निराश्रित नहीं होगा एक भी गोवंश, सबके आश्रय/भरण-पोषण का होगा प्रबंध: मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री का निर्देश, गोवंश पालकों और गोआश्रय स्थलों को हर माह तय समय पर , डीबीटी से मिले धनराशि
अंत्येष्टि स्थलों पर दाह संस्कार में गोवंश गोइठा का हो उपयोग, निराश्रित गोवंश स्थल से मिलेगा गोइठा: मुख्यमंत्री
एडीओ पंचायत/पशुपालन अधिकारी हर माह करेंगे गोवंश सत्यापन, शासन से तुरंत जारी होगा पैसा
निराश्रित गोवंश संरक्षण में जनसहयोग का स्वागत, अब तक 11.33 लाख गोवंश संरक्षित
पशुपालन, दुग्ध उत्पादन, विक्रय, नस्ल सुधार आदि की विभागीय मंत्री द्वारा साप्ताहिक समीक्षा की जाए: मुख्यमंत्री
सभी जनपदों में दुग्ध समितियों के गठन को और विस्तार दिया जाए: मुख्यमंत्री
● मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने सोमवार को आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में निराश्रित गोवंश आश्रय स्थलों के प्रबंधन और प्रदेश में दुग्ध उत्पादन/संग्रह की अद्यतन स्थिति की समीक्षा करते हुए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
● राज्य सरकार पशु संवर्धन, संरक्षण के लिए सेवाभाव के साथ सतत प्रयासरत है। गोवंश सहित सभी पशुपालकों के प्रोत्साहन के लिए सरकार द्वारा अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं। पात्र लोगों को इसका लाभ मिलना सुनिश्चित कराया जाए।
● जनभावनाओं का सम्मान करते हुए राज्य सरकार द्वारा निराश्रित गोवंश का संरक्षण करते हुए उनके चारे-भूसे के लिए भी आवश्यक प्रबंध किया गया है। वर्तमान में संचालित 6719 निराश्रित गोवंश संरक्षण स्थलों में 11 लाख 33 हजार से अधिक गोवंश संरक्षित हैं। बीते 20 जनवरी से 31 मार्च तक संचालित विशेष अभियान के तहत 1.23 लाख गोवंश संरक्षित किए गए। यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रदेश के सभी ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कोई भी गोवंश निराश्रित न हो।
● जनपद संभल, मथुरा, मीरजापुर, शाहजहांपुर, संतकबीरनगर, अमरोहा, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद और फर्रुखाबाद में सर्वाधिक गोवंश संरक्षित किए गए हैं। गोवंश संरक्षण के लिए जारी नियोजित प्रयासों के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। चरणबद्ध रूप से सभी जिलों में इसी प्रकार निराश्रित गोवंश का बेहतर प्रबंधन किया जाए।
● सभी प्रकार के निराश्रित गोवंश स्थलों को चारा-भूसा व अन्य आवश्यक कार्यों के लिए उपलब्ध कराई जाने वाली धनराशि सीधे गो-आश्रय स्थलों को उपलब्ध कराई जाए। डीबीटी प्रणाली उपयोग में लाएं। हर माह की 25 से 30 तारीख तक गोवंश का सत्यापन करते हुए विकास खंड स्तर पर पशुपालक अधिकारी और एडीओ पंचायत/बीडीओ द्वारा रिपोर्ट जिला प्रशासन को भेजी जाएगी। इसके बाद, अगले माह की 05 तारीख तक मुख्य पशुपालन अधिकारी और मुख्य विकास अधिकारी द्वारा शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाए कि यह धनराशि गोवंश के लिए है, उसका सदुपयोग हो। गोवंश को केवल सूखा भूसा ही नहीं, हरा चारा भी दिया जाए। स्थानीय जनता का सहयोग लें। पैसा मिलते ही चोकर/भूसा खरीद का भुगतान कर दिया जाए।
● गोवंश संरक्षण के लिए प्रदेश में वृहद संरक्षण केंद्र बनाए जा रहे हैं। यह सुखद है कि अब तक 274 वृहद गोवंश संरक्षण केंद्र क्रियाशील हो गए हैं। आगामी छह माह में शेष 75 वृहद गोवंश स्थल तैयार कर लिए जाएं। इससे आमजन को बड़ी सुविधा मिलेगी।
