



दिल्ली । बीते दो– 3 महीनों से स्थिरता के पायदान पर ठहरे हुई घरेलू गैस सिलंडर और पैट्रोलियम पदार्थों की कीमतें यूक्रेन और रूस के बीच छिड़ी जंग के बाद आम जनता को महंगाई की भट्टी में झोंकने वाली हैं। व्यापार के साथ जुड़े माहिरों की मानें तो 2 महीनों के समय के दौरान कच्चे तेल की कीमतों में हैरान कर देने वाला विस्तार हुआ है। उन्होंने बताया कि क्रूड ऑयल 65 डॉलर प्रति बैलर से बड़ कर 100 डॉलर बैलर का संख्या पार कर चुका है, जो कि सीधे तौर पर आम जनता की रसोई घरों और आम बजट को प्रभावित करेगा और मार्च के पहले हफ्ते में ही घरेलू गैस सिलंडर समेत पेट्रोल और डीजल की कीमत अचानक आसमान छूने लगेंगी।
उक्त मामले को लेकर पंजाब पैट्रोलियम डीलर एसोसिएशन के पंजाब प्रधान परमजीत सिंह दोआबा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि अलग -अलग राज्यों में हो रही विधानसभा चुनाव के कारण ही केंद्र की मोदी सरकार की तरफ से पिछले करीब ढाई महीनों से घरेलू गैस सिलंडर समेत पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई विशेष बदलाव नहीं किया गया पर मौजूदा समय के दौरान यू.पी. की वोट आखिरी पड़ाव में पहुंच गई हैं। लिहाजा मार्च के पहले हफ्ते में पेट्रोलियम और कुदरती गैस मंत्रालय मतदान का दौर खत्म होते ही पेट्रोल, डीजल की कीमतों में प्रति लीटर 10 रुपए और रसोई गैस सिलंडर की कीमतों भी 100 लेकर 120 रुपए तक की बड़ी छलांग मार सकती है।
इसके साथ ही पैट्रोलियम कारोबार के साथ जुड़े बड़े महारथी अशोक , राकेश मोहनलाल प्रदीप सचदेवा, रणजीत सिंह रमेश गांधी, कमल शर्मा ने कहा कि तेल और गैस की कीमतों का संख्या बढ़ने साथ कारोबारियों को दोहरा नुक्सान बरदाश्त करना पड़ेगा, जिसमें से जहां एक तरफ कारोबारियों की लागत कई गुणा तक अधिक जाएगी तो वही तेल की बिक्री का ग्राफ गिरने साथ पंप के खर्चे तक निकालने के लिए डीलरें को भारी पसीना बहाना पड़ेगा।
उन्होंने साफ किया कि मौजूदा समय में 12,000 लीटर तेल की जो गाड़ी करीब ग्यारह लाख साढ़े ग्यारह लाख रुपए डीलरों को पड़ रही है। उसी गाड़ी के डीलरें को 14-15 लाख तक अदा करने पड़ सकते हैं, जबकि उनमें डीलरों की कमीशन राशि पिछले करीब 6-7 सालों से वहां की वहां खड़ी हुई है, जबकि इस दौरान तेल की कीमतों में करीब 2 गुणा तक का बड़ा उछाल दर्ज किया गया है।
यूरोपियन देश यूक्रेन में बड़ी बड़ी शानदार बिल्डिंगें है चमचमाती हुई सड़कें और लंबी लक्जरी कार गाडियां हैं सड़कों पर साइकिल तो क्या दोपहिया वाहन भी दिखाई नहीं देते क्योंकि सबके पास महंगी लक्जरी गाडियां जो है अच्छे मैडिकल कॉलेज भी है ,युनिवर्सिटी है तभी तो मैडिकल शिक्षा के लिए भारत के हजारों छात्र यूक्रेन में पढ़ाई कर रहें हैं यानि यूक्रेन में चारों तरफ संपन्नता है अगर नहीं है तो सामरिक शक्ति ,मजबूत सेना , अत्याधुनिक हथियार और वहां की जनता में राष्ट्रवादी भावना यही कारण है कि मात्र दो घंटे में रुस ने यूक्रेन को घुटनों पर लाकर खड़ा कर दिया यूक्रेन के सेनिक भाग खड़े हुए हैं यूक्रेन के राष्ट्रपति आम लोगों से युद्ध लड़ने की अपील कर रहें हैं इसके लिए सारी पाबंदियां भी हटा दी गई है यूक्रेन आम नागरिकों को युद्ध लड़ने के लिए हथियार देने की बात भी कह रहा है पर मजाल यूक्रेन का एक भी नागरिक युद्ध लड़ने को तैयार हुआ हो , क्योंकि यूक्रेन के नागरिकों में ईजराईल के नागरिकों की तरह राष्ट्रवाद की भावना ही नहीं है वो तो ऐशो आराम की जिंदगी जीने के आदि हो चुके हैं । यूक्रेन के स्कूल कालेज , युनिवर्सिटी बाजार, दुकान , आफिस सब बंद कर दिए गए हैं सब कारोबार चोपट हो गया है कारखाने फैक्ट्री बंद हो गई लोग रोजगार तो क्या अपनी जान बचाने के लिए सिमित संख्या में मौजूद बंकरों में छुप रहें हैं अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशनों में शरण ले रहें हैं। यानि सब कुछ होते हुए भी यूक्रेन आज जिंदगी की भीख मांग रहा है। ये लेख भारत के उन लोगों को समर्पित है जो राष्ट्रवाद और राष्ट्रवादियों को गाहे बजाये गालियां देते रहते हैं तथा सिर्फ महंगाई बेरोज़गारी और आलू,प्याज टमाटर तथा मुफ्त की योजनाओं को ही देश के विकास का पैमाना मान बैठे हैं ये लेख राहुल गांधी के उस मुर्खतापूर्ण वयान को भी आईना दिखाता है जिसमें अभी कुछ ही दिनों पहले राहुल गांधी ने कहा था कि सेना की मजबूती अत्याधुनिक हथियारों के जखीरे इकट्ठा करने से देश का विकास नहीं होता मंदबुद्धि को रुस यूक्रेन युद्ध से शाय़द थौडी अक्ल आ जाये हम ईश्वर से यही प्रार्थना करते हैं और उन मुफ्तखोरों को भी समझ आ जायेगी , क्योंकि किसी भी देश के विकास का रास्ता उसकी सैनिक ताकत , सीमाओं की मजबूत सुरक्षा अत्याधुनिक हथियारों से होकर निकलता है ।
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