Friday, April 26, 2024
spot_img

देश भर में 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक बैन

66 / 100

देशभर में 1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक बैन

भारत अपना ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रहा है। हमारी आजादी की लड़ाई के महानायक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी उल्लेख किया करते थे कि ‘Cleanliness is next to godliness’। इस तरह गांधी जी के अनुसार स्वच्छता सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने स्वच्छता को अपने जीवन में ढाला और समाज को इसके जरिए एक बड़ा संदेश देना चाहा। गांधी जी की इसी प्राथमिकता को पीएम मोदी ने ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के माध्यम से एक जन आंदोलन के रूप में आगे बढ़ाया है। उन्होंने इस भाव को महसूस किया कि देश को पूर्णत: स्वच्छ और निर्मल बनाने के प्रयास ही हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।

1 जुलाई से देश भर में सिंगल यूज प्लास्टिक बैन

इसी क्रम में पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने स्थलीय एवं जलीय इकोसिस्टम पर बिखरे हुए प्लास्टिक के कचरे के प्रतिकूल प्रभावों को ध्यान में रखते हुए प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित किया। इसके तहत सरकार ने यह भी तय किया कि वर्ष 2022 तक कम उपयोगिता और कचरे के रूप में बिखरने की अधिक क्षमता रखने वाली एकल उपयोग की प्लास्टिक वस्तुओं को प्रतिबंधित किया जाए और अब सरकार इस दिशा में बड़ा कदम उठाने जा रही है। दरअसल, भारत सरकार आगामी 1 जुलाई से देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक बैन करने जा रही है।

सरकार उठाने जा रही ये विशेष कदम

जी हां, 1 जुलाई, 2022 से पूरे देश में सिंगल यूज प्लास्टिक के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। सिंगल यूज प्लास्टिक से उत्पन्न कचरे से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाया गया अब तक का सबसे ठोस कदम माना जा रहा है। प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाएंगे। इसके अलावा सरकार एकल उपयोग वाली प्लास्टिक को समाप्त करने के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए विभिन्न उपाय कर रही है। जागरूकता अभियान में उद्यमियों और स्टार्टअप, विशेषज्ञों, नागरिक संगठनों और अकादमिक संस्थानों को एकजुट किया गया है। महज इतना ही नहीं राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किसी भी प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक की वस्तुओं के परिवहन को रोकने के लिए सीमा जांच केंद्र भी बनाए जाएंगे।

इन पर होगा प्रतिबंध

– प्लास्टिक की छड़ियों से लैस ईयर बड्स, गुब्बारों के लिए प्लास्टिक की छड़ियां, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी की छड़ियां, आइसक्रीम की छड़ियां, सजावट के लिए पॉलीस्टीरीन [थर्मोकोल];
प्लेट, कप, गिलास, कांटे, चम्मच, चाकू, स्ट्रॉ, ट्रे जैसी कटलरी, मिठाई के डिब्बों के चारों ओर लपेटी जाने या पैकिंग करने वाली फिल्म, निमंत्रण कार्ड और सिगरेट के पैकेट, 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक या पीवीसी बैनर, स्टिकर।

– हल्के वजन वाले प्लास्टिक कैरी बैग की वजह से फैलने वाले कचरे को रोकने के लिए 30 सितंबर, 2021 से प्लास्टिक कैरी बैग की मोटाई 50 माइक्रोन से बढ़ाकर 75 माइक्रोन और 31 दिसंबर, 2022 से 120 माइक्रोन कर दी गई है। मोटाई में इस वृद्धि के कारण प्लास्टिक कैरी का दोबारा उपयोग भी संभव होगा।

– प्लास्टिक पैकेजिंग अपशिष्ट, जिसे चिन्हित की गई एकल उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं के चरण के तहत कवर नहीं किया गया है, को प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुरूप निर्माता, आयातक और ब्रांड मालिक (पीआईबीओ) की विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व के जरिए पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ तरीके से एकत्र और प्रबंधित किया जाएगा।

2014 में ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की शुरुआत

बताना चाहेंगे कि कई साल से परेशानी का सबब बनी प्लास्टिक का समाधान तलाशने की दिशा में केंद्र सरकार पहले से काम कर रही है वहीं अब सरकार ने इसकी स्पीड और बढ़ा दी है। यदि आंकड़ों पर गौर फरमाएं तो 2014 में ‘स्वच्छता अभियान’ की शुरुआत से पहले केवल 18% ठोस कचरे का निस्तारण वैज्ञानिक रूप से किया जाता था जो सरकार के प्रयासों के बाद अब लगभग 4 गुना बढ़ कर 70 % के करीब हो गया है। साल 2021 में पीएम मोदी द्वारा ‘स्वच्छ भारत मिशन-अर्बन 2.0’ का शुभारंभ किया गया जिसका लक्ष्य सभी शहरों को साल 2026 तक ‘कचरा-मुक्त बनाना है’। यह जाहिर है कि ‘कचरा मुक्त शहर’ के लिए जरूरी है कि घर, गलियां और मोहल्ले कचरा-मुक्त रहें। इस अभियान की सफलता की जिम्मेदारी भी सरकार के साथ-साथ हम सभी नागरिकों की भी है। ऐसे में हमें ये सुनिश्चित करना होगा कि सभी लोग घर पर ही गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग करके रखें। दरअसल इस तरह के उपाय अपनाने पर कचरा प्रबंधन का कार्य सरकार के लिए थोड़ा आसान हो जाता है।

