Saturday, November 2, 2024
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16वां अयोध्या फिल्म फेस्टिवल में होगा फिल्मकारों का जमावड़ा

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16वां अयोध्या फिल्म फेस्टिवल में होगा फिल्मकारों का जमावड़ा

अवाम का सिनेमा

10-11 नवंबर को अशफाक-बिस्मिल सभागार, अयोध्या में होगा आजोजन

अयोध्याः काकोरी एक्शन के महानायक पं. राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ और अशफाक उल्ला खां की स्मृति में आयोजित होने वाले उत्तर प्रदेश का पहले चर्चित फिल्म समारोह ने धड़कने बढ़ा दी हैं। राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, बेनीगंज के सभागार में 10-11 नवंबर को आयोजित होने वाले अयोध्या फिल्म फेस्टिवल में सरोकारी फिल्मों का प्रदर्शन, फोटो एवं दस्तावेजों की प्रदर्शनी, सेमीनार, नाटक, पोस्टर एवं रंगोली प्रतियोगिता, फैशन शो, पुस्तक प्रदर्शनी, फिल्म मेकिंग वर्कशॉप आदि विविध सामाजिक-सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है। अयोध्या फिल्म फेस्टिवल आयोजन ने जहां देश-दुनियां के सिने-साहित्य प्रेमियों को अपनी आकर्षित किया है वहीं समाज में सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना का प्रकाशपुंज बना है। आयोजन में आने वाले सिनेमा और साहित्‍य जगत की हस्तियों के साथ ही फिल्मों का मेला भी अब सजने वाला है।

10 नवंबर 2022 को प्रातः 10 बजे आईटीआई बेनीगंज, अयोध्या के अशफाक-बिस्मिल सभागार में ‘आजादी के नायक’ विषय पर पेंटिग तो वहीं ‘अवाम का सिनेमा’ थीम पर रंगोली प्रतियोगिता हो रही है। जिसमें स्कूलों, कालेजों, विश्वविद्यालय व अन्य कलाकार अपना हुनर दिखाएंगे।

उद्धाटन समारोह 11 बजे शुरू होगा जिसमें शहीद-ए-वतन अशफाक उल्ला खां के पौत्र शादाब उल्ला खान, उत्तर प्रदेश सरकार गृह विभाग के डिप्टी सेक्रेट्री अर्जुन सिंह देव, फिल्म निर्माता राजेश कुमार जायसवाल, निशानेबाजी के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी राहुल तोमर अतिथि के तौर पर शामिल होंगे। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता शासकीय आईटीआई के प्राचार्य इंजी. वी के बाजपेयी और संचालन फिल्म निर्देशक मुकेश वर्मा करेंगे। इस दौरान तमाम सांस्कृतिक कार्यक्रम और चुनिंदा फिल्मों का प्रदर्शन जारी रहेगा।

11 नवंबर को प्रातः 10 बजे फिल्म मेकिंग वर्कशाप शुरू होगी। जिसमें सिनेमा निर्माण से जुड़े विशेषज्ञ फिल्म बनाने की बारीकी बताएंगे। विभिन्न विषयों पर देश-दुनिया की फिल्मों का प्रदर्शन जारी रहेगा। दूसरे दिन देश के अलग-अलग हिस्सों से अभिनेता, फिल्म निर्माता-निर्देशक और शख्सियत फिल्म समारोह की शोभा बढ़ाएंगे। जिसमें फिल्म एक्टर आरके सुरेश (चेन्नई) जयश्री रचकोंडा (हैदराबाद) गीता सरोहा (मुंबई) शक्ति मिश्रा (लखनऊ) जितेंद्र बर्दे (पुणे) रिविक (कोलकाता) के साथ फिल्म निर्माता-निर्देशक लक्ष्मी आर अय्यर (मुंबई) डॉ. रमादेवी शेखर (चेन्नई) साधना मदावत जैन (दिल्ली) दीपक सत्य प्रकाश गर्ग (मुंबई) नसीम अहमद खान (पटना) राजवीर अरबल्ली (मुंबई) तिरूपति बर्दे (पुणे) गौतम रचिराजू (हैदराबाद) एसपीपी भास्करन (चेन्नई) आशीष नेहरा (हरियाणा) कौतुक सक्सेना (दिल्ली) अमित राय (दिल्ली) के अलावा अंटार्कटिका फेम साइंटिस्ट प्रोफेसर जसवंत सिंह, आईसीएन ग्रुप प्रधान संपादक प्रोफेसर (डॉ.) शाह अयाज सिद्दीकी, फेस्टिवल ज्यूरी चेयरमैन और फिल्म निर्देशक प्रोफेसर मोहनदास आदि शिरकत करेंगे।

अयोध्या फिल्म फेस्टिवल के संस्थापक डॉ. शाह आलम राना ने जानकारी देते हुए बताया कि 16 वें वर्ष के आयोजन के लिए के भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, मैसेडोनिया, युगोस्लाविया, जापान, कनाडा, चीन, ताइवान, डेनमार्क, रसियन फेडरेशन, जर्मनी सहित 23 देशों से कुल फिल्में 267 प्राप्त हुई थीं। इस बार के निर्णायक मंडल फिल्म निर्माता-निर्देशक और लेखिका चारू शर्मा, संपादक और फिल्म समीक्षक महुआ मजूमदार, फिल्म समीक्षक, पत्रकार और लेखक संजय वर्मा ‘साजन’, फिल्म निर्देशक और ज्यूरी चेयरमैन प्रोफेसर डॉ. मोहन दास शामिल थे।

