



अयोध्या। डॉ0 राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के विधि विभाग एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, अयोध्या के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को राष्ट्रीय बालिका दिवस पर ऑनलाइन वेबीनार का आयोजन किया गया।

वेबीनार को संबोधित करते हुए विधि संकायाध्यक्ष डॉ0 अशोक कुमार राय ने बालिकाओं के सरंक्षण के विभिन्न संवैधानिक प्रावधानों से परिचित कराते हुए उनके क्रियान्वयन पर बल दिया। उन्होंने जॉन मिल्टन का उद्धरण देते हुए कहा कि शिशु उसी तरह मनुष्य को प्रतिबिंबित करता है और सम्पूर्ण मानवता को लाभान्वित करता है जिस प्रकार सुबह दिन का रूप लेती है और समूची दुनियां को प्रकाशित करती है। डॉ0 राय ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के विभिन्न न्यायिक निर्णयों के माध्यम से यह स्पष्ट किया कि प्रवर्तनीय विधायनों की अनुपलब्धता में भी संविधान के मूलभूत सिद्धान्तों की आत्मा के अनुरूप बाल अधिकारों को सुनिश्चित कराया जा सकता है। उन्होंने क्रियाशील विधायन और निर्जीव विधियों में अंतर स्पष्ट करते हुए विधि के उद्देश्यों को मूर्त रूप में लाने पर बल दिया। जिला विधिक प्राधिकरण के सचिव रिचा वर्मा ने कन्या भ्रूण हत्या, ईव टीजिंग, स्टाकिंग जैसे अपराधों पर प्रकाश डालते हुए माता पिता को अपनी सोच बदलने का आग्रह किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि ईव टीजिंग, स्टाकिंग जैसे अपराधों की सूचना बालिकाओं द्वारा परिजनों को देने पर परिजनों को उसे अवाइड करने की सलाह देने के बजाय उन्हें यह बताना चाहिए कि यह अपराध है इसके लिए विधिक कार्यवाही आवश्यक है। डॉ0 सन्तोष पांडेय ने वेबिनार को सम्बोधित करते हुए कहा कि लैंगिक असमानता एवम बालिकाओं के प्रति हो रहे अत्याचार ,अनाचार का सन्दर्भ एक सामाजिक चिंता का विषय है। प्रत्येक जिम्मेदार नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो बालिकाओं के सम्मान के विरुद्ध हो। प्रत्येक नागरिक की व्यक्तिगत तौर पर तय की स्वैच्छिक जिम्मेदारी बालिकाओं के समग्र विकास में सहायक सिद्ध होगी अन्यथा सिर्फ विधि निर्माण से अपेक्षित सुधार असम्भव है। डॉ0 विवेक ने विभिन्न सांविधिक प्रावधानों का उल्लेख करते हुए उनके क्रियान्वयन पर प्रकाश डाला। डॉ0 वन्दना गुप्ता ने कहा कि एक सभ्य समाज मे बालिकाओं के साथ सम्मानपूर्ण व्यवहार किया जाना चाहिए। वेबिनार में डॉ0 तुहिना वर्मा, इं. राजीव यादव, शैली पाण्डेय सहित एलएल.एम.के विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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