स्मार्ट कृषि स्टार्टअप बने देश के किसानों की उम्मीद
वर्तमान में कृषि क्षेत्र को मजबूत करने में पीएम मोदी के नेतृत्व में बनी केंद्र सरकार का बड़ा अहम योगदान है। इसे सरकार के प्रयासों की सफलता ही कहेंगे कि आज देश के किसान ‘स्मार्ट कृषि’ की ओर रुख कर रहे हैं। दरअसल इससे किसानों की आय दोगुनी हो रही है और केंद्र सरकार का संकल्प भी पूरा होता नजर आ रहा है। देश का छोटा किसान भी आज स्मार्ट कृषि के बल पर अपने रास्ते की कठिनाइयों से निजात पा रहा है। ऐसे में यह कहना उचित होगा कि आज देश में किसानों का जीवन खुशहाल हो रहा है।
कृषि बजट कई गुणा बढ़ाया
गौरतलब हो, पीएम मोदी के सुझाव पर भारत सरकार साल 2014 से कृषि क्षेत्र में तमाम सुधार करती आ रही है। आज बीज से लेकर बाजार तक फैली कई नई प्रणालियों और कृषि क्षेत्र में पुरानी प्रणालियों में सुधार किए जा चुके हैं। सिर्फ 6 साल में कृषि बजट कई गुणा बढ़ाया गया है। साथ ही साथ किसानों के लिए कृषि लोन में भी 7 साल में ढाई गुणा की बढ़ोतरी की गई है।
कृषि में नेक्स्ट जेनरेशन
आज हम कृषि के एक नेक्स्ट जेनरेशन पर चर्चा करना चाहते हैं, परंपरागत पद्धतियों से बाहर आने के लिए सोचना चाहते हैं, बजट की लाइट में, बजट में जिन चीजों का प्रावधान किया गया है उसकी लाइट में हम अच्छा कैसे कर सकते हैं, आज इसके रास्ते तलाशे जा रहे हैं। इसलिए सरकार युवाओं को कृषि क्षेत्र में आने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। छोटे किसानों के बड़े लाभ के लिए सूक्ष्म सिंचाई नेटवर्क को भी मजबूत किया गया है। वहीं कोविड महामारी के कठिन दौर में 3 करोड़ किसानों को विशेष अभियान के तहत किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) दिए गए और पशुपालन तथा मत्स्य पालन में लगे किसानों को केसीसी की सुविधा प्रदान की गई। केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए ये तमाम कदम भारत के कृषि जगत को और भी स्मार्ट और सशक्त बनाते हैं। लेकिन इन सभी के बीच कृषि क्षेत्र को अत्यधिक स्मार्ट बनाने वाला जो सबसे अहम कदम माना गया है वो है देश में कृषि स्टार्टअप की शुरुआत।
1970 की हरित क्रांत के बाद से नहीं हुआ था कोई बड़ा तकनीकी सुधार
कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप्स एफपीओ यानि किसान उत्पादक संगठन बड़ा तकनीकी सुधार साबित हो रहे हैं। आज इन्हीं के चलते कृषि क्षेत्र में किसानों को लाभ कमाने का मौका मिल रहा है। केंद्र सरकार ने कृषि प्रौद्योगिकी आधारित स्टार्टअप के लिए इक्विटी अनुदान, प्रबंधन लागत और अन्य सहायता उपाय प्रदान कर इन्हें बढ़ावा दिया। 1970 की हरित क्रांति के बाद देश में कृषि क्षेत्र में इसे बड़ा तकनीकी सुधार माना जा रहा है। यही वजह है कि डेटा आधारित, अनुकूलित फसल निगरानी पैकेज और बाजार की जानकारी के लिए सटीक इनपुट जैसी सेवाओं पर केंद्रित स्टार्टअप्स को कृषि क्षेत्र में हरित क्रांति के बाद अगली बड़ी तकनीकी बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। भारत की कृषि क्रांति या कृषि 4.0, देश भर में गहन-तकनीकी समाधानों के तेजी से उपयोग से प्रेरित हो रही है।
परम्परागत खेती के साथ वैज्ञानिक सोच को जोड़ने की जरूरत
याद हो पीएम मोदी ने कहा था कि हमें अपनी परम्परागत खेती के साथ वैज्ञानिक सोच को जोड़ने की जरूरत है। आज भारत इसी राह पर चल पड़ा है। स्मार्ट कृषि इसी सोच की एक कड़ी है। यही कारण है कि केंद्र सरकार आज देश में कृषि स्टार्टअप को प्रमोट करने में जुटी है ताकि कृषि को कृषि जगत में नई क्रांति लाई जा सके। असल में भारत अब केवल अपने देश की सीमाओं तक सीमित नहीं रह गया बल्कि यह सीमाओं को लांघकर विश्व की जरूरतों को पूरा करने की और बढ़ रहा है। यानि भारत के किसान अब दुनिया का पेट भरेंगे। जहां फूड सिक्योरिटी को लेकर बड़े-बड़े देश चिंतित हैं, ऐसे में भारत का किसान दुनिया का पेट भरने के लिए आगे आ रहे हैं। यह भारतीयों के लिए कितने गौरव की बात है। ऐसे में देश में कृषि स्टार्टअप की भूमिका और अधिक बढ़ जाती है। इसलिए इन्हें और अधिक मजबूत किया जाना जरूरी है।
कृषि स्टार्टअप देश के किसानों का सुरक्षा कवच
