Thursday, September 12, 2024
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G 20 में ‘हरित भविष्य के लिए स्वच्छ ऊर्जा’ पर मंथन

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G 20 में ‘हरित भविष्य के लिए स्वच्छ ऊर्जा’ पर मंथन

स्‍वच्‍छ,सस्ती और सुलभ ऊर्जा पर मंथन के लिए भारत की G20 अध्यक्षता के अंतर्गत त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में दो दिन का साइंस-20 सम्‍मेलन आज से शुरू हो रहा है।

“हरित भविष्‍य के लिए स्‍वच्‍छ ऊर्जा” विषय पर होने वाले इस विज्ञान सम्‍मेलन का आयोजन G20 की बैठकों के एक भाग के रूप में हो रहा है। लगभग 75 प्रति‍निधि इस सम्‍मेलन में शामिल होने के लिए त्रिपुरा पहुंच चुके हैं। बांग्‍लादेश के प्रतिनिधि भी निमंत्रित सदस्‍य के रूप में इस कार्यक्रम में भाग लेंगे।

क्या है वर्तमान वैश्विक ऊर्जा संकट ?

विश्व आर्थिक मंच (WEF) के अनुसार SDG 7 (संधारणीय विकास लक्ष्य – 7) को पूरा करने के लिए दुनिया सही तरीके से प्रगति नहीं कर रही है जिसका एक बड़ा कारण सभी के लिए सस्ती, विश्वसनीय, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा की कमी है।

WEF की रिपोर्ट के मुताबिक आज भी दुनियाभर में 750 मिलियन से अधिक लोगों की बिजली तक पहुंच नहीं है और वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा अपनाने की दर अभी भी बहुत कम है। जिसे समाप्त करने की बेहद आवश्यकता है।

ऐसा माना जाता है कि ‘ऊर्जा किसी सभ्यता का  इंजन होती है’ लेकिन इसके बावजूद वर्तमान में दुनिया में पर्याप्त और सुलभ ऊर्जा स्रोतों तक पहुँच सभी के लिये एकसमान रूप से उपलब्ध नहीं है।

अगर बात केवल दक्षिण एशिया की ही करें तो तकरीबन 1 बिलियन से अधिक लोग अभी भी  ऊर्जा की अत्यंत सीमित पहुँच के साथ संघर्ष कर रहे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) ने अनुमान लगाया है  कि शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण साल 2030 तक भारत की ऊर्जा मांग हर साल 3% से अधिक तक बढ़ सकती है।

कोविड महामारी,यूक्रेन संघर्ष और वैश्विक आर्थिक संकट जैसे प्रकरणों ने वैश्विक ऊर्जा संकट में और अधिक वृद्धि की है वहीं प्रदूषणकारी ऊर्जा स्रोतों से वैश्विक जलवायु परिवर्तन में भी बढ़ोतरी हुई है

क्या नवीकरणीय ऊर्जा से हो सकता है वैश्विक ऊर्जा संकट का समाधान?

“एक ऐसी ऊर्जा जो प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर करती है। इसमें सौर ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, पवन, ज्वार, जल और बायोमास के विभिन्न प्रकारों को शामिल किया जाता है नवीकरणीय ऊर्जा कहलाती है।”

हाल के वर्षों में भारत समेत पूरी दुनिया का ध्यान नवीकरणीय ऊर्जा पर गया है और निसन्देह इसमें काफी प्रगति भी हुई है।

हर कोई जानता है कि नवीकरणीय ऊर्जा कभी भी समाप्त नहीं हो सकती है और इसे लगातार नवीनीकृत किया जाता है।

नवीकरणीय ऊर्जा संसाधन, ऊर्जा के पुराने स्रोतों के मुकाबले काफी बड़े क्षेत्र में फैले हुए हैं और ये सभी देशों को काफी आसानी से उपलब्ध हो सकते हैं।

नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं बल्कि इनके साथ कई प्रकार के आर्थिक लाभ भी जुड़े होते हैं।

अन्तरराष्ट्रीय ऊर्जा अभिकरण (IEA) के अनुसार वैश्विक बिजली उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी 2019 में 27% से बढ़कर 2020 में 29% हो गई है। IAE के अनुसार पवन ऊर्जा सबसे बड़ी वृद्धि के लिए निर्धारित ऊर्जा साधन बनी है, जो 275 TWH (टेरावाट घंटा) , या लगभग 17% बढ़ रही है, जो कि 2020 के स्तर से काफी अधिक है।

