Saturday, July 27, 2024
spot_img

AYODHYA LIVE :कैसे भगवान राम के नाम पर पड़ी रामनवमी,जानें इस बार क्यों है खास : पंडित सुधांशु तिवारी (ज्योतिषचार्य व एस्ट्रोलॉजर)

60 / 100

कैसे भगवान राम के नाम पर पड़ी रामनवमी, जानें इस बार क्यों है खास : पंडित सुधांशु तिवारी
(ज्योतिषचार्य व एस्ट्रोलॉजर)

JOIN

इस बार चैत्र नवरात्रि की राम नवमी 30 मार्च दिन बृहस्पतिवार को मनाई जाएगी. क्या आपको मालूम है कि आखिरी नवरात्र का नाम भगवान श्री राम के नाम पर ही क्यों पड़ा है. आइए आज आपको इसके पीछे का रहस्य बताते हैं.

 नवरात्रि का समापन राम नवमी के साथ होता है. इस बार चैत्र नवरात्रि की रामनवमी 30 मार्च दिन बृहस्पतिवार को मनाई जाएगी. क्या आपको मालूम है कि आखिरी नवरात्र का नाम भगवान श्रीराम के नाम पर ही क्यों पड़ा है. आइए आज आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी देंगे. साथ ही, जानेंगे कि इस बार रामनवमी का महापर्व खास क्यों रहने वाला है।


ऐसा कहते हैं कि भगवान राम का धरती पर जन्म इसी दिन हुआ था. भक्तों के दुख दूर करने और दुष्टों का अंत करने के लिए श्रीराम त्रेता युग में इसी दिन पैदा हुए थे. वासंतिक नवरात्र के नौवें दिन उनका जन्म हुआ था. श्रीराम मध्य दोपहर में कर्क लग्न और पुनर्वसु नक्षत्र में पैदा हुए थे. भगवान राम के जन्म की इस तारीख का जिक्र रामायण और रामचरित मानस जैसे तमाम धर्मग्रंथों में किया गया है. श्री राम स्वयं भगवान विष्णु का सातवां अवतार थे।


भगवान राम और रावण के बीच युद्ध की कहानी भी नवरात्रि से जोड़कर देखी जाती है. ऐसा कहते हैं कि जिस वक्त श्री राम सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाने के लिए युद्ध लड़ रहे थे. उस समय रावण पर विजय पाने के लिए भगवान श्री राम ने देवी दुर्गा का अनुष्ठान किया था. यह पूजा अनुष्ठान पूरे 9 दिनों तक चला था. जिसके बाद मां दुर्गा ने भगवान श्री राम के सामने प्रकट होकर उन्हें जीत का आशीर्वाद दिया था. वहीं, दसवें दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध कर विजय हासिल की थी.

इस बार क्यों खास है राम नवमी?

इस बार नवमी तिथि पर बृहस्पतिवार और पुनर्वसु नक्षत्र दोनों हैं. इसलिए रामनवमी पर श्रीराम के जन्म नक्षत्र का संयोग भी बन गया है. इस संयोग के कारण आपकी पूजा, उपासना विशेष लाभकारी होगी. इस दिन की गई प्रार्थना निश्चित रूप से स्वीकृत होगी. इस शुभ दिन पर आप नए वस्त्र और नए रत्न धारण कर सकते हैं. इस महासंयोग पर आप दान करें तो और भी ज्यादा शुभ होगा.

श्रीराम नवमी पूजा विधि

मध्य दोपहर में भगवान राम की पूजा अर्चना करनी चाहिए. श्री रामचरितमानस का पाठ करें या श्री राम के मंत्रों का जाप करें. जिन महिलाओं को संतान उत्पत्ति में बाधा आ रही हो. ऐसी महिलाएं भगवान राम के बाल रूप की आराधना जरूर करें. श्री राम जी की पूजा-अर्चना करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं. गौ, भूमि, वस्त्र आदि का दान करें।

