



भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने की मुहिम चला रहे साईं मसन्द का ग्यारह दिवसीय उत्तरप्रदेश प्रवास
रायपुर। स्थानीय मसन्द सेवाश्रम के पीठाधीश पूज्यपाद साईं जलकुमार मसन्द साहिब 10 से 21 जून तक ग्यारह दिन के उत्तरप्रदेश प्रवास अंतर्गत अयोध्या, वाराणसी, प्रयागराज और लखनऊ जाएंगे। वे इन शहरों में निर्धारित तारीखों पर देश के अनेक बडे़ सन्तों के साथ-साथ अपने सिन्धी समुदाय के नेतृत्व वर्ग के साथ बैठकें कर पिछले 10 वर्षों से चला रहे भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने की अपनी मुहिम की अब तक की प्रगति की समीक्षा और भावी कदमों पर मंत्रणा करेंगे।
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साईं मसन्द साहिब रायपुर से 10 जून को रात करीब 9 बजे नवतनवा एक्सप्रेस से रवाना होकर अगले दिन 11 जून को दोपहर पौने 2 बजे वाराणसी पहुंचेंगे और स्टेशन से सीधे केदारघाट स्थित श्रीविद्यामठ जाएंगे। वे सबसे पहले वहां मठ के प्रमुख पूज्यपाद स्वामीश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज जी को अपने ग्यारह दिन के उत्तरप्रदेश प्रवास के उद्देश्य व निर्धारित कार्यक्रमों से अवगत कराकर उनका मार्गदर्शन प्राप्त करेंगे। उल्लेखनीय है कि स्वामीश्रीः जी ने साईं मसन्द साहिब के साथ सन् 2016 में हुई प्रथम भेंटवार्ता के पश्चात सन् 2018 में भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने का उद्देश्य लेकर विश्व स्तर पर परम धर्म संसद 1008 का गठन किया हुआ है।
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साईं मसन्द साहिब वाराणसी से 12 जून को दोपहर ढाई बजे साबरमती एक्सप्रेस से रवाना होकर उस दिन सायं सवा 6 बजे आयोध्या आएंगे। वे आयोध्या में 15 जून तक वहां रामनगर कालोनी स्थित संत सतरामदास मंदिर, साईं जगतराम दरबार द्वारा आयोजित 34वें त्रिदिवसीय संत जन्मोत्सव के विशेष अतिथि रहेंगे। इस दौरान वे आयोध्या के श्रीराम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष पूज्यपाद महंत नृत्यगोपालदास जी महाराज, श्रीदशरथ राजमहल के महंत पूज्यपाद देवेन्द्र प्रसादाचार्य महाराज तथा वहां के कुछ अन्य बडे़ सन्तों से भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने की अपनी मुहिम के संदर्भ में भेंट करेंगे। वे इन सभी सन्तों से सन् 2016 व 2019 में अपनी इस मुहिम पर पहले भी मंत्रणा कर चुके हैं।
अयोध्या में साईं मसन्द साहिब वहां सिन्धी समुदाय की विभिन्न पूज्य सिन्धी पंचायतों, भारतीय सिन्धु सभा, सिन्धी काॅऊंसिल आफ इण्डिया, स्थानीय स्तर पर गठित अन्य समाजसेवी संगठनों, सिन्धी समाज के विभिन्न बडे़ सन्तों के नाम से गठित सेवा मण्डलों आदि के पदाधिकारियों की आयोजित एक विशेष बैठक को भी सम्बोधित करेंगे और उन्हें अपनी मुहिम से जोड़ने का प्रयास करेंगे। वे ऐसी ही बैठकें 17 जून को वाराणसी और 18 जून को प्रयागराज में भी लेंगे। प्रयागराज में वे 18 जून को सांय 6 बजे बाघंबरी मठ जाकर ब्रह्मलीन महंत नरेन्द्र गिरि महाराज जी की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे तथा उनके उत्तराधिकारी महंत बलवीर गिरि महाराज जी से भेंट करेंगे। साईं मसन्द साहिब 19 जून को लखनऊ में सिन्धी समुदाय के विश्वविख्यात सन्त पूज्यपाद साईं चाण्डूराम साहिब के अतिथि रहेंगे। वे 20 जून को दोपहर वहां से प्रस्थान कर 21 जून को प्रातः 7 बजे गरीबरथ ट्रेन से रायपुर लौटेंगे।
