Saturday, April 20, 2024
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”नेशनल ई-विधान एप्लिकेशन” (NeVA):वन नेशन वन एप्लिकेशन

”नेशनल ई-विधान एप्लिकेशन” (NeVA), भारत सरकार के एक मिशन के माध्यम से विधायिकाओं के पेपरलेस कामकाज के लिए तैयार की गई है। यह प्रोजेक्ट सरकार के ”डिजिटल इंडिया” कार्यक्रम का एक अहम हिस्सा है। इस एप्लीकेशन के जरिए संसद के दोनों सदनों सहित 40 विधानमंडलों के कामकाज का ब्यौरा ऑफलाइन की बजाय ऑनलाइन रखा जाएगा। इस दिशा में संसदीय कार्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय ई-विधान एप्लिकेशन के साथ-साथ इसकी वेबसाइट भी विकसित की है। “राष्ट्रीय ई-विधान एप्लिकेशन” (NeVA) का उद्देश्य संसद सदस्यों और विधानसभा के सदस्यों की सहायता करना है। आइए जानते हैं कैसे…

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हाल ही में नागालैंड भारत की पहली ऐसी विधानसभा बन गई है जहां E-Vidhan सिस्टम को लागू किया गया है। क्या आप इसके बारे में जानते हैं ? अगर नहीं, तो आपके लिए यह जानना और भी दिलचस्प साबित हो सकता है। दरअसल, इस प्रक्रिया से जुड़ने के बाद भारत की सभी विधानसभाओं के कामकाज के तरीके में एक बड़ा बदलाव आने वाला है। जी हां, ये प्रक्रिया अपनाकर नागालैंड विधानसभा ने पूरे देश में इतिहास रच दिया है।

सबसे पहले नागालैंड को मिला पेपरलेस विधानसभा होने का गौरव

नागालैंड पेपरलेस विधानसभा होने का गौरव प्राप्त करने वाला पहला राज्य बन चुका है। नागालैंड विधानसभा सचिवालय ने चल रहे बजट सत्र के बीच 60 सदस्यों की विधानसभा में प्रत्येक टेबल पर एक टैबलेट या ई-बुक संलग्न की गई है।

इस संबंध में संसदीय कार्य मंत्रालय के ट्विटर हैंडल से भी ट्वीट किया गया है जिसमें लिखा गया है ”नेशनल ई-विधान परियोजना को सफलतापूर्वक लागू करने वाली नागालैंड भारत की पहली विधान सभा बन गई है।”

इसी के साथ अब नागालैंड विधानसभा के सदस्य सदन की कार्यवाही में भाग लेने के लिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग कर सकते हैं। यह पहल कागज रहित संचालन को प्रोत्साहित करती है। केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी के मंत्रालय की देखरेख में नेवा (NeVA) का काम चल रहा है।

क्या है नेवा (NeVA) ?

NeVA यानि नेशनल ई-विधान एप्लिकेशन जो कि एनआईसी क्लाउड, मेघराज पर तैनात एक कार्य-प्रवाह प्रणाली है। यह सदन के अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से संचालित करने और सदन के लेजिस्लेटिव कार्य को पेपरलेस तरीके से संचालित करने में मदद करती है। नेवा पर अंग्रेजी और हिंदी को मिलाकर कुल 13 भाषाओं में जानकारी प्रदान करने का विकल्प दिया गया है। जिसके बारे में आप अधिक जानकारी https://neva.gov.in/Home/NeVA पर वीजिट कर प्राप्त कर सकते हैं।

वन नेशन वन एप्लीकेशन

NeVA एक डिवाइस न्यूट्रल और सदस्य-केंद्रित एप्लिकेशन है जिसे सदस्य संपर्क विवरण, प्रक्रिया के नियम, व्यवसाय की सूची, नोटिस, बुलेटिन, बिल, तारांकित व अतारांकित प्रश्न और उत्तर के बारे में पूरी जानकारी डालकर उन्हें विविध हाउस बिजनेस को स्मार्ट तरीके से संभालने के लिए तैयार किया गया है। उनके हैंडहेल्ड डिवाइस और टैबलेट में रखे गए कागजात, समिति की रिपोर्ट आदि और इसे कुशलता से संभालने के लिए देश की सभी विधायिकाओं व विभागों को जोड़ा गया है। यानि वन नेशन वन एप्लीकेशन के माध्यम से सब हैंडल होगा।

विशाल डाटा डिपॉजिटरी का होगा निर्माण

प्रश्न और अन्य नोटिस प्रस्तुत करने के लिए आवेदन सदन के प्रत्येक सदस्य के लिए एक सुरक्षित पृष्ठ होस्ट करता है। इस परियोजना का उद्देश्य देश की सभी विधानसभाओं को एक मंच पर लाना है, जिससे कई अनुप्रयोगों की जटिलता के बिना एक विशाल डाटा डिपॉजिटरी का निर्माण किया जा सके। एमनेवा नेवा का एक उपयोगकर्ता के अनुकूल मोबाइल एप है, जो एंड्रॉइड के साथ-साथ आईओएस पर भी उपलब्ध है। एमनेवा ने विधान मंडलों में व्यापार के संचालन की जानकारी को किसी भी समय, कहीं भी सभी के लिए सुलभ बना दिया है।

क्या है NeVA का उद्देश्य ?