ज्यूरी सदस्यों ने जिन फिल्मों को अयोध्या फिल्म फेस्टिवल में प्रर्दशन के लिए चयन किया है उनमें एक्टेंडेड वारंटी, बुन्नी, मिशन फरमार्मेंश, जेलम, नज़रिया-द प्रर्सपेक्टिव, द लास्ट सब्जेक्ट, मोरया, डाइन, पाव भाजी, पनिक, शिवोहाम, लच्छी, गुलाब जामुन, ताम, भोग, ग्रे, रिवल्स, नाइटलाइन, डिस्टीनेशन पैराडाइज, आमरस, बगुलबुआ, चाबीवाला-के स्मिथ, मां, दूर-दर्शन, चल दो ना, फर्स्ट सेकेंड चांस, विज़िटिरान, बी बी लाल- डोयन ऑफ इंडियन आर्कोलॉजी, मेरी चिड़िया, इजाद, फलाफिल, पिंजरे की तितलियां, से इट थ्रीस, बिफोर यू डाइ, कोवाक्कुयिल, ऐहोल, मान्यता, रूटीन, टू पी पीसफुली, अनलॉक 7, आईरिस, लाइफ एंड डेब्ट, कद्दू, रोल द डिश, कंबाल, द फर्स्ट लॉफ, वनवास, डेशर, बॉयकिल डे, शैडो ऑफ द नाइट, काकोली के राम, सेवन सीड्स फिल्में शामिल हैं।

कुछ इस तरह शुरू हुआ सिलसिला

अयोध्या फिल्म फेस्टिवल के संस्थापक डॉ. शाह आलम राना बताते हैं कि अवाम का सिनेमा के 17 वर्ष कुछ कम नहीं होते, इसके सफरनामे की शुरुआत 28 जनवरी 2006 को अयोध्या से हुई थी। तब पहली बार डॉ. आरबी राम ने तीन सौ रुपये का आर्थिक सहयोग देकर क्रांतिवीरों की यादों को सहेजने की इस पहल का स्वागत किया था। आजादी आंदोलन के योद्धा और कानपुर बम एक्शन के नायक अनंत श्रीवास्तव के सुझाव पर बना इसका संविधान तो प्रसिद्ध और सरोकारी डिजाइनर अरमान अमरोही ने इसका लोगो बनाया। सत्तरह वर्षों में देश-दुनिया की बहुत सारी शख्सियतें इसकी गवाह बनीं, फिर भी वह दौर आसान नहीं था। बावजूद इसके अयोध्या से लेकर चाहे चंबल का बीहड़ हो, राजस्थान का थार मरुस्थल या फिर सुदूर कारगिल, अवाम का सिनेमा पुरजोर तरीके से अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए राजनीति, समाज सबकी सच्चाइयों को सरोकारी सिनेमा के जरिये समाने लाने में लगातार लगा हुआ है।

आयोजन इस तरह हुआ सफल

17 वर्षों के सफर में देश भर में हुए सफल आयोजनों में देश सहित दुनियां के कई हिस्सों से सरोकारी हस्तियां अपने खर्चे से शामिल होकर हौसला बढ़ाती रही हैं। इसके इलावा क्रांतिकारियों से संबंधित दस्तावेज, फिल्म, डायरी, पत्र, तस्वीरें, तार, मुकदमे की फाइल आदि तमाम सामग्री लोगों से तोहफे में मिली है। गांव, कस्बों से लेकर, महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों सहित अन्य शैक्षणिक संस्थानों ने जहां निशुल्क कार्यक्रम स्थल दिया है। विभिन्न सामाजिक संगठनों ने जमीनी स्तर पर जनसहभागिता बढ़ाकर हौसला बढ़ाया है, तो वहीं जन माध्यमों ने इसे नई पहचान देकर सामाजिक बदलाब की इबारत लिखी है। आयोजन से जुड़े साथियों ने फेसबुक, ट्विटर, पत्र, ईमेल, नुक्कड़ मीटिंग, चर्चा करके आयोजन की सूचना समाज से साझा करते रहे हैं तो वहीं कई ने क्रांतिकारियों पर लगातार लिखकर जागरूकता बढ़ाई है। साथ ही वीडियो, फोटो, दस्तावेजीकरण और प्रकाशन में आर्थिक और श्रम सहयोग देकर इस विरासत को आगे बढ़ाया है। यही आयोजन की सबसे बड़ी सफलता है।

अयोध्या फेस्टिवल के प्रतीक का इतिहास

अयोध्‍या फिल्म फेस्टिवल में प्रतीक के तौर पर यहां के प्राचीन सिक्‍के का प्रयोग किया गया है जो पुरातन अवध के ही हिस्‍से में प्राप्‍त हुआ था। भारत और विश्व के इतिहास में पहली बार सिक्कों का चलन यहीं शुरू हुआ। ये जनपद 1200 ईसा पूर्व और 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व के बीच अस्तित्व में रहे और भारतीय उपमहाद्वीप में फैले। इनमें कुल 56 राज्य और 16 महानजपदों में शामिल माने जाते हैं। माना जाता है कि इनमें से कुछ सिक्के बुद्ध के जीवन काल के दौरान अच्छे से ढाले गए होंगे। राजगोर के अनुसार, शाक्य कालीन मुद्रा 100 रत्ती के बराबर तक होता था, जिसे शतमान कहा जाता था। शतमान आठ षण में विभाजित था, जबकि अयोध्या फिल्म फेस्टिवल के लोगो में दर्शाए गए सिक्के में पांच षण शामिल हैं।

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