आज कृषि स्टार्टअप देश में किसानों के सुरक्षा कवच के रूप में काम कर रहे हैं। ये कृषि स्टार्टअप किसानों को वह सुरक्षा प्रदान कर रहे हैं जिससे वे अभी तक वंचित रहे थे। ये स्टार्टअप आज किसानों को फसल आधारित आय प्रणाली से बाहर निकलने और मूल्यवर्धन तथा अन्य कृषि विकल्पों के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। केंद्र सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और उनके लिए लगातार कदम भी उठा रही है। इसके लिए भारत सरकार कृषि क्षेत्र में डिजिटल समाधानों पर केंद्रित स्टार्टअप को प्रमोट कर रही है।
आत्मनिर्भर होते, आत्मविश्वासी भारत की बनेंगे पहचान
वाकई देश में कृषि स्टार्टअप के शुरू होने से एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस 21वीं सदी में खेती और खेती से जुड़े ट्रेड को बिल्कुल बदलने वाली है। किसान ड्रोन्स का देश की खेती में अधिक से अधिक उपयोग, इसी बदलाव का हिस्सा है। लेकिन ड्रोन टेक्नोलॉजी, एक स्केल पर तभी उपलब्ध हो पाएगी, जब हम एग्री स्टार्टअप्स को प्रमोट करेंगे। पिछले 3-4 वर्षों में, देश में 700 से अधिक कृषि स्टार्टअप तैयार किए गए हैं।
कृषि को आधुनिक और स्मार्ट बनाने के लिए मुख्य रूप से सात रास्ते
ज्ञात हो, पीएम मोदी ने बजट के दौरान कृषि को आधुनिक और स्मार्ट बनाने के लिए मुख्य रूप से सात रास्ते सुझाए थे। पहला- गंगा के दोनों किनारों पर 5 कि.मी. के दायरे में नेचुरल फार्मिंग को मिशन मोड पर कराने का लक्ष्य है। दूसरा-एग्रीकल्चर और हॉर्टीकल्चर में आधुनिक टेक्नॉलॉजी किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी। तीसरा- खाद्य तेल का आयात घटाने के उद्देश्य से मिशन ऑयल पाम को सशक्त करने पर जोर दिया गया है। चौथा- कृषि उत्पादों के परिवहन के लिए पीएम गति-शक्ति योजना के माध्यम से नई रसद व्यवस्था की जाएगी। बजट में पांचवां समाधान बेहतर कृषि-अपशिष्ट प्रबंधन और कचरे से ऊर्जा उत्पादन द्वारा किसानों की आय बढ़ाना है। छठा, 1.5 लाख से अधिक डाकघर नियमित बैंकिंग जैसी सेवाएं प्रदान करेंगे ताकि किसानों को परेशानी न हो। सातवां, कौशल विकास तथा मानव संसाधन विकास के संबंध में कृषि अनुसंधान और शिक्षा पाठ्यक्रम को आधुनिक समय की मांगों के अनुरूप बदला जाएगा।
इन सातों सुझावों पर भी देश में काम किया जा रहा है।
भारत में बढ़ी स्टार्टअप्स की संख्या
भारत सरकार यह घोषणा कर चुकी है कि प्रत्येक वर्ष 16 जनवरी को अब नेशनल स्टार्टअप डे मनाया जाएगा। भारत के स्टार्टअप्स का स्वर्ण युग अब शुरू हो रहा है। केंद्र सरकार देश में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए अब तक 1000 करोड़ रुपए के स्टार्टअप इंडिया सीड फंड की घोषणा भी कर चुकी है जो इस यात्रा को नए शिखर तक ले जाएगा। बताना चाहेंगे कि स्टार्टअप की दुनिया की सबसे बड़ी यूएसपी इनकी विघटन और विविधीकरण की क्षमता होती है। विघटन इसलिए, क्योंकि वे नई सोच, नई तकनीक और नए तौर तरीकों को जन्म दे रहे हैं; विविधता इसलिए क्योंकि वे अभूतपूर्व पैमाने और क्षमता के साथ विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक बदलाव लाने वाले विविध विचारों के साथ आगे आ रहे हैं। इस इकोसिस्टम की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह व्यावहारिकता से ज्यादा जुनून से निर्देशित है। आज भारत जिस तरह से काम कर रहा है, उसमें ‘कैन-डू’ (कर सकता हूं) की भावना दिखाई देती है और सबसे खास बात यह है कि देश की युवा शक्ति इसका नेतृत्व कर रही है। यही कारण है कि आज भारत यूनिकॉर्न के मामले में शतक जड़ चुका है और देश के 625 जिलों में से प्रत्येक में कम से कम एक स्टार्टअप काम कर रहा है। आज लाखों युवा भारतीयों को इन्हीं स्टार्टअप के बलबूते रोजगार मिल रहा है। भारत ‘युवाओं का, युवाओं द्वारा युवाओं के लिए’(ऑफ द यूथ, बाई द यूथ, फॉर द यूथ) के मंत्र के आधार पर एक स्टार्टअप इकोसिस्टम बनाने के लिए काम कर रहा है। हम अगले पांच वर्षों के लिए अपने लक्ष्यों को तय करें और यह लक्ष्य होना चाहिए कि हमारे स्टार्टअप्स, हमारे यूनिकॉर्न वैश्विक दिग्गज के रूप में उभरें और भविष्य की तकनीक का नेतृत्व करें।
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