अयोध्यालाइव : भारत के संविधान की उद्देशिका: महत्व एवं दर्शन
गोरखपुर : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में विधि विभाग द्वारा संविधान दिवस के उपलक्ष्य में प्रभात फेरी एवं आचार्य प्रतापादित्य स्मृति व्याख्यान का आयोजन किया गया। आयोजन के क्रम में प्रातः 09 बजे से विधि विभाग के विद्यार्थियों द्वारा प्रभात फेरी निकाली गयी। प्रभात फेरी को अपर जनपद न्यायाधीश प्रथम श्री अशोक कुमार , जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्री देवेन्द्र कुमार द्वितीय,अपर जनपद न्यायाधीश श्री अभय प्रकाश नारायण ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस मौके पर उनके साथ विधि विभाग के अध्यक्ष एवं अधिष्ठाता प्रो अहमद नसीम एवं पूर्व अध्यक्ष एवं अधिष्ठाता प्रो जितेंद्र मिश्र उपस्थित रहे। प्रभात फेरी विश्वविद्यालय परिसर स्थित विधि संकाय भवन से निकलकर दीक्षा भवन, कला संकाय व विज्ञान संकाय भवन होते हुए विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पहुंची जहां राष्ट्रध्वज के सम्मुख सामूहिक रूप से भारतीय संविधान की उद्देशिका का वाचन किया गया। प्रभातफेरी विश्वविद्यालय के विधि संकाय भवन पर जाकर सम्पन्न हुयी।
आयोजन के अनुक्रम में विधि विभाग में आचार्य प्रतापादित्य स्मृति विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान का विषय “भारत के संविधान की उद्देशिका: महत्व एवं दर्शन” था। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डाॅ. वी. पी. सिंह उपाचार्य (सेवानिवृत्त) सेण्ट एण्ड्रयूज काॅलेज, गोरखपुर थे एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के विधि विभाग के अध्यक्ष एवं अधिष्ठाता प्रो. अहमद नसीम ने किया। कार्यक्रम में आचार्य प्रतापादित्य राम त्रिपाठी के सुपुत्रद्वय प्रो. सतीश चन्द्र त्रिपाठी, श्री दिनेश चंद्र त्रिपाठी एवं सुपुत्री डाॅ. विजया उपाध्याय जी उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा सरस्वती माँ की प्रतिमा एवं आचार्य प्रतापादित्य राम त्रिपाठी के चित्र पर माल्यार्पण कर एवं दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया।
कार्यक्रम की श्रृंखला में विभाग की छात्र-छात्राओं ने सरस्वती वन्दना एवं कुलगीत प्रस्तुति किया। कार्यक्रम की अगली कड़ी में कार्यक्रम संयोजक डाॅ. मनीष राय द्वारा मुख्य अतिथि तथा अन्य उपस्थित मंचस्थ गणमान्य का परिचय प्रस्तुत किया गया। विधि विभाग के सहायक आचार्य डाॅ. टी. एन. मिश्रा द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया।
विधि विभाग के पूर्व अध्यक्ष एवं अधिष्ठाता प्रो. जितेन्द्र मिश्र ने विषय प्रवर्तन किया एवं उन्होंने संविधान का लक्ष्य रामराज्य की स्थापना को बताया तथा संविधान की उद्देशिका में वर्णित विभिन्न लक्ष्यों को रामचरित मानस से जोड़ा।
व्याख्यान के मुख्य अतिथि एवं वक्ता डाॅ. वी. पी. सिंह ने व्याख्यान का आरम्भ करते हुए अपने छात्र जीवन के अनुभवों को साझा किया और छात्रों को भारतीय संविधान के मूल्यों को आत्मसात करने का सुझाव दिया। अपने व्याख्यान में उन्होने संविधान सभा के गठन, उसके द्वारा संविधान निर्माण पर प्रकाश डाला, साथ ही केशवानन्द भारती वाद का उद्धरण देते हुए बताया कि भारतीय उच्चतम न्यायालय ने यह अभिकथित किया है कि संविधान की उद्देशिका भारत के संविधान का अभिन्न भाग है। आगे उन्होने संविधान की उद्देशिका में वर्णित विभिन्न लक्ष्यों न्याय, स्वतंत्रता, समता एवं बंधुत्व को क्रियान्वित करने में सरकार द्वारा किए गए विभिन्न उपायों तथा साथ ही साथ उन उपायों की न्यायिक समीक्षा पर प्रकाश डाला।
विधि विभाग के अध्यक्ष एवं अधिष्ठाता प्रो. अहमद नसीम ने मुख्य वक्ता को ओजपूर्ण व ज्ञानवर्धक व्याख्यान के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होने बताया कि 1979 में एल.एम. सिंघवी जी ने यह प्रस्ताव रखा कि 26 नवम्बर को प्रतिवर्ष “विधि दिवस” के रूप में मनाया जाना चाहिए तथा यह प्रस्ताव सबके द्वारा सहर्ष स्वीकार किया गया और तब से 26 नवम्बर को प्रतिवर्ष विधि दिवस के रूप मे मनाया जाने लगा तथा वर्ष 2015 में भारत सरकार द्वारा इस दिवस को एक नए नाम “संविधान दिवस” के रूप में मनाए जाने की शुरूआत की गयी।
साथ ही साथ ये भी कहा कि संविधान की उद्देशिका की पहली पंक्ति ही इस देश के चरित्र को प्रस्तुत करती है तथा आगे उद्देशिका हमें इस संविधान के लक्ष्यों को बताती है। आगे अपने उद्बोधन में उन्होने संविधानवाद के बारे मे बताते हुए उसके महत्व पर प्रकाश डाला।कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रो. वी एन पांडेय, प्रो. अनिल कुमार द्विवेदी , डाॅ.अखिल मिश्र , डाॅ. वेद प्रकाश राय, डाॅ. सुमन लता चौधरी, श्रीमती वंदना सिंह, डाॅ. ओम प्रकाश सिंह, डाॅ. शैलेश सिंह, डाॅ. शिव पूजन सिंह, डाॅ. अभय चन्द्र मल्ल, डाॅ. आशीष शुक्ला, डाॅ. आलोक कुमार,कर्मचारी संघ अध्यक्ष महेंद्र सिंह, अनिल कुमार चौरसिया, संतोष कुमार एवं शोध ,परास्नातक , स्नातक के छात्र-छात्राएं एवं विभाग के कर्मचारी लोग उपस्थित रहे।
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