Saturday, April 20, 2024
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अमृत से कम नहीं है गिलोय, घर में जरुर लगायें अमृता गिलोय की बेल : डॉ आर पी पांडे वैद्य

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अमृत से कम नहीं है गिलोय, घर में जरुर लगायें अमृता गिलोय की बेल

आयुर्वेद में अमृता गिलोय का इस्तेमाल है बेहद कारगर जाने इसके लाभ

सौ रोगों की एक दवा है अमृता गिलोय, इसे संस्कृत में अमृता नाम दिया गया है : आचार्य डॉक्टर आरपी पांडे वैद्य जी

कहते हैं कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला और इस अमृत की बूंदें जहां-जहां छलकीं, वहां-वहां गिलोय की उत्पत्ति हुई।

इसका वानस्पिक नाम टीनोस्पोरा कॉर्डीफोलिया है। इसके पत्ते पान के पत्ते जैसे दिखाई देते हैं और जिस पौधे पर यह चढ़ जाती है, उसे मरने नहीं देती। इसके बहुत सारे लाभ आयुर्वेद में बताए गए हैं, जो न केवल आपको सेहतमंद रखते हैं, बल्कि आपकी सुंदरता को भी निखारते हैं।

उपचार की वैकल्पिक कही जाने वाली पद्धतियां, वास्तव में प्राथमिक हैं। इन पद्धतियों की औषधियों और उपचारों में बहुधा ऐसे तत्वों व जड़ी-बूटियों का उपयोग होता है, जो हमारे आसपास प्रकृति में आसानी से मिल जाते हैं। आयुर्वेद में ऐसे ही एक चमत्कारिक जड़ी-बूटी है – गिलोय, जैसा नाम, वैसा काम

आयुर्वेद में गिलोय को अमृत बेल भी कहा जाता है। कारण है, न तो यह खुद मरती है और न ही सेवन करने वाले को कोई रोग होने देती है। गिलोय का सेवन किसी भी उम्र के व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है। यह चमत्कारिक जूड़ी-बूटी दस्त जैसे सामान्य से लेकर डेंगू व कैंसर जैसे प्राण घातक रोगों में भी बहुत लाभदायक है। यह भारत में 1 हजार फीट की ऊंचाई तक सर्वत्र पाई जाती है।गिलोय, बेल के रूप में देश के लगभग हर कोने में पाई जाती है। खेतों की मेंड़, घने जंगल, घर के बगीचे, मैदानों में लगे पेड़ों के सहारे कहीं भी गिलोय की बेल प्राकृतिक रूप से अपना घर बना लेती है। इसके पत्ते देखने में पान की तरह और हरे रंग के होते हैं। समय होने पर इसमें गुच्छे में छोटे लाल बेर से कुछ छोटे फल भी लगते हैं।

वैज्ञानिकों ने गिलोय के पौधे में से विभिन्न प्रकार के तत्वों को प्राप्त किया है। गिलोय में बरबेरिम, ग्लुकोसाइड गिलाइन आदि रासायनिक तत्व पाए जाते हैं। इसके काण्ड से एक स्टार्च (गुडूची सत्व) निकलता है, जो त्रिदोषशामक है।

गिलोय के 10 इंच का टुकड़ा और तुलसी के 8-10 पत्ते लेकर पेस्ट बना लें। उसको पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं। इसको दिन में 2 बार लेने से बुखार उतरता है। बच्चों और बड़ों, दोनों में दृष्टि कमजोर हो जाना सामान्य दोष है। 10 मिली गिलोय का रस, शहद या मिश्री के साथ सेवन करने पर दृष्टि लाभ निश्चित है।

रक्त विकार के कारण पैदा होने वाले रोगों जैसे खाज, खुजली, वातरक्त आदि में शुद्ध गुगुल के साथ लेने से लाभ होता है। इससे अमृतादि गुग्गलू बनाया जाता है। गिलोय का काढ़ा मूत्र विकरों में भी लाभदायक है। गिलोय के काढ़े में अरंडी का तेल मिलाकर सेवन करने से जटिल संधिवात रोग भी दूर होता है। गिलोय के अनेक स्वास्थ्य लाभ हैं। विशेषज्ञों ने पाया कि गिलोय में रोग प्रतिरोधक प्रणाली के आलावा कई तरह के बेहतर गुण हैं। इसके एंटी-स्ट्रेस और टॉनिक गुणों को भी क्लीनिकली प्रमाणित किया जा चुका है। बच्चों में इसके बहुत अच्छे नतीजे प्राप्त हुए, कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि गिलोय या अमृता पर यथा नाम, तथा गुण सही बैठता है।