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भारत सदा ही विश्वगुरु रहा है जिसका केंद्र बिंदु आध्यात्म रहा है । अध्ययन, आराध्य और आध्यात्म का समायोजन भारत को फिर से विश्व का सिरमौर बना सकता है । भारत की सनातन संस्कृति हजारों साल पुरातन है जब विश्व की आज की तथाकथित सभ्यताओं का आगाज भी नही हुआ था । समाज में बढ़ती राजनैतिक और धार्मिक विषमताओं और इतिहास में रचित विसंगतियों ने भारत की उस महान संस्कृति को पिछले सालों में कुछ हद तक विश्व के मानसपटल से विस्मृत कर दिया था । भारत का भौगोलिक वातावरण भी देश को अनेकानेक भीतरी और बाहरी समस्याओं से जूझने को मजबूर करता रहा है ।
पाकिस्तान की समस्या, चीन की कारस्तानियां, कश्मीरी घुसपैठ की चुनौती, राजनैतिक इच्छाशक्ति का अभाव, इन सभी कारणों से देश विश्वपटल पर एक बार हाशिए पर चला गया था । लेकिन पिछले कई वर्षो में भारत में जो एक के एक बाद राजनैतिक बदलाव हुए हैं और दृढ़ संकल्प के साथ पिछले सालों में जो महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए है जैसे की कश्मीर से धारा ३७० और ३५ ए का हटना, कश्मीरी पंडितो का कश्मीर वापस लौटना, नागरिकता बिल संशोधन अधिनियम, समान आचार संहिता और जनसंख्या नियंत्रण कानून, यह कुछ ऐसी अहम बातें है जो राष्ट्र को विश्व के मानसपटल पर एक उच्च स्थान दिलाने में काफी सफल हुई है ।
वर्तमान राजनैतिक और सामाजिक परिदृश्य में हमारी विरासत की संस्कृति और सांस्कृतिक धरोहरों के पुनरुद्धार के लिए उठाए गए कदम सचमुच सराहनीय है । कुछ वर्ष पहले तक आलम यह था कि देश में वसुधैव कुटुम्बकम की भावना निजी स्वार्थों के चलते अपने निम्नतम स्तर पर पहुंच गई थी । पर सन २०१४ में देश की राजनीति में एक ऐसा आमूलचूल परिवर्तन हुआ की इसने देश की दिशा ही मोड़ दी । वर्षो से चली आ रही कुत्सित राजनीति और ओछी मानसिकता ने देश को जो जंजीरों में जकड़ रखा था वह जंजीरे अब काफी हद तक टूट चुकी हैं।
आने वाले वर्षो में देश विदेशी गुलामी की मानसिकता से सही मायने में स्वतंत्र होकर एक नया आयाम हासिल कर विश्व को एक नया आगाज देने की पूरी तैयारी करने में जुटा है । एक समय वह था जब भारत के राजनयिकों को विदेशों के हवाई अड्डे के बाहर जाने से रोक दिया जाता था वहीं आज हमारे इस भारत राष्ट्र के राजनयिकों का विश्व भर में एक हृदयात्मक सम्मान और स्वागत होता है । विश्व के बड़े बड़े देशों में भारतीय संस्कृति और विचारधारा का दूरगामी असर दिखाई देता है ।
कश्मीर मुद्दे पर विश्व का भारत को समर्थन, पाकिस्तान और चीन को उनकी औकात दिखाना, पुलवामा आतंकी घटना का बदला लेना, सर्जिकल एयर स्ट्राइक, विश्व के शक्तिशाली राष्ट्रों के साथ भारत के प्रगाढ़ होते संबंध, सामरिक सशक्तिकरण, सड़को का नवीकरण और नई सड़को का फैल रहा जाल, नए हवाई अड्डों का निर्माण ऐसी कई सैकड़ों बाते है जो देश को एक दूरगामी प्रगति पथ पर आरूढ़ कर चुकी हैं । देश में सैकड़ों पर्यटन स्थलों का नया अवतार राष्ट्र के पर्यटन व्यवसाय को नए शिखर पर ले जाने को तैयार है । बनारस शहर के स्वरूप का आमूल परिवर्तन पर्यटकों को खूब लुभा रहा हैं ।
अयोध्या में बन रहा राम मंदिर न सिर्फ लोगो की धार्मिक आस्था को अहमियत देता है पर साथ ही इससे उत्तर प्रदेश के पर्यटन उद्योग को भी काफी बढ़ावा मिलेगा ।
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