



लखनऊ । उत्तर प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती मामले में एक नया मोड़ आ गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ के समक्ष हाल ही में राज्य सरकार द्वारा जारी 6800 अभ्यर्थियों की अतिरिक्त चयन सूची को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने कहा कि वर्ष 2018 में विज्ञापित 69 हजार रिक्तियों के अतिरिक्त बगैर विज्ञापन के एक भी नियुक्ति नहीं की जा सकती है।
यूपी सरकार ने 1 दिसंबर 2018 को 69000 सहायक शिक्षक भर्ती के पद का विज्ञापन निकाला था. विज्ञापन के आधार पर चयन प्रक्रिया भी पूरी कर ली गई. लेकिन इस भर्ती में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने लखनऊ में आंदोलन शुरू कर दिया. अभ्यर्थियों ने दावा किया कि आरक्षण लागू करने में धांधली की गई है. इस भर्ती के लिए अनारक्षित की कटऑफ 67.11 फीसदी और ओबीसी की कटऑफ 66.73 फीसदी थी.
राज्य सरकार ने बीती 5 जनवरी को 6800 अभ्यर्थियों की एक अतिरिक्त चयन सूची जारी करने का निर्णय किया था, जिसको लेकर फिर मामला कोर्ट पहुंच गया।न्यायमूर्ति राजन रॉय ने यह अंतरिम आदेश भारती पटेल व 5 अन्य अभ्यर्थियों द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। कोर्ट ने पहली नजर में देखा कि चूंकि सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि 69000 से अधिक की कोई भी रिक्ति जो एक दिसंबर 2018 को विज्ञापित नहीं की गई थी, को भरने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इसलिए किसी भी परिस्थिति में विज्ञापित किए गए 69000 से अधिक किसी को नियुक्त नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि अब यह राज्य को तय करना है कि उसे इस मामले में क्या करना है। क्योंकि यह दिलचस्प स्थिति राज्य ने पैदा की है। लेकिन एक बात बहुत स्पष्ट है कि 69000 रिक्तियों से अधिक एक भी नियुक्ति नहीं की जा सकती है। अतिरिक्त नियुक्तियों पर रोक लगाते हुए कोर्ट ने वर्तमान मामले की ‘पेंडेंसी’ के बारे में दो प्रमुख अखबारों प्रकाशन कराने का भी निर्देश दिया है। क्योंकि इसमें काफी लोगों का हित शामिल है।
18 फरवरी को होगी मामले की अगली सुनवाई
अभ्यर्थियों का कहना था कि इस नियमावली में साफ है कि कोई ओबीसी वर्ग का अभ्यर्थी अगर अनारक्षित श्रेणी के कटऑफ से अधिक नंबर पाता है तो उसे ओबीसी कोटे से नहीं बल्कि अनारक्षित श्रेणी में नौकरी मिलेगी. यानी वह आरक्षण के दायरे में नहीं गिना जाएगा. सरकार ने आरक्षण लागू करने में गड़बड़ी को माना और आचार संहिता लागू होने से पहले 6800 आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की नियुक्ति करने का आदेश जारी कर दिया. फिलहाल इस मामले में अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी.
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