Saturday, July 27, 2024
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वृद्धाश्रम में जाकर जीआर एकेडमी के बच्‍चों ने दिए बुजुर्गों को फल व मिठाइयां

वृद्धाश्रम में जाकर जीआर एकेडमी के बच्‍चों ने दिए बुजुर्गों को फल व मिठाइयां

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–    एकेडमी के प्रबन्‍ध तंत्र ने बच्‍चों के साथ वृद्धाश्रम में जाकर बांटा प्‍यार
–    बच्‍चों व शिक्षक – शिक्षिकाओं ने भी पढ़ा बुजुर्गों के साथ प्रेम का पाठ

संतकबीरनगर जिला मुख्‍यालय के बगल में स्थित जी आर सीनियर सेकेण्‍डरी एकेडमी, देवड़ाड़, खलीलाबाद के बच्‍चों ने खलीलाबाद के गोरखल में स्थित वृद्धाश्रम में जाकर बुजुर्गों को फल और मिठाइयां देकर उनकी सेवा की। एकेडमी के प्रबंध तन्‍त्र के साथ ही शिक्षक – शिक्षिकाओं और बच्‍चों ने बुजुर्गों के साथ जाकर उनका प्‍यार बांटा तथा आशीर्वाद प्राप्‍त किया ।

एकेडमी के स्‍थापना दिवस के अवसर पर मुख्‍य संरक्षक घनश्‍याम त्रिपाठी के मार्गदर्शन तथा एकेडमी के प्रबंध निदेशक प्रवीण त्रिपाठी के नेतृत्‍व में वृद्धाश्रम में बच्‍चों ने जाकर बुजुर्गों को फल तथा मिठाई देकर उनकी सेवा की। इस दौरान बच्‍चों को बुजुर्गों ने अपना स्‍नेहाशीष भी दिया। इस अवसर पर प्रबन्ध निदेशक प्रवीण त्रिपाठी ने कहा कि एकेडमी के स्‍थापना दिवस पर एकेडमी के बच्‍चों को यहां पर लेकर आया था। यहां आकर बच्‍चों को लगा कि जैसे अपने घर में आए हों। बच्‍चों ने बुजुर्गों को फल आदि प्रदान करके उनको अपना स्‍नेहाशीष प्रदान किया। इस दौरान एकेडमी की समन्‍वयक शिवानी सिंह, शिक्षक रोहित उपाध्‍याय, आशुतोष अग्रहरि, एसपी गुप्‍ता, सीमा खान, सुगंधा चौरसिया, पूजा, जिला वर्मा, देवेन्‍द्र, विकास राय उपस्थित रहे। छात्र छात्राओं में रोहन उपाध्‍याय, विकास कसौधन, शास्‍वत राय, समीर खान, दीक्षा दीक्षित, स्‍नेहा श्रीवास्‍तव, अंशिका पटेल, शिखर दीक्षित, उत्‍कर्ष शुक्‍ला समेत अन्‍य मौजूद रहे।

बच्‍चे बोले दादी-बाबा! हम फिर आएंगे

वृद्धाश्रम में बुजुर्गों को देखकर बच्‍चे द्रवित हो गए। वही बुजुर्गों के अन्‍दर बच्‍चों को देखकर प्‍यार उमड़ आया था। शायद उन्‍हें भी अपने नाती – पोतों की याद आ गयी थी। उनको फल, मिठाइयों और अन्‍य वस्‍तुएं देने के बाद भी बच्‍चे वहां पर बुजुर्गों से बातें करते रहे। उनके बारे में पूछते रहे। ऐसा लग रहा था मानों उनसे उनका अपनापन हो गया था। उन बुजुर्गों के बीच ये बच्‍चे अपने दादी – बाबा का अक्‍स देख रहे थे। काफी भरे मन से यह बच्‍चे वहां से वापस लौटने लगे तो उनके साथ अपनी फोटो खिंचवाई। उनको हाथ हिलाकर बाय कहा तो जैसे बुजुर्गों की आंखें भर आई थीं। उनके अन्‍दर बच्‍चों के प्रति असीम स्‍नेह उमड़ रहा था। जाते जाते बच्‍चे बोले कि दादी – बाबा हम फिर यहां आएंगे। मानों वह कह रहे हों कि आपके बच्‍चों ने आपको भले ही छोड़ दिया। लेकिन हम तो हैं ना ।

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