अब भारत में होगी सैन्य विमानों की मैन्युफैक्चरिंग
भारतीय वायु सेना (IAF) 2023-2031 की समय सीमा के भीतर एक बड़े कार्य को अंजाम देने जा रही है। दरअसल, वायु सेना पिछले साल हुए 21,935 करोड़ रुपए के सौदे के तहत 56 नई पीढ़ी के C-295 परिवहन विमानों को उत्तरोत्तर शामिल करेगी। यह कदम सीमा पर और अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में देश की सामरिक एयरलिफ्ट क्षमता को एक बड़ी ताकत प्रदान करेगा।
‘मेक इन इंडिया’ के तहत है ये प्रोग्राम
इस प्रोग्राम की सबसे खास बात यह होगी कि यह ‘मेक इन इंडिया’ के तहत टाटा समूह वडोदरा में वायु सेना के लिए 40 फ्रांसीसी परिवहन विमान सी-295 का निर्माण करेगा। जबकि पहले 16 विमानों का उत्पादन स्पेन में होगा और यूरोपियन कंपनी एयरबस चार साल के भीतर ‘फ्लाइंग मोड’ में भारत को इनकी आपूर्ति करेगी। शेष 40 विमानों का निर्माण करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल रविवार 30 अक्टूबर 2022 को गुजरात के वडोदरा में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की आधारशिला रखेंगे।
स्पेन की कंपनी भारत को पहले 16 विमानों की ‘फ्लाइंग मोड’ में करेगी आपूर्ति
गौरतलब हो, स्पेन की कंपनी एयरबस डिफेंस एंड स्पेस के साथ 56 सी-295 ट्रांसपोर्ट सैन्य परिवहन विमान खरीदने का सौदा पिछले साल 24 सितम्बर को फाइनल हुआ था। उस समय ही ये तय हो गया था कि अनुबंध पर हस्ताक्षर होने के 48 महीनों के भीतर स्पेन की कम्पनी भारत को 16 विमानों की ‘फ्लाइंग मोड’ में आपूर्ति करेगी। बाकी 40 विमानों का निर्माण टाटा कंसोर्टियम भारत में ही करेगा।
गुजरात में सुविधा
इस संबंध में रक्षा सचिव अजय कुमार ने गुरुवार को कहा पहले 16 विमानों की डिलीवरी एयरबस डिफेंस एंड स्पेस (स्पेन) द्वारा सितंबर 2023 से अगस्त 2025 तक उड़ान भरी स्थिति में की जाएगी जबकि शेष 40 का निर्माण बाद में गुजरात के वडोदरा में टाटा-एयरबस कंसोर्टियम फैसिलिटी में किया जाएगा।
बनी वडोदरा की बड़ी परियोजना
गांधीनगर में हाल ही में पांच दिवसीय डेफएक्सपो के बाद, वडोदरा में सैन्य विमानों के मैन्युफैक्चरिंग प्लांट की स्थापना गुजरात के लिए रक्षा क्षेत्र में दूसरी बड़ी घोषणा है। इससे पहले सितंबर में, वेदांत लिमिटेड ने अपने सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट के लिए गुजरात को चुना था, जो ताइवान के फॉक्सकॉन के साथ $20 बिलियन के संयुक्त उद्यम में पहला बड़ा कदम था।
भारत में निजी क्षेत्र द्वारा पहली बार होगा एक सैन्य विमान का निर्माण
उल्लेखनीय है कि यह पहली बार होगा जब भारत में निजी क्षेत्र द्वारा एक सैन्य विमान का निर्माण किया जाएगा, जो दशकों से रक्षा सार्वजनिक उपक्रम हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स के आभासी एकाधिकार को तोड़ देगा। यह परियोजना भारत में एयरोस्पेस पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देगी।
इसमें देश भर में फैले कई MSMEs विमान के कुछ हिस्सों के निर्माण में शामिल होंगे। यह कार्यक्रम भारत सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान और घरेलू विमानन निर्माण परियोजना को बढ़ावा देगी, जिससे भारत की आयात पर निर्भरता कम होने के साथ ही निर्यात में अपेक्षित वृद्धि होगी। इससे भारतीय निजी क्षेत्र को विमानन प्रौद्योगिकी और अत्यधिक प्रतिस्पर्धी विमानन उद्योग में प्रवेश करने का मौका भी मिलेगा।
रक्षा सचिव ने कहा, “इसके अलावा, प्रति विमान कुल मानव-घंटे के काम का 96%, जो एयरबस स्पेन में अपनी विनिर्माण सुविधा में नियोजित करता है, भारत में टाटा संघ द्वारा किया जाएगा।”
ये होगी क्षमता
सी-295, 9-टन पेलोड या 71 सैनिकों या 44 पैराट्रूपर्स तक अपने साथ ले जाने में सक्षम है। यह एक अत्यंत बहुमुखी एयरलिफ्टर विमान है जो कि “पहाड़ी इलाके में भी अर्ध-तैयार सतहों से भी टेक-ऑफ और लैंडिंग में माहिर है। रक्षा सचिव ने कहा, इसलिए इसे भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा।”
त्वरित प्रतिक्रिया और सैनिकों और कार्गो के पैरा ड्रॉपिंग के लिए विमान में एक रियर रैंप दरवाजा लगाया गया है। सभी 56 विमानों को स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट के साथ स्थापित किया जाएगा। ये इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) बनाएगी। परियोजना के तहत भारत में ही डिटेल पार्ट्स, सब-असेंबली और एयरो स्ट्रक्चर के प्रमुख कंपोनेंट असेंबलियों का निर्माण किया जाना है।
ईंधन कुशल है ये विमान
IAF के उपाध्यक्ष एयर मार्शल संदीप सिंह ने इसके संबंध में कहा कि C-295 बेहद ईंधन कुशल विमान है। भारतीय वायु सेना अंततः इस सी-295 परिवहन विमान की सबसे बड़ी परिचालक बन जाएगी। परिवहन विमान का निर्माण उच्चतम स्वदेशी सामग्री से किया जाएगा। यह लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में उन्नत लैंडिंग ग्राउंड (ALGs) से संचालन में पुराने एवरो और AN-32 विमानों की जगह लेगा। बता दें, इस परियोजना से भारत के एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र में 600 उच्च कुशल प्रत्यक्ष रोजगार और 3000 से अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार उपलब्ध होने की संभावना जताई गई है।
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