प्रथम मिलन वासना रहित हृदय में प्रेम होना चाहिए l उक्त अमृत वर्षा गायत्री परिवार रुदौली द्वारा आयोजित संगीतमयी श्री राम कथा में श्री दामोदर दास जी
रूदौली। महाराज रामलीला मैदान के भव्य पंडाल में कर रहें थे l
फूलवारी लीला का सौंदर्य पूर्ण वर्णन करते हुए श्री दास जी ने कहा कि राम जी ने बगीचे के माली से पूछ कर पुष्प गृहण किये l बिना पूछे फूल तोड़कर ईश्वर पर चढ़ाने से उसका फल बगीचे के मालिक क़ो प्राप्त होता है l
राम जी और सीता जी के प्रथम मिलन का बहुत ही सुन्दर वर्णन –
देखि सीय शोभा सुखु पावा l
हृदय सराहत बचनु न आवा l
सीता जी कि सुंदरता कीकोई सीमा नहीं है, जिसकी कोई भी उपमा नहीं दी सकती है l
सब उपमा कबि रहे जुठारी l
केहि पटवरौ बिदेह कुमारी l
ज़ब लक्ष्मण ने पूछा कि यह सुंदरी कौन है, तब बड़े भाव से श्री राम चन्द्र जी बताया l
तात जनकतनया यह सोई l
धनुष यज्ञ जेहि कारण होई l
माता सीता पुन: माता सती के पास जाकर कहने लगी l
मोरि मनोरथ जानऊँ नीके l
बसहूँ सदा उर पुर सब हीके l
माँ ने आशीर्वाद दिया l
विनय प्रेम बस भई भवानी l
खसी माल मूरत मुस्कानी l
यज्ञ शाला में प्रभू श्रीराम के पधारने पर वहाँ उपस्थित लोगों ने प्रभु क़ो अपने अपने भाव में देखा l
जाकी रही भावना जैसी l
तिन्ह मूरति देखी तिन्ह तैसी l
उपस्थित राजा बड़े तमक कर शिव जी के धनुष क़ो उठाने का भरसक प्रयास करते है l
तमकि ताकि तकि सिव धनु धरहीं l
उठई न कोटि भांति बलु करहीं l
राजा जनक ने बड़े भरे मना से उपस्थित राजाओं से कहा l
तजऊँ आस निज निज गृह जाऊ l
लिखा न बिधि बैदेही बिबाहू l
तब महर्षि विश्वामित्र ने समय शुभ जानकर श्री राम जी से कहा l
विश्वामित्र समय शुभ जानी l
बोले अति स्नेह मृदु बानी l
उठहु राम भनजहूँ भव चापा l
मेटहूँ तात जनक परितापा
गुरु की आज्ञा पाकर श्री राम चन्द्र जी बड़े ही सहज भव से उठे और सभी प्रणाम करते हुए धनुष के पास पहुचे l
गुरहि प्रणामु मनहि मन कीन्हा l
अति लाघव उठाय धनु लीन्हा lXP
धनुष क़ो उठाते, लेते, चढ़ाते और जोर से खींचते हुए किसी ने नहीं देखा l
तेहि छन राम मध्य धनु तोरा l
भरे भुवन धुनि घोर कठोरा l
अयोध्यालाइव : योगी सरकार बसें यात्रियों को अब धार्मिकता का कराएंगी अहसास https://t.co/Xqz3ppdRRH
— अयोध्यालाइव (@ayodhyalive2) December 13, 2022