गिलोय को आयुर्वेद में एक महान औषधि माना जाता है। और इसे जीवन्तिका नाम दिया गया है। गिलोय की बेल हमें जंगलों, खेतों की मेड़ों, पहाड़ों की चट्टानों और पेड़ पोधों आदि जगहों पर आमतौर पर कुण्डलाकार बेल चढ़ती मिल जाती है। गिलोय में एक विशेष प्रकार का गुण होता है जिसके कारण यह बेल जिस भी पेड़ या पौधे पर चढती है उसके गुण अपने अंदर धारण कर लेती है। जैसे यह नीम के पेड़ को अपना आधार बनाती है, तो नीम के गुण भी अपने अंदर समाहित कर लेते है। इसी दृष्टि से नीम पर चढ़ी गिलोय सर्वश्रेष्ठ औषधि मानी जाती है।

इसका तना एक छोटी अंगुली से लेकर अगुंठे जितना मोटा होता है अधिक पुरानी गिलोय का तना बाहू जितना मोटा भी हो सकता है। इसमें से जगह जगह से जड़े निकलकर निचे की और लटकती रहती है। चट्टानों अथवा खेतों की मेड़ों पर यह जड़ें जमीन में घुसकर अन्य नई बेलों को उत्पन्न करती है। गिलोय एक प्रकार की ऐसी बेल है, जिसे आप सौ रोगों की एक दवा कह सकते हैं। और आपको बता दे संस्कृत में इसको अमृता भी कहा गया है कहा जाता है कि देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ था तो उसमे से जो अमृत निकला और इस अमृत की बूंदें जहां-जहां छलकीं, वहां-वहां गिलोय की उत्पत्ति हुई ऐसा माना जाता है

गिलोय का वैज्ञानिक नाम टीनोस्पोरा कॉर्डीफोलिया है। गिलोय के पत्ते बिलकुल पान के पत्तों की तरह दिखते है और गिलोय की बेल जिस पेड पर चढ़ जाती है उस पेड़ को मरने नहीं देती है। आयुर्वेद में इसके बहुत से लाभ बताएं गये है। जो आपको केवल स्वस्थ ही नहीं रखते है बल्कि आपकी सुंदरता को भी निखारते है। इसके फायदे इतने ज्यादा हैं कि शायद इसकी गिनती करना भी बहुत मुश्किल है और सबसे बड़ी बात यह है कि वात ,पित्त और कफ तीनों रोगों को ठीक करने के काम आती है। इसे कोई भी व्यक्ति चाहे वह वात का रोगी हो, चाहे कफ का रोगी हो या पित्त का रोगी हो इसे हर व्यक्ति प्रयोग में ला सकता है।

गिलोय की तासीर कैसे होती है ?
आयुर्वेद के अनुसार गिलोय की तासीर गर्म बताई है। इसलिए गिलोय को सर्दी जुखाम और बुखार में विशेष रूप से इसका उपयोग किया जाता है।

गिलोय का सेवन कैसे करें ?
पुरे विश्व में कोरोना वायरस के कहर के कारण आज हर व्यक्ति को अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना बेहद आवश्यक हो गया है। ऐसे में हम कई प्राकृतिक उपायों को अपनाकर अपनी रोगप्रतिरोधक क्षमता मजबूत कर रहें हैं। जिन प्राकृतिक उपायों की हम बात कर रहें हैं इनमें गिलोय विशेषकर लोकप्रिय और गुणकारी औषधि मानी जाती है। मात्र गिलोय को उबाल कर पीने से ही हमारे घर के बच्चों और बड़ों की इम्युनिटी पॉवर काफी मजबूत होती है। लेकिन गिलोय को लेकर एक प्रश्न सभी के मन में उठता है कि इसको कितनी मात्रा में पीना चाहिए।