NeVA डेटा संग्रह के लिए नोटिस व अनुरोध भेजने की प्रक्रिया को पूरी तरह से समाप्त कर देगा। इस परियोजना का प्रमुख उद्देश्य देश की सभी विधानसभाओं को एक मंच पर लाना है, जिससे कई अनुप्रयोगों की जटिलता के बिना एक विशाल डाटा डिपॉजिटरी का निर्माण किया जा सके। इससे विधानसभा का कामकाज पेपरलेस हो जाएगा यानि पेपरलेस असेंबली हो तैयार होगी।

पेपरलेस असेंबली में कागज की जगह इलेक्ट्रॉनिक साधन का होगा इस्तेमाल

पेपरलेस असेंबली या ई-असेंबली एक अवधारणा है जिसमें विधानसभा के काम को सुविधाजनक बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक साधन शामिल हैं। यह संपूर्ण कानून बनाने की प्रक्रिया के स्वचालन, निर्णयों और दस्तावेजों की ट्रैकिंग, सूचनाओं के आदान-प्रदान को सक्षम बनाता है। NeVA को लागू करने का खर्च केंद्र और राज्य सरकार व केंद्र और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच क्रमश: 60:40 व 90:10 के बंटवारे के आधार पर दिया जाता है। नागालैंड से पहले हिमाचल विधानसभा पेपरलेस हो चुकी है, लेकिन वहां NeVA एप्लिकेशन का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। 2014 से ही हिमाचल प्रदेश में विधानसभा के कामकाज में कागजों का इस्तेमाल सीमित कर दिया गया है। झारखंड विधानसभा को भी 2019 में डिजिटल बना दिया गया था।

नागालैंड विधान सभा के बारे में…

नागालैंड 1957 तक असम राज्य के भीतर नागा हिल्स नामक एक जिला था, जब इसे नागा हिल्स त्युएनसांग क्षेत्र (NHTA) के नामकरण के साथ केंद्रीय प्रशासन के अधीन रखा गया था। जुलाई, 1960 में, भारत के प्रधानमंत्री और नागा पीपुल्स कन्वेंशन के नेताओं के बीच चर्चा के बाद, एक 16 सूत्रीय समझौता हुआ, जिसके तहत भारत सरकार ने नागालैंड के गठन को भारत संघ के भीतर एक पूर्ण राज्य के रूप में मान्यता दी।

11 फरवरी 1964 को किया गया पहली नागालैंड विधानसभा का गठन

तदनुसार, इस क्षेत्र को नागालैंड समकालीन प्रावधान विनियमन, 1961 के तहत रखा गया था, जिसमें संबंधित जनजातियों के रीति-रिवाजों, परंपराओं और उपयोग के अनुसार विभिन्न जनजातियों द्वारा चुने जाने वाले 45 सदस्यों से युक्त एक अंतरिम निकाय प्रदान की गई थी। इसके बाद, नागालैंड ने संसद द्वारा नागालैंड राज्य अधिनियम, 1962 के अधिनियमन के साथ राज्य का दर्जा प्राप्त किया। इसी के साथ अंतरिम निकाय को 30 नवंबर, 1963 को भंग कर दिया गया और 1 दिसंबर, 1963 को औपचारिक रूप से नागालैंड राज्य का उद्घाटन किया गया था। जनवरी, 1964 में चुनाव के बाद, पहली नागालैंड विधानसभा का गठन 11 फरवरी 1964 को किया गया था।

नागालैंड राज्य अधिनियम, 1962 की धारा 11 के अनुसार, नागालैंड विधानसभा में सीटों की कुल संख्या साठ निर्धारित की गई थी। हालांकि, संविधान के अनुच्छेद 371 ए में निर्दिष्ट अवधि के लिए, राज्य के गठन की तारीख से पहले दस वर्षों में, नागालैंड की विधानसभा में सीटों की कुल संख्या शुरू में 46 पर तय की गई थी, जिनमें से 6 सीटें थीं त्युएनसांग जिले के लिए आरक्षित त्युएनसांग क्षेत्रीय परिषद के सदस्यों द्वारा आपस में चुने गए व्यक्तियों द्वारा भरा जाना है।

नागालैंड विधानसभा में कोई मनोनीत सदस्य नहीं

‘6 मार्च 1969’ से त्युएनसांग जिले को आवंटित सीटों को 6 से बढ़ाकर 12 कर दिया गया और विधानसभा की संख्या 46 से बढ़ाकर 52 कर दी गई। 1974 के चुनाव में, त्युएनसांग के लोगों ने पहली बार अपने मताधिकार का प्रयोग किया। त्युएनसांग जिले से 20 सदस्यों का चुनाव करने के लिए वयस्क मताधिकार और विधानसभा की ताकत 60 सदस्यों की पूरी ताकत तक बढ़ा दी गई थी। नागालैंड विधानसभा में कोई मनोनीत सदस्य नहीं है और सभी 60 सदस्य वयस्क मताधिकार के आधार पर चुने जाते हैं। सदन का सामान्य कार्यकाल पांच साल का होता है जब तक कि इसे जल्द से जल्द भंग नहीं किया जाता। विधानसभा में 13 स्थायी समितियां हैं।

 

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