Thursday, September 12, 2024
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भाषा के महत्व को व्यावसायिक दृष्टि से समझने की जरूरत

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भाषा के महत्व को व्यावसायिक दृष्टि से समझने की जरूरत

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गोरखपुर। भाषा के महत्व को व्यावसायिक दृष्टि से समझने की जरूरत है। इससे अनेक संभावनाओं के द्वार खुलेंगे।’ यह न विचार दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी एवं पत्रकारिता विभाग में विश्वविद्यालय को नैक मूल्यांकन में ए प्लस प्लस की उपलब्धि प्राप्त होने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने व्यक्त किया।

प्रो. सिंह ने कहा कि गोरखपुर विश्वविद्यालय पूरे देश में पब्लिक सेक्टर के विश्वविद्यालयों में दूसरे स्थान पर आ गया है। इस उपलब्धि को बनाए रखने के लिए विश्वविद्यालय के सभी शिक्षकों को प्रयासरत रहना चाहिए। कुलपति ने हिंदी विभाग के इतिहास और उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में 10 सेंटर ऑफ एक्सलेंस बनाने की योजना है जिसमें एक हिंदी विभाग में भी स्थापित होगा। उन्होंने प्रेमचंद पीठ की चर्चा करते हुए कहा कि इसे पुनर्जीवित किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि गोरखपुर विश्वविद्यालय का सेटअप लखनऊ विश्वविद्यालय से बेहतर है और यहाँ के शिक्षकों और छात्रों में अपार सम्भावना है।


हिंदी विभाग के छात्रों को विभिन्न देशों के दूतावासों से जोड़े जाने की सलाह देते हुए प्रोफेसर सिंह ने बताया कि हिंदी के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अपार संभावनाएं हैं क्योंकि 165 देशों में हिंदी पढ़ाई जा रही है। विश्वविद्यालय के शिक्षकों को अकादमिक गतिविधियों में निरंतर संलग्न में रहने का आह्वान करते हुए कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय में सीड मनी के रूप में पर्याप्त राशि उपलब्ध है, आवश्यकता है विश्वविद्यालय के शिक्षकों के शोध प्रस्ताव की। उन्होंने भाषा के क्षेत्र में श्रेष्ठ शोध के लिए पाँच लाख रुपये के फेलोशिप के साथ ही हिन्दी विभाग के बाहर अधूरे पड़े सभागार को भी पूरा कराने की घोषणा की।

इसके पूर्व समारोह के मुख्य अतिथि प्रसार भारती गोरखपुर के कार्यक्रम अधिकारी और विभाग के पूर्व छात्र डॉ. ब्रजेंद्र नारायण ने कहा कि कुलपति ने विश्वविद्यालय की क्षमता का कुशलतापूर्वक दोहन किया जिससे उनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय को यह उपलब्धि प्राप्त हुई है। डॉ. ब्रजेंद्र ने विश्वविद्यालय में भोजपुरी अध्ययन केंद्र की स्थापना का सुझाव देते हुए प्रसार भारती की ओर से विश्वविद्यालय में कार्यक्रम निर्माण का भी प्रस्ताव दिया।

कार्यक्रम में उपस्थित रहे हिन्दी विभाग के पूर्व आचार्य रामदरश राय ने कुलपति की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि जिस प्रकार हर जंगल में चंदन नहीं होते उसी प्रकार हर विश्वविद्यालय को ऐसे कुलपति नहीं मिलते।

विश्वविद्यालय के आइक्यूएसी के चेयरमैन प्रो. अजय सिंह ने बताया कि कुलपति के दृष्टि और नेतृत्व के कारण ही नैक मूल्यांकन में विश्वविद्यालय संख्यात्मक और गुणात्मक दोनों ही मानदंडों पर खरा उतरते हुए आज भारत का चौथा और प्रदेश का पहले नंबर का विश्वविद्यालय बन गया है। प्रो. अजय सिंह ने नैक की कार्यप्रणाली की चर्चा करते हुए बताया कि कुलपति ने विश्वविद्यालय में अभिलेखीकरण को दुरुस्त कराया क्योंकि नैक मूल्यांकन में अभिलेखीकरण सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है।

इसके पूर्वक अपने स्वागत वक्तव्य में हिन्दी एवं पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष प्रो. दीपक प्रकाश त्यागी ने कुलपति के नेतृत्व क्षमता को रेखांकित करते हुए कहा कि आज उन्हीं के कारण विश्वविद्यालय के प्रति समाज में विश्वविद्यालय की ख्याति बडीराष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक श्रेष्ठ संस्थान के रूप में जाना जा रहा है और इसके प्रति उत्सुकता बढ़ी है। प्रो. त्यागी ने बताया कि कुलपति विश्वविद्यालय की बेहतरी के लिए पहले दिन से ही प्रयासरत रहे हैं।

कार्यक्रम का संचालन पत्रकारिता पाठ्यक्रम के समन्वयक प्रो. राजेश मल्ल ने किया। कार्यक्रम में एमए की छात्राओं ने गोरखनाथ और कबीर के पदों का गायन भी किया।

समारोह में विभाग के सभी शिक्षकों सहित संस्कृत विभाग के शिक्षकगण और सेंट एण्ड्रूज कॉलेज की प्रो. प्रभा सिंह तथा विभाग के छात्र-छात्राओं की उपस्थिति रही।

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