जानकारी के अनुसार गिलोय का सेवन किसी भी बच्चे (पांच साल से अधिक)से लेकर बुजुर्ग तक को दिया जा सकता है। बच्चों को गिलोय रोजाना एक कप तक पिलाना चाहिए, जबकि व्यस्क या बुजुर्ग व्यक्ति रोजाना इस औषधि को एक गिलास तक पी सकते हैं। गिलोय पीने के बाद यदि आपको कुछ परेशानी हो तो इसका सेवन नहीं करें।

गिलोय को संग्रह करने का समय
बारिश में मौसम में गिलोय की बेले पत्तों से भर जाती हैं। गिलोय की जड़ से लेकर ऊपर तक सभी चीजें काम आती है यानि गिलोय की जड़,तना,पत्ते,छाल और फल सभी उपयोगी है। गिलोय के तने का अधिकांश उपयोग हर्बल दवाओं में करते है इसके तनो को जनवरी से मार्च के बीच में इसका संग्रह किया जाता है। इसकी पत्तियों में कैल्शियम, प्रोटीन, फास्‍फोरस और तने में स्टार्च पाया जाता है। अपने सूजन कम करने के गुण के कारण, यह गठिया और आर्थेराइटिस से बचाव में अत्यंत लाभदायक है।

गिलोय से किन-किन बीमारियों का उपचार होता है 
गिलोय हमारी इम्युनिटी को बढ़ा कर रोगो से दूर रखती है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में से विषैले तत्वों को बाहर निकालने का कार्य करते हैं। यह हमारे खून को साफ करती है। और हमारे शरीर को बैक्टीरिया से लड़ने के लिए तैयार करती है और हमारे लीवर और किडनी की कार्यक्षमता को बढ़ाती है।

आयुर्वेद में अमृता गिलोय का इस्तेमाल है बेहद कारगर जाने इसके लाभ

घाव जल्दी भरना  गिलोय की पत्तियों को पीस कर पेस्ट बनाकर अब एक बरतन में थोड़ा सा नीम या अरंडी का तेल उबालें। गर्म तेल में पत्तियों का पेस्ट मिलाएं। ठंडा होने पर घाव पर लगाएं। घाव जल्दी भर जाएगा।

डेंगू गिलोय का सेवन करने से डेंगू के कारण कम हुई प्लेटलेट्स बढ़ जाती है अगर किसी को लगातार बुखार रह रहा हो तो वो भी गिलोय का काढ़ा पीएं तो फायदा होगा। गिलोय के चूर्ण और शहद मिलाकर खाएं।

बवासीर गिलोय का रस और छाछ पीने से आपको बवासीर से आराम मिलेगा।

गैस और बदहजमी -गैस और बदहजमी होने पर आंवला और गिलोय का चूर्ण एक साथ लेने से यह समस्या दूर होगी। मोटापा से परेशान हो, पेट में कीड़े या खुन की कमी हो तो गिलोय का रस और शहद का सेवन करें।

टीबी रोग- अश्वगंधा, गिलोय, शतावर, दशमूल, बलामूल, अडूसा, पोहकरमूल तथा अतीस को बराबर भाग में लेकर इसका काढ़ा बनाएं। 20-30 मिली काढ़ा को सुबह और शाम सेवन करने से टीबी की बीमारी ठीक होती है।

पीलिया रोग गिलोय के औषधीय गुण पीलिया को ठीक करने बहुत मदद करते हैं। गिलोय के 20-30 मिली काढ़ा में 2 चम्मच शहद मिलाकर दिन में तीन-चार बार पिलाने से पीलिया रोग में लाभ होता है। गिलोय के तने के छोटे-छोटे टुकड़ों की माला बनाकर पहनने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।

लीवर में विकार होने पर दो नग नीम ,2 नग छोटी पिपली और 18 ग्राम ताजी गिलोय, 2 ग्राम अजमोद लेकर सेक लें। इन सबको मसलकर रात को 250 मिली जल के साथ मिट्टी के बरतन में रख दें। सुबह पीसकर छान लें और फिर इसका सेवन करें। 15 से 30 दिन तक लगातार सेवन से लीवर व पेट की समस्याएं तथा अपच की परेशानी ठीक हो जाती है।

मूत्र रोग (रुक-रुक कर पेशाब होना)– गिलोय के 10-20 मिली रस में 2 ग्राम पाषाण भेद चूर्ण और 1 चम्मच शहद मिला लें। इसे दिन में तीन-चार बार सेवन करने से रुक-रुक कर पेशाब होने की समस्या ठीक हो जाती है।
फाइलेरिया (हाथीपाँव) – 10-20 मिली गिलोय के रस में 30 मिली सरसों का तेल मिला लें। इसे रोज सुबह और शाम खाली पेट पीने से हाथीपाँव या फाइलेरिया रोग में लाभ होता है।

कुष्ठ रोग (कोढ़ की बीमारी)-10-20 मिली गिलोय के रस को दिन में दो-तीन बार कुछ महीनों तक नियमित पिलाने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।

गिलोय बढ़ाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता
गिलोय एक ऐसी बेल है, जो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर उसे बीमारियों से दूर रखती है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करते हैं। यह खून को साफ करती है, बैक्टीरिया से लड़ती है। लिवर और किडनी की अच्छी देखभाल भी गिलोय के बहुत सारे कामों में से एक है। ये दोनों ही अंग खून को साफ करने का काम करते हैं।

ठीक करती है बुखार
अगर किसी को बार-बार बुखार आता है तो उसे गिलोय का सेवन करना चाहिए। गिलोय हर तरह के बुखार से लडऩे में मदद करती है। इसलिए डेंगू के मरीजों को भी गिलोय के सेवन की सलाह दी जाती है। डेंगू के अलावा मलेरिया, स्वाइन फ्लू में आने वाले बुखार से भी गिलोय छुटकारा दिलाती है।

गिलोय के फायदे – डायबिटीज के रोगियों के लिए
गिलोय एक हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट है यानी यह खून में शर्करा की मात्रा को कम करती है। इसलिए इसके सेवन से खून में शर्करा की मात्रा कम हो जाती है, जिसका फायदा टाइप टू डायबिटीज के मरीजों को होता है।

पाचन शक्ति बढ़ाती है
यह बेल पाचन तंत्र के सारे कामों को भली-भांति संचालित करती है और भोजन के पचने की प्रक्रिया में मदद कती है। इससे व्यक्ति कब्ज और पेट की दूसरी गड़बडिय़ों से बचा रहता है।

कम करती है स्ट्रेस
गलाकाट प्रतिस्पर्धा के इस दौर में तनाव या स्ट्रेस एक बड़ी समस्या बन चुका है। गिलोय एडप्टोजन की तरह काम करती है और मानसिक तनाव और चिंता (एंजायटी) के स्तर को कम करती है। इसकी मदद से न केवल याददाश्त बेहतर होती है बल्कि मस्तिष्क की कार्यप्रणाली भी दुरूस्त रहती है और एकाग्रता बढ़ती है।

बढ़ाती है आंखों की रोशनी
गिलोय को पलकों के ऊपर लगाने पर आंखों की रोशनी बढ़ती है। इसके लिए आपको गिलोय पाउडर को पानी में गर्म करना होगा। जब पानी अच्छी तरह से ठंडा हो जाए तो इसे पलकों के ऊपर लगाएं।

अस्थमा में भी फायदेमंद
मौसम के परिवर्तन पर खासकर सर्दियों में अस्थमा को मरीजों को काफी परेशानी होती है। ऐसे में अस्थमा के मरीजों को नियमित रूप से गिलोय की मोटी डंडी चबानी चाहिए या उसका जूस पीना चाहिए। इससे उन्हें काफी आराम मिलेगा।

गठिया में मिलेगा आराम
गठिया यानी आर्थराइटिस में न केवल जोड़ों में दर्द होता है, बल्कि चलने-फिरने में भी परेशानी होती है। गिलोय में एंटी आर्थराइटिक गुण होते हैं, जिसकी वजह से यह जोड़ों के दर्द सहित इसके कई लक्षणों में फायदा पहुंचाती है।

अगर हो गया हो एनीमिया, तो करिए गिलोय का सेवन
भारतीय महिलाएं अक्सर एनीमिया यानी खून की कमी से पीडि़त रहती हैं। इससे उन्हें हर वक्त थकान और कमजोरी महसूस होती है। गिलोय के सेवन से शरीर में लाल रक्त कणिकाओं की संख्या बढ़ जाती है और एनीमिया से छुटकारा मिलता है।

बाहर निकलेगा कान का मैल
कान का जिद्दी मैल बाहर नहीं आ रहा है तो थोड़ी सी गिलोय को पानी में पीस कर उबाल लें। ठंडा करके छान के कुछ बूंदें कान में डालें। एक-दो दिन में सारा मैल अपने आप बाहर जाएगा।

कम होगी पेट की चर्बी
गिलोय शरीर के उपापचय (मेटाबॉलिजम) को ठीक करती है, सूजन कम करती है और पाचन शक्ति बढ़ाती है। ऐसा होने से पेट के आस-पास चर्बी जमा नहीं हो पाती और आपका वजन कम होता है।

 खूबसूरती बढ़ाती है गिलोय
गिलोय न केवल सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है, बल्कि यह त्वचा और बालों पर भी चमत्कारी रूप से असर करती है….

जवां रखती है गिलोय
गिलोय में एंटी एजिंग गुण होते हैं, जिसकी मदद से चेहरे से काले धब्बे, मुंहासे, बारीक लकीरें और झुर्रियां दूर की जा सकती हैं। इसके सेवन से आप ऐसी निखरी और दमकती त्वचा पा सकते हैं, जिसकी कामना हर किसी को होती है। अगर आप इसे त्वचा पर लगाते हैं तो घाव बहुत जल्दी भरते हैं। त्वचा पर लगाने के लिए गिलोय की पत्तियों को पीस कर पेस्ट बनाएं। अब एक बरतन में थोड़ा सा नीम या अरंडी का तेल उबालें। गर्म तेल में पत्तियों का पेस्ट मिलाएं। ठंडा करके घाव पर लगाएं। इस पेस्ट को लगाने से त्वचा में कसावट भी आती है।

बालों की समस्या भी होगी दूर
अगर आप बालों में ड्रेंडफ, बाल झडऩे या सिर की त्वचा की अन्य समस्याओं से जूझ रहे हैं तो गिलोय के सेवन से आपकी ये समस्याएं भी दूर हो जाएंगी।

 गिलोय का प्रयोग ऐसे करें
अब आपने गिलोय के फायदे जान लिए हैं, तो यह भी जानिए कि गिलोय को इस्तेमाल कैसे करना है…

 गिलोय जूस
गिलोय की डंडियों को छील लें और इसमें पानी मिलाकर मिक्सी में अच्छी तरह पीस लें। छान कर सुबह-सुबह खाली पेट पीएं। अलग-अलग ब्रांड का गिलोय जूस भी बाजार में उपलब्ध है।

 काढ़ा
चार इंच लंबी गिलोय की डंडी को छोटा-छोटा काट लें। इन्हें कूट कर एक कप पानी में उबाल लें। पानी आधा होने पर इसे छान कर पीएं। अधिक फायदे के लिए आप इसमें लौंग, अदरक, तुलसी भी डाल सकते हैं।

पाउडर
यूं तो गिलोय पाउडर बाजार में उपलब्ध है। आप इसे घर पर भी बना सकते हैं। इसके लिए गिलोय की डंडियों को धूप में अच्छी तरह से सुखा लें। सूख जाने पर मिक्सी में पीस कर पाउडर बनाकर रख लें।

गिलोय वटी
बाजार में गिलोय की गोलियां यानी टेबलेट्स भी आती हैं। अगर आपके घर पर या आस-पास ताजा गिलोय उपलब्ध नहीं है तो आप इनका सेवन करें।

साथ में अलग-अलग बीमारियों में आएगी काम
अरंडी यानी कैस्टर के तेल के साथ गिलोय मिलाकर लगाने से गाउट(जोड़ों का गठिया) की समस्या में आराम मिलता है।इसे अदरक के साथ मिला कर लेने से रूमेटाइड आर्थराइटिस की समस्या से लड़ा जा सकता है।खांड के साथ इसे लेने से त्वचा और लिवर संबंधी बीमारियां दूर होती हैं।आर्थराइटिस से आराम के लिए इसे घी के साथ इस्तेमाल करें।कब्ज होने पर गिलोय में गुड़ मिलाकर खाएं।

साइड इफेक्ट्स का रखें ध्यान
वैसे तो गिलोय को नियमित रूप से इस्तेमाल करने के कोई गंभीर दुष्परिणाम अभी तक सामने नहीं आए हैं लेकिन चूंकि यह खून में शर्करा की मात्रा कम करती है। इसलिए इस बात पर नजर रखें कि ब्लड शुगर जरूरत से ज्यादा कम न हो जाए।

गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को गिलोय के सेवन से बचना चाहिए। पांच साल से छोटे बच्चों को गिलोय न दें।

एक निवेदन :– अपने घर में बड़े गमले या आंगन में जंहा भी उचित स्थान हो गिलोय की बेल अवश्य लगायें यह बहु उपयोगी वनस्पति ही नही बल्कि आयुर्वेद का अमृत और ईश्वरीय वरदान है। हमसे जुड़िये आइये

आयुर्वेद को जाने और निरोग रहे

बुखार के कारण क्या है

मौसम बदलने के कारण बुखार होना आम है जिससे घबराने की कोई बात नहीं। वायरल फीवर किसी वाइरस की वजह से फैलता है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमज़ोर होने पर होता है। जिन लोगों की body immunity मजबूत है उन्हें वायरल फीवर होने का खतरा कम होता है।
वायरल फीवर का उपचार कैसे करे

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वायरल बुखार में शरीर का तापमान 100 से 103 डिग्री या इससे भी अधिक हो सकता है। फ़्रिज़ में रखा ठंडा पानी पीने, कोल्ड ड्रिंक्स पीने और ठंड लगने से वायरल बुखार होने की सम्भावना अधिक होती है। इस बुखार का वायरस एक व्यक्ति से दूसरे में सांस के द्वारा तेज़ी से फैलता है।

छोटे बच्चों में वायरल फीवर होने से दस्त, उल्टी, खाँसी, ठंड लगना और सिर दर्द जैसी परेशानियां होती है। Viral fever आम बुखार जैसा ही होता है, बीमारी का सही पता लगाने के लिए एक बार डॉक्टर से जांच ज़रूर करवाए।

बुखार का इलाज के घरेलू नुस्खे और उपाय
1. तिल के तेल या घी में लहसुन की 5 से 7 कलियाँ तोड़ कर तल ले। अब इसमें सेंधा नमक डाल कर मरीज को खिलाए। किसी भी वजह से बुखार हो इस उपाय से उतर जाएगा।
2. अगर बुखार तेज हो तो मरीज के माथे पर ठंडे पानी में भीगी पट्टियां रखें और ये तब तक करे जब तक शरीर का तापमान कम ना हो जाए। पट्टी रखने के कुछ देर बाद गरम हो जाती है, ऐसे में थोड़ी देर बाद इसे फिर से पानी में भिगो कर सिर पर रखे।
3. सर्दी और जुकाम के कारण बुखार हुआ हो तो मुलेठी, शहद, तुलसी और मिश्री को पानी में अच्छे से मिला कर गाढ़ा बनाये और मरीज को पिलाए। इस आयुर्वेदिक नुस्खे से जुकाम का इलाज होता है और बुखार में भी आराम मिलता है।
4. बुखार से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में पानी की कमी ना हो इसलिए जरुरी है पानी अधिक मात्रा में पिए। पानी में ग्लूकोस घोल कर भी ले सकते है। पानी पीना हो तो पहले उसे उबाल कर रखे और बाद में इसमें से ही पानी पिए। गुनगुना पानी पीना जादा बेहतर है।
5. एक चम्मच सिरका 1 कप गरम पानी में डाल कर इसमें आलू का एक टुकड़ा भिगो कर रोगी के सिर पर रखने से बुखार में आराम मिलेगा।
6. बुखार आने पर रोगी को जादा से जादा आराम करना चाहिए और खाने पिने का भी पूरा ध्यान रखे। दूध, साबूदाना और मिश्री जैसी हल्की फुलकी चीज़े खाने को दे। नारियल पानी और मौसमी का जूस पीना भी अच्छा होता है।
7. अगर गर्मी में लू लगने से बुखार या टाइफाइड की समस्या हुई है तो कच्चा आम पानी में पका ले और इसके रस को पानी में घोल कर पिये।
8. पुदीने और अदरक का काढ़ा पीने से भी बुखार में आराम मिलता है। काढ़ा पीने के बाद आराम करे, बाहर हवा में ना निकले।
9. मौसम में आए हुए बदलाव से बुखार हुआ हो तो तुलसी की चाय के सेवन से आराम मिलता है।
10. लहसुन की कुछ कलियाँ पीस कर सरसों के तेल में डालें और गरम करे। तेल ठंडा होने के बाद इससे पैरों के तलवों की मालिश करे।

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