बीचयू : पुरुष बांझपन में सास है ज़िम्मेवार:डॉ थंगराज
वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के महामना हॉल में आयोजित ADNAT 2023 के दूसरे दिन ०३ सत्रों में कुल १६ शोध पत्रोंका वाचन हुआ। प्रथम सत्र के मुख्य वक्ता CCMB हैदराबाद के निदेशक डॉ थंगराज ने पुरुषों में होने वाले बांझपन पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि पुरुषों में बांझपन के लिये केवल ychromozom के जीन ही नहीं बल्कि मातृत्व जीन भी ज़िम्मेवार होते हैं। कोई भी पुरुष अपनी माता से mtchondrial आनुवंशिकी आधे और आधे ऑटोज़ोम्स वंसानुगतकरता है। उन्होंने आगे बताया कि ९ जीन ज़िम्मेवार होते हैं किसी भी मनुष्य में बांझपन के लिये इनमें से कोई भी जीन पर्याप्त होता है। अतः किसी भी स्त्री अथवा पुरुष के बांझपन के पीछे आनुवंशिकी का बहुत बड़ा योगदान होता है। सामाजिक सन्दर्भ में उन्होंने उदाहरण दिया कि सामान्यतः ९०% केसेज में किसी भी स्त्री के बांझपन के पीछे का कारण उसके पति में विद्दमान आनुवंशिकी है जो उस स्त्री के पति में उसकी सास से आयी है ऐसे में बांझपन का कारण बहू ना होकर सास होती है।
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रहाहै: डॉनीरजराय
बीरबल साहनी शोध संस्थान, लखनऊ से आए पुरावंशिकी वैज्ञानिक डॉ नीरज राय ने अपने व्याख्यान में दक्षिण एशिया महाद्वीप में अबतक हुये प्राचीन आनुवंशिकी एवं आधुनिक आनुवंशिकी के क्षेत्र में किये जा रहे शोध पर अपने विचार रखे। डॉ नीरज राय ने संपूर्ण भारत वर्ष, श्रीलंका, मध्य एशिया एवं पूर्वी एशियाई देशों के सन्दर्भ में हुए अबतक के शोधों को साझा करते हुए भारत में उनके द्वारा किए गये शोध कार्यों पर विशेष प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि सिंधु घाटी सभ्यता वालों के पतन के पश्चात उस स्थान विशेषपर रहने वाले किस तरफ़ गए?उन्होने साक्ष्यों के अभाव में अपने विचार रखते हुए कहा कि अबतक किए गए शोध के अनुसार सिन्धू सभ्यता वासी गंगा घाटी की ओर उन्मुख हुए और यही गंगा घाटी में बसते हुए नवीन संस्कृति के रूप में उभरे। इसके साथ ही उनके द्वारा किए जा रहे शोध कार्यों की सीमायें और तौर तरीक़ों के बारे में भी लोगों को अवगत कराया।
इंस्स्टेम बैंगलौर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ दण्डपानी ने ५०० से ज्यादा सैम्पल पर अपने किये गये शोध पर यह प्रमाणित किया कि PRKCA नामक जीन की मौजूदगी के कारण दक्षिण एशिया में हाइपरट्राफ़िक कार्डियो मायोपैथी के लिए ज़िम्मेवार है। इसके लिए उन्होंने पूरे भारत से एक हार्ट कॉन्सोर्शियम बनाया और इक्ज़ोम सीक्वेंसिंग द्वारा पूरे जीनोम को सीक्वेंस किया। इस कड़ी में यह खोज भारत में होने वाले बहुतायत हृदय रोगों को डायग्नॉस करने में एक मील का पत्थर साबित होगी।
मानवका८% जीनोमरेट्रोवायरसका: डॉमानवेंद्रसिंह
जर्मनी के वैज्ञानिक डॉ मानवेन्द्र सिंह ने रेट्रो वायरस पर किए गये अपने अमेरिका एवं जर्मनी में किए गये अध्ययन में यह प्रमाणित किया कि मानव के उद्भव काल से ही बहुत सारी महामारियाँ विभिन्न वायरस के कारण फैलीं। जिसमें रेट्रो वायरस प्रमुख था। इसके कारण आज के मानव