस्त्र धारण कराया गया है। रामलला के जन्मोत्सव पर 56 भोग लगाया गया है। उन्हें नवीन वस्त्र धारण कराकर सोने का मुकुट भी पहनाया गया। राम जन्मोत्सव के समय सभी भक्तों को राम जन्मभूमि में रोकना संभव नहीं है इसलिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट राम जन्मोत्सव का दूरदर्शन पर लाइव प्रसारण किया गया।
सिर्फ भारत के ही नहीं हैं राम
भारत के कण-कण में राम बसे हैं। भारत की राम के बिना कल्पना करना ही असंभव है। सारा भारत राम को अपना आराध्य और पूजनीय मानता है पर भगवान राम को सिर्फ भारत तक सीमित करना उचित नहीं होगा। वैसे तो थाईलैंड बौद्ध देश हैं पर वहां भी राम आराध्य हैं। थाईलैंड के बौद्ध मंदिरों में आपको ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मूर्तियां और चित्र भी मिल जाएंगे। थाईलैंड का राष्ट्रीय ग्रन्थ रामायण है। वैसे थाईलैंड में थेरावाद बौद्ध के मानने वाले बहुमत में हैं, फिर भी वहां का राष्ट्रीय ग्रन्थ रामायण है। जिसे थाई भाषा में “ राम-कियेन“ कहते हैं l जिसका अर्थ राम-कीर्ति होता है, जो वाल्मीकि रामायण पर आधारित है l थाईलैंड में राजा को राम ही कहा जाता है। उसके नाम के साथ अनिवार्य रूप से राम लगता है। राज परिवार अयोध्या नामक शहर में रहता हैl ये स्थान बैंकॉक से 50-60 किलोमीटर दूर है।
इंडोनेशिया की संस्कृति पर रामायण की छाप
इस्लामिक देश इंडोनेशिया की संस्कृति पर रामायण की गहरी छाप है। इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप का नामकरण सुमित्रा के नाम पर हुआ था। इंडोनेशिया के जावा शहर की एक नदी का नाम सरयू है। इंडोनेशिया की रामलीला के बारे में अक्सर लिखा जाता है।
राम नाम भारत से बाहर जा बसे करोड़ों भारतवंशियों को जोड़ता है
ब्रिटेन को 1840 में गुलामी का अंत होने के बाद श्रमिकों की जरूरत पड़ी जिसके बाद भारत से “गिरमिटिया मजदूर” या एग्रीमेंट पर लाये जाने वाले मजदूर बाहर के देशों में जाने लगे। गोरी सरकार बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश, बिहार और कुछ अन्य राज्यों के लोगों को श्रमिकों के रूप में मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम और कैरेबियाई टापू देशों में लेकर गई थी। उन मजदूरों से गन्ने के खेतों में काम करवाया जाता था। भारत के बाहर जाने वाला प्रत्येक भारतीय अपने साथ एक छोटा भारत ले कर गया था। इसी तरह भारतवंशी अपने साथ तुलसी रामायण, हिंदी भाषा, खान पान एवं परंपराओं के रूप में भारत की संस्कृति ले कर गए थे। भगवान राम भारत से बाहर जाकर बसे भारतीयों के सदैव आराध्य रहे। राम का नाम भारत से बाहर जा बसे करोड़ों भारतवंशियों को एक-दूसरे से जोड़ता है।