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बीएचयू स्थित क्षेत्रीय नेत्र संस्थान में BHU EYE BANK का उद्घाटन
· अत्याधुनिक तकनीक व सेवाओं से लैस है बीएचयू नेत्र बैंक
· बनारस क्षेत्र में पहला सरकारी नेत्र बैंक जहां आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं
वाराणसी। चिकित्सा विज्ञान संस्थान, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, स्थित क्षेत्रीय नेत्र संस्थान में व अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराने की श्रंखला में “बी.एच.यू. EYE Bank” की शुरुआत की गई है। कुलगुरु, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, प्रो. वी. के. शुक्ला ने बुधवार 22 जून 2022 को बीएचयू नेत्र बैंक का उद्घाटन किया। इस दौरान एल.वी. प्रसाद नेत्र संस्थान के कॉर्निया के अध्यक्ष डॉ. प्रशांत गर्ग विशेष अतिथि रहे। इस दौरान प्रो. वी. के शुक्ला तथा डॉ. गर्ग ने आई बैंक का निरीक्षण किया तथा उन सभी मशीनो के बारे में जानकारी ली जिनसे कॉर्निया को प्रत्यारोपित किया जाता है। इस दौरान उन्हें कॉर्निया प्रत्यारोपण की सूक्ष्म प्रसंस्करण वाली पद्धति भी दिखाई गई।
बीएचयू में पहले भी नेत्र बैंक कार्य करता था, लेकिन उसमें अत्याधुनिक व नवीन तकनीकें उपलब्ध नहीं थी। सबसे बड़ी चुनौती प्रत्यारोपित कॉर्निया की गुणवत्ता मापने की तकनीक का अभाव था, जिसके चलते अकसर ये मान लिया जाता था कि जो कॉर्निया प्रत्यारोपित की गयी है वह नेत्र ज्योति बढ़ायेगी ही। इसके अलावा यह भी मालूम नहीं हो पाता था कि किस कॉर्निया को नेत्र ज्योति के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है और किसे आँख की दीवार की मजबूती के लिए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बनारस क्षेत्र में यह पहला सरकारी नेत्र बैंक है और वो भी नवीनतम सुविधाओं से लैस। साथ ही साथ यहां के स्टाफ को नई पद्धतियों के बारे में प्रशिक्षित भी किया गया है, जिसका लाभ एक बड़ी आबादी को मिलने की उम्मीद है।
नेत्र बैंक के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए प्रो. वी. के. शुक्ला ने कहा कि समाज में नेत्रदान के संबंध में अनेक भ्रांतियां फैली हुई हैं, जिन्हे दूर करने की अत्यधिक आवश्यकता है। कई बार कॉर्निया की उपलब्धता के बावजूद तकनीक की कमी एवं तकनीक की उपलब्धता के बावजूद कॉर्निया की कमी चिकित्सकों के लिए चुनौती व मरीज़ों के लिए परेशानी का कारण बनती है। तकनीक की चुनौती का समाधान बीएचयू नेत्र बैंक है, लेकिन दूसरी चुनौती के लिए लोगों में जागरूकता का व्यापक प्रसार अत्यंत आवश्यक है।
चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. एस .के. सिंह आंकड़ों के साथ बताया कि दृष्टिहीनता भारत में कितनी गंभीर समस्या है। ऐसे में क्षेत्रीय नेत्र संस्थान, बीएचयू, तथा यहां का नेत्र बैंक बहुत महती भूमिका निभा सकता है। राष्ट्रीय दृष्टिहीनता नियंत्रण प्रोग्राम के उप निदेशक वाई. के. पाठक ने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का चिकित्सा विज्ञान संस्थान स्वास्थ्य सेवाओं का एक बड़ा केन्द्र है। ऐसे में बीएचयू नेत्र बैंक एक बड़ा परिवर्तन ला सकता है।
एल.वी. प्रसाद नेत्र संस्थान, हैदराबाद, के कार्यकारी अध्यक्ष, डॉ. प्रशांत गर्ग ने कहा कि चिकित्सकों व कर्मचारियों का प्रशिक्षित होना किसी भी नेत्र बैंक की सफलता केलिए सबसे महत्वपूर्ण हैं और एल.वी. प्रसाद नेत्र संस्थान इसके लिए सहर्ष तैयार है।
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