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आयुर्वेद को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर स्थापित करने में विज्ञान एवं तकनीकी का योगदान
“आयुर्वेद को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर स्थापित करने में विज्ञान एवं तकनीकी का योगदान” विषय पर प्रदेश भर से आये हुए आयुर्वेद चिकित्सक/शिक्षक संगोष्ठी में प्रतिभाग किये एवं प्रकाश डालें , क्रिया शारीर विभाग, आयुर्वेद संकाय, चिकित्सा विज्ञान संस्थान, काशी हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश राज्य में कार्यरत चिकित्सा अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया तथा लगभग 300 विद्वानों ने भाग लिया तथा विशेषज्ञों ने अपने विचार व्यक्त किये ।
इस संगोष्ठी मे माननीय डॉ. दया शंकर मिश्र दयालु जी, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), आयुष खाद्य सुरक्षा औषधि एवं औषधि प्रशासन, उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि आयुर्वेद को जन-जन तक पहुँचाने के लिए आवश्यक सुधार सरकार द्वारा किये जा रहे हैं और आयुर्वेद औषधीय रोगों को दूर करने में सक्षम है जो अन्य चिकित्सा पद्धति में नहीं है । कोरोना काल में गिलोय की उपयोगिता एवं गुणवत्ता जन-जन तक प्रचारित हुई है जिसके लिए अनुसंधान की आवश्यकता है ।
भारत में “आयुष वीजा” बनाने की चर्चा
आँख के रोगों को ठीक किये जाने के लिए केन्या के राष्ट्रपति की बेटी की रोशनी आने की चर्चा करते हुए भारत में “आयुष वीजा” बनाने की चर्चा के साथ ही साथ वर्चुअल रिसर्च लैब के माध्यम से उत्तर प्रदेश, सरकार बी. एच. यू. के साथ कार्य करने की प्रयास करेगी इसके साथ ही आयुष मंत्रालय के माध्यम से BHU को भी धनराशि उपलब्ध कराने हेतु आश्वासन दिया ।
BNYS का पंजीकरण प्रणाली को विकसित करने का अश्वासन दिया । आपके द्वारा यह भी बताया गया कि पूर्व में शोध हेतु द्रव्यगुण विभाग में पंजीकृत कराए थे उनका आयुर्वेद से पुराना नाता है और आयुष पद्धति को बढाये जाने हेतु हर स्तर से सहयोग करेंगे उनका यह भी कथन था कि प्रधान मंत्री जी एवं मुख्य मंत्री जी आयुष विधा की पुरे विश्व में स्थापित किये जाने हेतु सदैव प्रयास कर रहे हैं |
आयुर्वेद को पूरे दुनिया में स्थापित किया जा सकता है
काशी हिंदू विश्वविद्यालय, विज्ञान संस्थान के निदेशक, प्रोफेसर ए. के. त्रिपाठी जी द्वारा बताया गया कि आयुर्वेद को विज्ञान की तर्ज पर 3-4 औषधियों का वैज्ञानिक विश्लेषण के पश्चात आयुर्वेद को पूरे दुनिया में स्थापित किया जा सकता है उन्होंने बताया कि BGR को वैज्ञानिक मानकता के अनुसार बनाया गया तो पूरी दुनिया ने उसे स्वीकार किया ।
डीन रिसर्च IMS प्रो. ए.के. चौधरी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए आश्वस्त किया कि चिकित्सा विज्ञान संस्थान, BHU हर स्तर से आयुर्वेद संकाय एवं उत्तर प्रदेश का सहयोग करेगा |
इस कार्यक्रम के माध्यम से निदेशक आयुर्वेद सेवाएं उत्तर प्रदेश में प्रदेश भर में चल रहे आयुष वेलनेस सेन्टर को सुचारू रूप से चलाने पर जोर दिया तथा मोदी जी के द्वारा भारत में विदेशों द्वारा चिकित्सा कराने के लिए “आयुष वीजा” की सार्थक फल की तथा वैद्य सुशील कुमार दूबे की कार्यों के प्रति सराहना की |
आयुर्वेद को अन्तराष्ट्रीय पटल पर स्थापित
आयुर्वेद को अन्तराष्ट्रीय पटल पर स्थापित करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा मदद करने के लिए कहा |
