Thursday, March 28, 2024
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एक ब्रांड के रूप में CBI हर जुबान पर, इसे और मजबूत करना जरूरी: पीएम मोदी

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CBI न्याय के लिए एक ब्रांड के रूप में उभरी, इसे और मजबूत करना जरूरी: पीएम मोदी


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (सोमवार), 3 अप्रैल 2023 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के डायमंड जुबली समारोह का उद्घाटन किया। समारोह का आयोजन नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में किया गया है। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि सीबीआई न्याय के लिए एक ब्रांड के रूप में उभरी है। इसे और मजबूत करने की जरूरत है। लोग सीबीआई जांच की मांग के लिए आंदोलन तक करते हैं। लोगों को सीबीआई पर भरोसा है।

PM मोदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि देश की प्रीमियम इन्वेस्टिगेशन एजेंसी के रूप में 60 वर्ष का सफर CBI ने पूरा किया है। ये 6 दशक निश्चित रूप से अनेक उपलब्धियों के रहे हैं। आज यहां CBI के मामलों से जुड़े सुप्रीम कोर्ट का संग्रह भी जारी किया गया है। ये सीबीआई के बीते वर्षों के सफर को दिखाता है।

CBI ने सामान्य जन को एक विश्वास दिया

उन्होंने कहा कि न्याय के, इंसाफ के एक ब्रांड के रूप में CBI हर जुबान पर है। सीबीआई ने अपने काम और कौशल से सामान्य जन को एक विश्वास दिया है। आज भी जब किसी को लगता है कि कोई केस असाध्य है, तो आवाज उठती है कि मामला सीबीआई को देना चाहिए।

एक ब्रांड के रूप में CBI हर जुबान पर

पीएम मोदी ने जोर देते हुए बताया कि लोग आंदोलन करते हैं कि केस उनसे लेकर सीबीआई को दे दो। यहां तक कि पंचायत स्तर पर भी कोई मामला आता है तो लोग कहते हैं कि इसे सीबीआई को दे देना चाहिए। न्याय के, इंसाफ के एक ब्रांड के रूप में सीबीआई हर जुबान पर है।

उन्होंने सीबीआई के डायमंड जुबली समारोह वर्ष को चिह्नित करते हुए एक डाक टिकट और स्मारक सिक्का भी जारी किया। पीएम मोदी ने सीबीआई का ट्विटर हैंडल भी लॉन्च किया। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह और सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

1 अप्रैल, 1963 को हुई CBI की स्थापना

केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की स्थापना भारत सरकार के गृह मंत्रालय के दिनांक 1 अप्रैल, 1963 के एक संकल्प द्वारा की गई थी। इस अवसर पर पीएम मोदी ने सीबीआई के 18 अधिकारियों को उनकी विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया। उन्होंने सर्वश्रेष्ठ जांच अधिकारियों के लिए तीन अधिकारियों को स्वर्ण पदक भी प्रदान किया। प्रधानमंत्री ने शिलॉन्ग, पुणे और नागपुर में सीबीआई के नवनिर्मित कार्यालय परिसरों का उद्घाटन भी किया।

ये है CBI से जुड़ी जरूरी जानकारी…

– केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की स्थापना प्रशासन में भ्रष्टाचार के उन्मूलन और सत्यनिष्ठा को स्थापित करने के लिए लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के सहयोग से वर्ष 1946 में दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट पारित हुआ।

– वर्ष 1962 में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने प्रशासन में भ्रष्टाचार की बढ़ती घटनाओं से निपटने एवं सुझाव देने के लिए कस्तूरी रंगा संथानम कमेटी नियुक्त की। कमेटी की संस्तुतियों पर अमल करते हुए भारत सरकार ने 1 अप्रैल 1963 को रेजोल्यूशन द्वारा केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो अर्थात CBI की स्थापना की।

– CBI के प्रथम डायरेक्टर डी.पी कोहली ने सीबीआई अधिकारियों का मार्गदर्शन करते हुए कहा- जनता आपसे कार्यकुशलता और सत्य निष्ठा दोनों में उच्चतम स्तर की अपेक्षा करती है। ