Friday, April 19, 2024
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अनंत शिखर में आयोजित हुआ स्वर्ण प्राशन संस्कार

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अनंत शिखर में आयोजित हुआ स्वर्ण प्राशन संस्कार

अयोध्या । शनिवार को स्वर्ण प्राशन संस्कार का बारहवा संस्करण साकेतपुरी कॉलोनी स्थित अनंत शिखर भवन में अनंत शिखर सेवा ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में गोंडा टैक्स बार एसोसिएशन केे पूर्व उपाध्यक्ष एडवोकेट गोपाल शुक्ला, विशिष्ट अतिथि दैनिक पावन भारत टाइम्स के संपादक (मान्यता प्राप्त पत्रकार) पवन पांडेय, ट्रस्ट प्रबंधक एवं समारोह संयोजक ख्याति प्राप्त प्रतिष्ठित वैद्य आचार्य डॉक्टर आरपी पांडेय वैद्य जी ने धन्वंतरी भगवान के समक्ष दीप प्रज्वलन कर समारोह की शुरुआत की।

इस अवसर पर आए हुए बच्चों को वैद्य जी ने स्वर्ण प्राशन की खुराक केसर ब्राह्मी युक्त शहद में पिलाई और कहा कि गत तीन वर्षों के दौरान, कोरोना महामारी के प्रकोप का सर्वाधिक प्रभाव लोगों की रोगप्रतिरोधक क्षमता पर पड़ा है। देश की भावी पीढ़ी भी इसके प्रभाव से अछूती नहीं रही है। इसलिए, यह सभी अभिभावकों की ज़िम्मेदारी है कि अपने नवजात 6 महीने के शिशुओं से लेकर, 16वर्ष के बच्चों का स्वर्ण प्राशन कराए।

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उन्होने बताया कि स्वर्ण प्राशन की परंपरा हमारे देश में वैदिक काल से रही है। आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथ काश्यप संहिता के लेह अध्याय में संहितकार आचार्य ने स्वर्ण प्राशन के महत्व का वर्णन करते हुये बताया है कि “ सुवर्ण प्राशनं हि एतत् मेधाग्निबलवर्धनम्। आयुष्यं मगलं पुण्यं वृष्यं वर्ण्यं ग्रहापहम्॥ मासात् परमेधावी व्याधिर्भिर्नच धृश्यते। शड्भिर्मासै: श्रुतधर: सुवर्णप्राशनाद् भवेत्॥ अर्थात, स्वर्णप्राशन से शिशु की मेधा, अग्नि, बुद्धि, बल तथा आयु की वृद्धि होती है, उसका बार-बार होने वाली खांसी, जुकाम, मौसमी बीमारी से बचाव होता है, पाचन शक्ति में वृद्धि होने से उसकी भूख बढ़ती है, जिससे उसका वजन तथा लंबाई में भी वृद्धि होती है।

पुष्य नक्षत्र में स्वर्ण प्राशन के महत्व पर प्रकाश डालते हुये उन्होंने कहा कि पुष्य नक्षत्र के देवता बृहस्पति देव शुभता, बुद्धिमत्ता एवं ज्ञान के भंडार हैं ।इसलिए पुष्य नक्षत्र को मंगलकर्ता भी कहा गया है। इसलिए इस नक्षत्र में किसी योग्य आयुर्वेदचार्य की देखरेख में लगातार 6 महीने से 16वर्ष तक की आयु के बच्चों को स्वर्ण प्राशन कराने से उनकी रोगप्रतिरोधक क्षमता, बुद्धि, स्मरणशक्ति में वृद्धि होती है ।क्योंकि स्वर्णभस्म, ब्राह्मी और मधु के योग से बने योग को पुष्य नक्षत्र और भी प्रभावी बना देता है।

उन्होंने कहा कि स्वर्ण प्राशन की मात्रा के बारे में उन्होने बताया कि बच्चे की आयु एवं बल के आधार पर 2 से पाँच बूंद तक या एक गोली प्राशन कराना उत्तम होता है। वैसे तो शास्त्रों में प्रतिदिन स्वर्ण प्राशन का विधान बताया गया है, फिर भी यदि इसका सेवन प्रत्येक पुष्य नक्षत्र में ही कराया जाए तो इसका बहुत लाभ होता है।

समारोह में कबीर धारा के संत शील दास, हौसिला आयुर्वेदिक के प्रबंधक राकेश तिवारी, दीपक पाण्डेय, अमित पाण्डेय का विशेष सहयोग रहा।

उल्लेखनीय है कि साकेतपुरी कॉलोनी के अनंत शिखर भवन में अनंत शिखर ट्रस्ट विगत 11 महीने से लगातार स्वर्ण प्राशन का कार्यक्रम बड़े धूमधाम से कुशल वैद्य और ज्योतिषाचार्य की देखरेख में लगातार कराया जा रहा है ।

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