अगर हालिया वर्षों की प्रगति को देखा जाए तो वाकई यह समझ में आता है कि दुनिया नवीकरणीय ऊर्जा के प्रति अधिक जागरूक और संगठित हुई है।

हालांकि दुनियाभर में यह प्रगति अभी भी समान रूप से नहीं हुई है।

ट्रैकिंग एसडीजी 7: ‘द एनर्जी प्रोग्रेस रिपोर्ट’ के मुताबिक, जब तक अविकसित देशों में ऐसे प्रयासों को महत्वपूर्ण रूप से नहीं बढ़ाया जाता है, तब तक दुनिया 2030 तक सस्ती, भरोसेमंद, टिकाऊ और आधुनिक ऊर्जा तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित नहीं कर पाएगी।

आज भी दुनिया की 80 प्रतिशत ऊर्जा जीवाश्म  ईधन से आती है। IEA के डाटा से पता चलता है कि दुनिया की ऊर्जा का  33.1%,तेल, 24.2% गैस और 27% कोयला से आता था, लेकिन 2011 से 2021 तक, नवीकरणीय ऊर्जा वैश्विक बिजली आपूर्ति के 20% से बढ़कर 28% हो गई थी।

इसके अलावा जीवाश्म ऊर्जा का उपयोग 68% से 62% तक और परमाणु ऊर्जा 12% से 10% तक कम हो गई। इसके सतह ही  जलविद्युत का हिस्सा 16% से घटकर 15% हो गया जबकि सूर्य और हवा से बिजली 2% से बढ़कर 10% हो गई। दूसरी ओर बायोमास और भूतापीय ऊर्जा 2% से बढ़कर 3% हो गई है।

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन इसमें कैसे महत्वपूर्ण ?

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) भारत के प्रधानमंत्री और फ्राँस के राष्ट्रपति द्वारा 30 नवंबर, 2015 को फ्राँस की राजधानी पेरिस में आयोजित कोप-21 (COP-21) के दौरान शुरू की गई पहल है।

ISA का उद्देश्य ISA सदस्य देशों में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये प्रमुख चुनौतियों का साथ मिलकर समाधान निकालना है।

वर्तमान दुनिया में सौर ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का सबसे महत्वपूर्ण साधन है। सूर्य की असीमित ऊर्जा से नवीकरणीय ऊर्जा के साथ ही दुनिया के ऊर्जा संकट को खत्म करने के लिए एक  बेहद कारगर साधन है।

वर्तमान में 122 देश इसके सदस्य हैं और 87 देशों ने आईएसए के फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें से 67 ने अनुसमर्थन पत्र भी जमा कर दिये हैं।

वृहद स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन से वैश्विक ऊर्जा के प्रयासों को बल मिलेगा और नवीकरणीय ऊर्जा का बेहतर तरीके से सभी तक प्रयोग के मायने भी बढ़ते जाएंगे।

हरित ऊर्जा संबंधी भारतीय प्रयास

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोगकर्त्ता देश है। प्रति व्यक्ति आधार पर देखें तो भारत का ऊर्जा उपयोग और उत्सर्जन वैश्विक औसत के आधे से भी कम है।

वर्ष 2019 में भारत ने घोषणा की कि वह वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा की अपनी स्थापित क्षमता को 450 GW (गीगावाट) तक ले जाएगा।

उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन योजना (PLI) नवीकरणीय ऊर्जा के लिये कच्चे माल के उत्पादन हेतु विनिर्माण क्षेत्र के संवर्द्धन के संबंध में भारत सरकार की एक और पहल है।

पीएम-कुसुम (प्रधानमंत्री-किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान ) का लक्ष्य वर्ष 2022 तक 25,750 मेगावाट की सौर ऊर्जा क्षमता का दोहन कर किसानों को वित्तीय एवं जल सुरक्षा प्रदान करना है।

जल पंपों का सोलराइजेशन ही उपभोक्ता के दरवाजे पर उपलब्ध बिजली वितरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

भारत की G20 अध्यक्षता में ‘हरित भविष्य के लिए स्वच्छ ऊर्जा’ पर मंथन किया जाएगा और बैठक में G20 सदस्य देश स्‍वच्‍छ,सस्ती और सुलभ ऊर्जा के लिए आपस में चर्चा करेंगे जिससे निश्चय ही वैश्विक हरित ऊर्जा के लिए इसमें नए समाधान निकाले जायेगें।

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