ज्ञात हो, पर्यावरण संरक्षण भारत की परंपरागत जीवन शैली का अभिन्न अंग रहा है। भारत के आदिवासी समाज के जीवन में इसकी साफ झलक आज भी देखने को मिलती है। अब एक बार फिर विश्व-स्तर पर पर्यावरण संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए संसाधनों को रिड्यूस, रीयूज और रिसाइकल करने पर बल दिया जा रहा है। ‘वेस्ट टू वेल्थ’ की सोच को कार्य-रूप देने के अच्छे उदाहरण सामने आ रहे है। ऐसे उद्यमों से ग्रीन एंटरप्राइज और ग्रीन एम्प्लॉयमेंट में भी वृद्धि हो रही है। इन क्षेत्रों में अनेक स्टार्टअप्स सक्रिय हैं। इन क्षेत्रों में रुचि लेने वाले उद्यमियों को प्रोत्साहित करने तथा उनमें निवेश बढ़ाने के लिए समुचित योजनाएं विकसित की जा सकती है।

एक आकलन के अनुसार भारत की शहरी आबादी सन 2014 में लगभग 41 करोड़ थी, वह 2050 तक 81 करोड़ से भी अधिक हो जाएगी। परिणामस्वरूप शहरी स्वच्छता की विशाल चुनौतियों को ध्यान में रखकर भविष्य की हमारी तैयारी जबरदस्त होनी चाहिए ताकि इस जटिल समस्या का हल हो सके।

अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

विश्व समुदाय में भारत की पहचान एक और अधिक साफ सुथरे देश के रूप में हो, यह सभी देशवासियों का प्रयास होना चाहिए। साफ सुथरे देश की छवि बनने से भारत में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। हम देखते है कि जिन स्थानों में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व तथा आवागमन की सुविधाओं के साथ-साथ साफ-सफाई भी रहती है वहां लोग अधिक संख्या में जाना चाहते हैं। यानि स्वच्छता के आधार पर ही स्वस्थ और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण संभव है। इसलिए यह अनिवार्य है कि ‘स्वच्छ भारत मिशन- अर्बन 2.0’ के सभी लक्ष्य समयानुसार प्राप्त किए जाएं। शहरी स्वच्छ भारत मिशन बतलाता है कि हमें अपनी पुरानी आदतें बदलनी होगी तभी नए भारत का चेहरा दिखेगा और यही है स्वच्छ भारत की हर धड़कन। यह भावना सामान्य जन-मानस में होनी चाहिए। इस प्रकार स्वच्छ, स्वस्थ एवं समृद्ध भारत 21वीं सदी के विश्व समुदाय में अपना यथोचित गौरव हासिल करेगा।

2030 तक सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स अचीव करेगा भारत

याद हो, सितंबर 2015 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा पूरे विश्व-समुदाय के लिए अपनाए गए ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स’ में यह भी शामिल है कि सन 2030 तक स्वच्छता की सुविधाएं सबको सुलभ हों, इसी दिशा में भारत तेजी से काम कर रहा है। भारत‘खुले में शौच’ मुक्त तो हो चुका है जिससे देश की महिलाओं व बालिकाओं व अन्य कमजोर वर्गों को बड़ा सहारा मिला है बस अब स्वच्छता से जुड़ी अन्य आवश्यकताओं पर विशेष ध्यान देना होगा।

उल्लेखनीय है कि 2019 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा में भारत ने एकल उपयोग वाले प्लास्टिक उत्पादों के प्रदूषण से निपटने के लिए प्रस्ताव रखा था जिसके बाद वैश्विक समुदाय द्वारा इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने की तत्काल आवश्यकता को स्वीकार किया जा रहा है। ऐसे में सरकार द्वारा जागरूकता अभियान में उद्यमियों और स्टार्ट अप्स, उद्योग, केंद्रीय, राज्य एवं स्थानीय सरकारों नियामक निकायों, विशेषज्ञों, नागरिक संगठनों, अनुसंधान एवं विकास तथा अकादमिक संस्थानों को भी एकजुट किया जा रहा है। लेकिन अंतत: यह पाबंदी तभी संभव है, जब जन भागीदारों के साथ सभी सम्मिलित रूप से प्रयास करें।

 https://www.ayodhyalive.com/now-unheard-stor…ts-in-up-schools/

प्रदेश के 520 राजस्व निरीक्षकों को नायब तहसीलदार के पद पर पदोन्नति देखें लिस्ट

यूपी : बेसिक शिक्षा विभाग में बड़ा फेरबदल, देखें लिस्ट

Click here to purchase Exipure today at the most reduced cost accessible.

घर की छत पर सोलर पैनल लगाने के लिए मिल रही सब्सिडी, बिजली बिल का झंझट खत्म

BSF Bharti 2022: 10th, 12th pass in BSF can Get Jobs on these Posts

बीएचयू : कालाजार को खत्म करने के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण खोज

The Home Doctor – Practical Medicine for Every Householdis a 304-page doctor-written and approved guide on how to manage most health situations when help is not on the way.

अयोध्यालाइव समाचार youtube चैनल को subscribe करें और लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहे

JOIN

JOIN

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

For You
- FOLLOW OUR GOOGLE NEWS FEDS -spot_img
डा राम मनोहर लोहिया अवध विश्व विश्वविद्यालय अयोध्या , परीक्षा समय सारणी
spot_img

क्या राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द होने से कांग्रेस को फायदा हो सकता है?

View Results

Loading ... Loading ...
Latest news
प्रभु श्रीरामलला सरकार के शुभ श्रृंगार के अलौकिक दर्शन का लाभ उठाएं राम कथा सुखदाई साधों, राम कथा सुखदाई……. दीपोत्सव 2022 श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने फोटो के साथ बताई राम मंदिर निर्माण की स्थिति