राम नवमी आज


राम नवमी, जिसे भगवान राम के जन्म के रूप में भी जाना जाता है, इस वर्ष गुरुवार, 30 मार्च को मनाई जाएगी। रामनवमी का शुभ पर्व चैत्र नवरात्रि के अंतिम दिन मान्य जाता है। चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू हुई और 30 मार्च तक मनाई जाएगी। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। इसलिए इस दिन को प्रत्येक वर्ष भगवान राम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था। दृक पंचांग के अनुसार, छह घटियों तक चलने वाला मध्याह्न रामनवमी पूजा अनुष्ठान करने का सबसे शुभ समय है।

रामनवमी की तिथि

चैत्र मास 2023 की नवमी तिथि आरंभ: 29 मार्च 2023, रात्रि 09:07 मिनट से।
चैत्र मास 2023 की नवमी तिथि समाप्त: 30 मार्च 2023, रात्रि 11:30 पर।

रामनवमी का शुभ मुहूर्त

इस वर्ष राम नवमी का पर्व गुरुवार, 30 मार्च, 2023 को मनाया जाएगा।
रामनवमी मध्याह्न मुहूर्त: प्रातः 11:11 बजे से शुरू होकर दोपहर 01: 40 मिनट तक।

राम नवमी की पूजा विधि

भगवान राम को समर्पित इस विशेष दिन पर भक्तों को जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए।
उसके बाद उसे घर और पूजा कक्ष की सफाई करें।
पूजा कक्ष में भगवान राम की एक मूर्ति या फ्रेम रखें।
अब भगवान को भोग लगाने के लिए प्रसाद तैयार करें।
अब आरती की थाल को अक्षत, चंदन और अगरबत्ती से सजाएं।
मुहूर्त में रामायण या अन्य पवित्र ग्रंथों का पाठ करें और आरती करें।

रामरक्षा मंत्र

रामनवमी के दिन राम रक्षा मंत्र का जाप करने से आपके सारे कष्ट दूर हो सकते हैं। राम नवमी के दिन एक कटोरी में गंगा जल या स्वच्छ पानी लेकर राम रक्षा मंत्र ‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं रामचन्द्राय श्रीं नम:’ का जाप 108 बार करें। इसके बाद उस जल का छिड़काव घर के कोने-कोने में कर दें।

श्री राम स्तुति

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भव भय दारुणं।
नव कंजलोचन, कंज–मुख, कर–कंज, पद कंजारुणं।।

कंन्दर्प अगणित अमित छबि नवनील – नीरद सुन्दरं ।
पटपीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमि जनक सुतवरं।।

भजु दीनबंधु दिनेश दानव – दैत्यवंश – निकन्दंन ।
रघुनन्द आनंदकंद कौशलचन्द दशरथ – नन्दनं ।।

सिरा मुकुट कुंडल तिलक चारू उदारु अंग विभूषां ।
आजानुभुज शर – चाप – धर सग्राम – जित – खरदूषणमं ।।

इति वदति तुलसीदास शंकर – शेष – मुनि – मन रंजनं ।
मम ह्रदय – कंच निवास कुरु कामादि खलदल – गंजनं ।।

मनु जाहिं राचेउ मिलहि सो बरु सहज सुन्दर साँवरो ।
करुना निधान सुजान सिलु सनेहु जानत रावरो।।

एही भाँति गौरि असीस सुनि सिया सहित हियँ हरषीं अली ।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनिपुनि मुदित मन मन्दिरचली।।

दोहा
जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे।।

JOIN

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

For You
- FOLLOW OUR GOOGLE NEWS FEDS -spot_img
डा राम मनोहर लोहिया अवध विश्व विश्वविद्यालय अयोध्या , परीक्षा समय सारणी
spot_img

क्या राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द होने से कांग्रेस को फायदा हो सकता है?

View Results

Loading ... Loading ...
Latest news
प्रभु श्रीरामलला सरकार के शुभ श्रृंगार के अलौकिक दर्शन का लाभ उठाएं राम कथा सुखदाई साधों, राम कथा सुखदाई……. दीपोत्सव 2022 श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने फोटो के साथ बताई राम मंदिर निर्माण की स्थिति