● गोवंश संरक्षण स्थलों पर केयर टेकर तैनात किए जाएं। गायों को समय-समय पर घुमाने भी ले जाना चहिए। गोवंश की बीमारी/मृत्यु की दशा में यह केयर टेकर सभी आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित करेगा।
● गोवंश संरक्षण के लिए संचालित मुख्यमंत्री सहभगिता योजना के आशातीत परिणाम मिले हैं। अब तक 17 लाख 74 हजार से अधिक गोवंश इस योजना के तहत आमजन को सुपुर्द किए गए हैं। और कुपोषित बच्चों वाले परिवार को दूध की उपलब्धता के लिए पोषण मिशन के अंतर्गत 3,598 गोवंश दिए गए हैं। गोवंश की सेवा कर रहे सभी परिवारों को ₹900 प्रतिमाह की राशि हर महीने उपलब्ध करा दी जाए। इसमें कतई विलम्ब न हो। डीबीटी के माध्यम से धनराशि सीधे परिवार को भेजी जाए। गोवंश सत्यापन के लिए स्थानीय स्तर पर उपजिलाधिकारी स्तर के अधिकारी को नामित किया जाए।
● अंत्येष्टि स्थल/श्मशान घाट पर उपयोग की जाने वाली कुल लकड़ी में 50% गोवंश उपला/गोइठा का उपयोग किया जाए। यह उपला/गोइठा निराश्रित गोवंश स्थल से उपलब्ध कराया जाएगा। गोइठा से होने वाली आय उस गोवंश स्थल के प्रबंधन में उपयोग हो सकेगी।
● सभी 17 नगर निगमों और नगर पालिका वाले जिला मुख्यालयों पर कैटल कैचर वाहन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
● प्रदेश की सहकारी दुग्ध समितियों से जुड़े दुग्ध उत्पादकों के दुग्ध का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करते हुए आम जनमानस को गुणवत्तायुक्त दूध और दूध उत्पाद उचित मूल्य पर उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार संकल्पित है। सतत समन्वित प्रयासों से प्रदेश में दुग्ध समितियों ने दुग्ध उत्पादन, संग्रह, विक्रय आदि में अभूतपूर्व कार्य किया है। इससे हमारे पशुपालकों की आय में बढ़ोतरी हुई है। बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर जैसी संस्थाओं ने अनुकरणीय कार्य किया है। सभी जनपदों में दुग्ध समितियों के गठन को और विस्तार दिया जाए। इसमें महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।
● राज्य सरकार ने जनपद कानपुर, मुरादाबाद, गोरखपुर, आजमगढ़ और प्रयागराज में निजी क्षेत्र के सहयोग से नए डेयरी प्लांट स्थापित करने का निर्णय लिया है। इस सम्बंध में मंत्रिपरिषद के निर्णयानुसार आवश्यक कार्यवाही की जाए।
● दुग्ध एवं दुग्ध पदार्थों की ऑनलाईन बिक्री की व्यवस्था हेतु ई-कामर्स पोर्टल paragdairy.com उपयोगी सिद्ध हो रहा है। प्रदेश के शहरी क्षेत्रों मे पराग मित्र एवं ग्रामीण क्षेत्रों में महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से ऑनलाइन दुग्ध एवं दुग्ध उत्पादों का विक्रय किया जा रहा है। ई-कामर्स पोर्टल के माध्यम से अब तक 71,068 उपभोक्ता, 89 महिला स्वंय सहायता समूह व 215 पराग मित्र जोड़े जा चुके हैं। ई-कामर्स पोर्टल के माध्यम से लगभग 6 करोड़ का व्यवसाय किया गया है। इसे और मजबूत बनाए जाने के लिए आवश्यक प्रयास किए जाएं।
● उत्तर प्रदेश दुग्ध उत्पादन में अग्रणी राज्य है। गांवों में दुग्ध सहकारी समितियों गठित कर दुग्ध उत्पादकों को गांव में ही उनके दूध के उचित मूल्य पर विक्रय की सुविधा उपलब्ध कराने हेतु नन्द बाबा दुग्ध मिशन योजना संचालित की गयी है। इसके अच्छे परिणाम मिले हैं। अधिकाधिक दुग्ध उत्पादकों को इसका लाभ दिलाया जाए।
● गोवंश नस्ल सुधार के कार्यक्रमों को बढ़ाये जाने की जरूरत है। विकास खंड पर स्थापित वृहद गो-आश्रय स्थल इस कार्य के लिए उपयोगी हो सकते हैं।
● पशुपालकों को आपातकालीन सहायता के लिए टॉल फ्री हेल्पलाइन नंबर का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। यहां कभी भी कोई भी पशुपालक चिकित्सक से परामर्श प्राप्त कर सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को इस सेवा के बारे में अधिकाधिक जानकारी दी जाए, ताकि लोग इस सेवा का लाभ उठा सकें।
