शुरू होते ही अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ी कान्हा गौशाला
नवाबगंज। क्षेत्र के कल्यानपुर गाँव में नगरपालिका द्वारा 165 करोड़ की लागत से बनी कान्हा गौशाला में निर्माण संबंधी खामियों के चलते कई वर्षों तक पानी भरा था। नवागत मुख्य विकास अधिकारी एम.अरुनमोली के निरीक्षण और दिशानिर्देश के बाद आनन-फानन में इसका कायाकल्प कर कस्बे और आस-पास के गाँवों से छुट्टा गौवंशों को गौशाला में आश्रय भी दे दिया गया है।
हालांकि गौशाला में अभी भी निर्माण कार्य चल रहा है। 200 गौवंश की क्षमता वाली इस गौशाला में मौके पर 125 के करीब गौवंश मौजूद हैं लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण यह गौशाला भी अव्यवस्थाओं की बलि चढ़ रही है। यहां पर भूसा पर्याप्त मात्रा में मौजूद है लेकिन जानवरों को भूसा डालने वाले नदारद दिखे।
जानवरों के पानी पीने के लिए बनाए गए टैंक में भरा पानी इतना नीचे है कि जानवर पानी तक नहीं पंहुच पा रहे हैं जिससे भूख-प्यास एवं गर्मी से व्याकुल कुछ जानवर भूसे के कमरे में घुस कर भूसा खाते दिखे। जिससे पूरे परिसर में भूसा बिखरा है । गौशाला में एक बीमार गौवंश तड़प रहा था। यहां अभी हरे चारे और दाने की व्यवस्था नहीं की गई है।
फिलहाल यहां मिट्टी पटाई का कार्य कर इसे और उंचा किया जा रहा है ताकि बाढ़ का पानी यहां दोबारा न भरे। नगरपालिका परिषद नवाबगंज के ईओ रंगबहादुर सिंह ने कहा कि अव्यवस्थाओं को दूर करने का प्रयास लगातार किया जा रहा है वहीं गौशाला के सुपरवाइजर राजेश गौशाला में व्याप्त अव्यवस्थाओं पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाये।
मुख्य रूप से नगरपालिका क्षेत्र के छुट्टा मवेशियों को आश्रय देने के आशय से यह गौ-आश्रय केंद्र बनाया गया है लेकिन अभी भी कस्बे सहित नगरपालिका क्षेत्र में दर्जनों छुट्टा गौवंश आश्रय की तलाश में घूम रहे हैं।