कला विरासत की नए सिरे से विश्लेषण व संरक्षण की आवश्यकता
कला-इतिहास विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा वार्षिक चोकोलिंगो स्मृति व्याख्यान का आयोजन दिनांक 25 मार्च 2022 को महामना सभागार, मालवीय मूल्य अनुशीलन केन्द्र, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, में किया गया। प्रथम स्मृति व्याख्यान प्रख्यात पुरातत्वविद् प्रो0 विदुला जायसवाल का रहा जो विगत दो दशकों में वाराणसी व आस-पास के क्षेत्रों में उत्खननित व सर्वेक्षित पुरास्थलों पर केन्द्रित रहा। उन्होंने चुनार, प्रभास व भुईलि की तक्षण सामग्री व राजापुर तथा आशापुर कार्यशाला में तक्षित व परिष्कृत संबंधी साक्ष्य प्रस्तुत किए। साथ ही उन्होंने इस संबंध में प्राप्त कलात्मक अवशेषों के नए सिरे से विश्लेषण पर बल दिया।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कुलगुरु, काशी हिन्दू विष्वविद्यालय प्रो0 विजय कुमार शुक्ल ने की। उन्होंने कला विरासत संरक्षण पर बल दिया। अतिथियों का स्वागत विभागाध्यक्ष प्रो0 अतुल त्रिपाठी ने तथा संचालन डॉ0 ज्योति रोहिल्ला राणा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो0 शायजु पी0जे0 द्वारा किया गया।
द्वितीय स्मृति व्याख्यान में प्रख्यात पुरातत्ववेत्ता के0के0 मुहम्मद ने इबादतखाना के विषेष सन्दर्भ में मुगल चित्रकला व अन्य प्राथमिक दस्तावेजों की स्थापत्यकीय व पुरातात्विक स्थलों को खोजने में महत्ता पर प्रकाश डाला। इस सत्र की अध्यक्षता प्रो0 कल्याण कृष्ण ने की।
तृतीय स्मृति व्याख्यान में इन्दिरा गॉधी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो0 रविन्द्र कुमार ने मध्यकालीन भारत में मेहराब व गुम्बद संरचना के विकास का वैज्ञानिक विश्लेषण प्रस्तुत किया। सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर मारुति नन्दन तिवारी ने की। स्मृति व्याख्यान में मुख्य रूप से इंदिरा गॉधी मुक्त विश्वविद्यालय में पर्यटन प्रबन्ध निदेशक पारोमिता शुक्ल बैद्या, डॉ0 शैलेन्द्र कुमार, डॉ0 कनुप्रिया, डॉ0 प्रवीण राणा, प्रो0 कमलगिरि, प्रो0 पी0के0 मिश्र, डॉ0 कौस्तुभ चटर्जी, डॉ0 निषान्त, आयुष केषरी आदि उपस्थित रहे।