● पशुपालन, दुग्ध उत्पादन, विक्रय, नस्ल सुधार आदि सम्बंधित विषयों की संबंधित विभागीय मंत्री द्वारा साप्ताहिक समीक्षा की जाए। लक्ष्य निर्धारित करें, उसके सापेक्ष प्रयास करें।
गायों के लिए शुरू होने वाली यह योजना उन्हें कत्लखाने में जाने से रोकने में मदद करेगी। इसके अलावा, यह योजना किसानों को गायों को पीछे लाने और उनके दूध, मूत्र और गाय गोबर की बिक्री के माध्यम से अतिरिक्त आय अर्जित करने में सक्षम करेगी। इस योजना में, प्रत्येक किसान को स्वदेशी नस्ल की दो उच्च दूध पैदा करने वाली गायों मिलेंगी। हसानन्द गौचर भूमि ट्रस्ट (Hasanand Gochar Bhoomi Trust) इस योजना के लिए पदाधिकारी है। अगर आप भी उत्तर प्रदेश में गौशाला कैसे खोले या गौशाला रजिस्ट्रेशन प्रोसेस इन उत्तर प्रदेश की पूरी जानकारी चाहते हो तो आगे पढ़ना जारी रखें।
Latest Update – आप लोगों को ये जानकर प्रसन्नता होगी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने राज्य के बेरोजगार युवकों के लिए “गोपालक योजना- कामधेनु डेयरी लोन स्कीम” की शुरुआत की है। इस योजना के माध्यम से बेरोजगार युवक डेयरी फॉर्म के बैंक से लोन पर सब्सिडी ले सकते हैं। गोपालक योजना उत्तर प्रदेश ऑनलाइन फॉर्म कामधेनु डेयरी लोन स्कीम के बारे में अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें। धन्यवाद-
Gopalak Yojana Online Form – Kamdhenu Dairy Loan Scheme
UP Gau Gram/ Gaushala Scheme 2023
जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया था कि यूपी गौ ग्राम योजना (UP Gau Gram Yojana) योगी सरकार की गौ हत्या रोकने और उन्हें पुनः आश्रित करने के लिए एक बहुत ही अच्छी पहल है। इस योजना की महत्वपूर्ण विशेषताएं इस प्रकार हैं:
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उत्तर प्रदेश गौ ग्राम योजना गायों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए एक आवश्यक कदम है।
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किसान गाय दूध से अतिरिक्त कमाई (Extra Earnings) कर सकते हैं जो प्रोटीन का एक अच्छा स्रोत है और यहां तक कि गाय मूत्र से भी किसान जैविक खाद के रूप में उपयोग कर सकते हैं।
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प्रारंभ में, सरकार शहरी क्षेत्रों (Urban Areas) में गौशालाएँ खोल देगी और बाद में, सरकार विभिन्न तहसीलों और गांवों में भी इसे खोल देगी।
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इसके अलावा, सरकार आम लोगों से इस तरह की कई गौशालाएँ (Cowsheds) खोलने की उम्मीद करती है।
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इस गौ ग्राम योजना का प्राथमिक उद्देश्य गायों को वध (Slaughtering) करने से रोकने और उनके उचित पालन के लिए गोशालों खोलने के लिए है।
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इस योजना में, सरकार गांव में गोशालों खोलने के लिए वित्तीय सहायता (Financial Assistance) प्रदान करेगी।
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तदनुसार, यूपी सरकार चरणबद्ध तरीके से राज्य में अधिक गोशाला खोलने की योजना बना रही है।
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हसानन्द गोचर भूमि ट्रस्ट “महामना गोग्राम योजना (Mahamana Gogram Yojana)” के तहत गौशालाएँ खोलने को बढ़ावा देगा और स्वदेशी नस्ल की 10,000 गायों को समायोजित करेगा।