के निर्देश पर 59 क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारियों सहित 59 चिकित्साधिकारी एवं 16 आयुर्वेद महाविद्यालय के शिक्षक सहभागिता करेंगे ।
अधिकारियों को उनके द्वारा रोगियों को दी जाने वाली चिकित्सा एवं अन्य जानकारियों को अनुसंधान की दृष्टि से एक डाटा बैंक को तैयार करने हेतु जानकारियों को समाहित करने के संबंध में अवगत कराया जाएगा ।
भविष्य में एक डाटा बैंक की रचना का सूत्र बनेगा
इस संगोष्ठी के माध्यम से भविष्य में एक डाटा बैंक की रचना का सूत्र बनेगा जिसके माध्यम से राज्य भर के आयुर्वेद चिकित्सा में किन-किन लोगों को एवं किन-किन दवाइयों के प्रयोग से रोग मुक्त किया गया इसकी सूचना एकत्रित हो सकेगी ।
BNYS के पंजीकरण के लिए तथा पुन: BNYS के कोर्स को आरम्भ किये जाने हेतु माननीय मंत्री जी से अनुरोध किये
इस संगोष्ठी में 6 वैज्ञानिक सत्रों का आयोजन किया जाएगा, जिनमें काशी हिंदू विश्वविद्यालय के एवं बाहर से आए हुए विशिष्ट वक्ताओं द्वारा वैद्य सुशील कुमार दुबे ने नाड़ी परीक्षण ( पल्स एग्जामिनेशन ) पर प्रकाश डाला तथा कार्यक्रम में आयुर्वेद पद्धति के आहार क्रम को बताते हुए माननीय मंत्री जी से आयुष मंत्रालय से आयुर्वेद संकाय को धनराशि उपलब्ध कराए जाने हेतु तथा आयुर्वेद छात्रों के लिए MD की सीटें बढ़ाये जाने हेतु अनुरोध किये तथा प्रो. यामिनी भूषण त्रिपाठी जी ने BNYS के पंजीकरण के लिए तथा पुन: BNYS के कोर्स को आरम्भ किये जाने हेतु माननीय मंत्री जी से अनुरोध किये।
डॉ वंदना वर्मा – प्रकृति परीक्षण ( असेसमेंट ऑफ प्रकृति ), डॉ. बिनायक कुमार दुबे – एंथ्रोपोमेट्रिक मेजरमेंट्स, डॉ. उर्मिला श्रीवास्तव – यूटिलिटी ऑफ क्वेश्चनेयर एज ए मैथड ऑफ डाटा कलेक्शन इन रिसर्च, प्रोफेसर एस. एन. द्विवेदी – स्टडी डिजाइन इन आयुर्वेदिक रिसर्च, प्रोफेसर हरि शंकर – सर्वे स्टडी ऑन नॉन कम्युनिकेबल डिजीज आदि विषयों की जानकारी दी जाएगी ।
इस संगोष्ठी में प्रदेश भर से आयुर्वेद के लगभग 300 विद्वानों के सम्मिलित होने की संभावना है ।
डॉ. बासु ने नेत्र रोगों के लिए आयुर्वेद औषधि से बना आई ड्राप के बारे में अवगत कराया जो बिना ऑपरेशन के द्वारा मोतियाबिंद का इलाज सम्भव है।
.आयुर्वेद संकाय के द्रव्यगुण विभाग में औषधि पर अनुसंधान की पहल
प्रो. कमल नयन द्विवेदी ( संकाय प्रमुख ) ने आयुर्वेद संकाय के द्रव्यगुण विभाग में औषधि पर अनुसंधान की पहल की और उहोने आश्वस्त किया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने शोध के लिए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय सदैव उपस्थित रहेगा और यदि उत्तर प्रदेश सरकार और BHU मिलकर कार्य करेंगे तो वो दिन दूर नहीं कि हमें विश्व की अगुवाई का मौका मिलेगा।
आयुर्वेद जीवन यात्रा में रिसर्च पर जोर
प्रो. यामिनी भूषण त्रिपाठी जी ने अपने आयुर्वेद जीवन यात्रा में रिसर्च पर जोर दिया तथा किये गये अनुसंधान गुगुलु पर हृदय रोगों में सार्थक बताया आज उनका सेवानिवृत्त के अवसर पर सभी अतिथियों ने उन्हें सम्मान पत्र देते हुए स्वागत किया, वैद्य सुशील कुमार दुबे, प्रो. संगीता गहलोत, डॉ. अपर्णा सिंह, डॉ नम्रता जोशी, डॉ अनामिका यादव, सुधा यादव आदि उपस्थित रहें ।
https://www.ayodhyalive.com/आयुर्वेद-को-अंतर्राष्ट्र/
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