



बीएचयू । आयुर्वेद संकाय चिकित्सा विज्ञानं संसथान कशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संज्ञाहरण विभाग एवं भारतीय संज्ञाहारक एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में संज्ञाहरण दिवस पर “मिशन -रेस्टोरेशन ऑफ़ संज्ञाहरण ” का शुभारम्भ किया गया ! समारोह के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय आयुर्वेद संसथान डीम्ड विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर संजीव शर्मा ,सम्मानित अतिथि संकाय प्रमुख प्रोफेसर कमल नयन द्विवेदी ,प्रोफेसर कुलवंत सिंह पूर्व कुलपति आयुर्वेद विश्व विद्यालय जामनगर ,प्रोफेसर,के. के. ठकराल पूर्व निदेशक आयुर्वेद सेवा उत्तेर प्रदेश एवं पूर्व विज़िटर नॉमिनी कशी हिन्दू विश्वविद्यालय , वरिष्ठ शल्य चिकितसक प्रोफेसर बाबू राम त्रिपाठी ,प्रोफेसर यस सी वार्ष्णेय ,संज्ञाहरक एसोसिएशन के संरक्षक प्रोफेसर डी पी पुराणिक तथा देश के विभिन्न क्षेत्रो के शल्य,शालाक्य, प्रसूति तंत्र और संज्ञाहरण के चिकित्सक और असोसिएशन के सदस्यों ने सहभागिता की!
समारोह में अतिथियों का स्वागत करते हुए असोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर डी यन पण्डे ने कशी हिन्दू विश्वविद्यालय में ६ फरवरी १९८९ को संज्ञाहरण विषय के स्वतंत्र पठन पाठन और २००५ में भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद् की पूर्ण मान्यता मिलने किंतु अचानक २०१६ में कतिपय अज्ञात करने से संज्ञाहरण विषय में एम् डी पाठ्यक्रम को डिस्कन्टिन्यू करदिया गया. परिणाम स्वरुप आयुर्वेद के शल्य चिकित्सा से सम्बंधित विषयो के शिक्षण प्रशिक्षण पर बहुत दुष्प्रभाव पड़ रहा है की बात कही !
संज्ञाहरण विभागाध्यक्ष प्रोफेसर के के पांडेय ने सम्मानित अतिथियो का स्वागत करते हुए २०१६ से संज्ञाहरण विषय में स्नातकोत्तर स्तर पर शिक्षण प्रशिक्षण शुरू करने की दिशा में विभाग द्वारा निरंतर किये जा रहे प्रयासों एवं संकाय प्रमुख और विश्वविद्यालय प्रशासन से मिलाने वाले सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया.
सम्मानित अतिथि संकाय प्रमुख पोफेसर के.यन द्विवेदी ने विभाग द्वारा किये जा रहे कार्यो की सराहना की तथा अष्टांग आयुर्वेद के सम्पूर्ण विकाश शिक्षण प्रशिक्षण एवं जान उपयोगी बनाने हेतु संज्ञाहरण विषय में स्नातकोत्तर स्तर पर पाठ्यक्रम पुनः शुरू किये जाने हेतु विश्वविद्यालय प्रशाशन और राष्ट्रीय आयोग भारतीय चिकित्सा पद्धति के अधिकारियो से अनुराध करते हुए संज्ञाहरण विषय के पुनह स्थापन के वरीयता की बात कही !
मुख्य अतिथि माननीय कुलपति एन आई ए जयपुर प्रोफेसर संजीव शर्मा जो स्वयं ख्यातिलब्ध आयुर्वेदिक सर्जन है और आयुर्वेद चिकित्सा की कई शीर्ष कमेटियों के सदस्य भी है ने अपने उद्बोधन में भारत सरकार द्वारा ५८ शल्य क्रियाओ की वैधानिक मान्यता मिलने पर भी बिना संज्ञाहरण विशेषज्ञों के सहयोग के न तो हम आयुर्वेद का संपूर्ण शिक्षण प्रशिक्षण कर सकते है और न ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य धारा में अपना वांक्षित सहयोग ही दे सकते है! अतः न केवल संज्ञाहरण विषय में पोस्ट ग्रेजुएशन को प्रारब्ध किया जाये अपितु उसे पूर्ण बैधानिक मान्यता भी दी जाये यही आज आयुर्वेदिक शिक्षा की समयानुकूल आवश्यकता है !
समारोह में प्रोफेसर कुलवंत सिंह,प्रोफ .बी आर त्रिपाठी ,डॉ भारती,डॉ बी एन मौर्या डॉ भास्कर डॉ शुशील दुबे आदि ने अपने विचार व्यक्त किये ! समारोह का सञ्चालन और धन्यवाद ज्ञापन डॉ राकेश जैस्वाल ने किया.
समराओ के अंत में भारत रत्न श्रद्धेय लता मंगेशकर जी एवं पूर्व संकाय अध्यक्षा आयुर्वेद जगत में प्रसूति तंत्र स्त्री रोग की संस्थापक जननी प्रो. प्रेमवती तिवारी को स्नेहिल श्रद्धाञ्जजाली अर्पित करते हुए २ मिनट का मौन रखा गया!
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