बीएचयू : वैदिक विज्ञान केन्द्र, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा संचालित एक वर्षीय शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए ‘‘वैदिक गणित में डिप्लोमा’’ पाठ्यक्रम में प्रथम एक दिवसीय परिचयात्मक कक्षा का प्रथम व्याख्यान सम्पन्न हुआ। पूर्व संकायप्रमुख, संस्कृतविद्या धर्मविज्ञान संकाय एवं पूर्व विभागाध्यक्ष, ज्योतिष विभाग के प्रो0 रामचन्द्र पाण्डेय ने कहा कि विश्व का प्राचीनतम साहित्य वेद है। वेदों में गणितीय संकेत मिलते है, जहाँ 16 सूत्रों का निर्माण किया गया है। वेदां में न केवल गणित ही अपितु अन्तरिक्षविद्या एवं खगोलशास्त्र का भी वर्णन है। उन्होंने 09 प्रकार के कालमान के विषय में बताया, जिसमें से प्रमुख रूप से 04 कालमान- सौरमान, चन्द्रमान, नक्षत्रमान एवं सावनदिन मान के बारे विस्तृत वर्णन किया। वर्ष, मास, दिन, नक्षत्रमण्डल, ग्रहणकाल आदि सब गणित पर आधारित है, जिसका वर्णन वेदां में है। काल का विवेचन जिस तरह से वेदां में किया गया है उसी प्रकार पुराणों में भी किया गया है। पुराणों में वैदिक विषयों को कथा के अनुसार भी वर्णन किया है। वैदिक विज्ञान केन्द्र के समन्वयक प्रो0 उपेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने वैदिक गणित का महत्व विद्यार्थियों के सामने रखते हुए कहा कि गणित विद्या विज्ञान का मूल आधारशास्त्र है जो वेदां-वेदांगों में भरपूर शोध के विषय है।
इस कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ0 पंकज कुमार तिवारी, अतिथि अध्यापक, वैदिक विज्ञान केन्द्र ने कहा कि वैदिक गणित का सबसे महत्त्वपूर्ण लाभ यह है कि इन विधियों में समय की बचत होती है तथा उत्तर मौखिक रूप दी जा सकती है। जहाँ एक तरफ सामान्य विधि से किसी भी सवाल का हल करने में 10 से 15 मिनट का समय लगता वहीं वैदिक गणित विधि से बहुत कम समय में उत्तर तक पहुँचा जा सकता है। इस कार्यक्रम में डॉ0 एस.एल. मौर्या एवं डॉ0 बजरंग चतुर्वेदी, अतिथि अध्यापक, वैदिक विज्ञान केन्द्र एवं छात्रगण उपस्थित रहें।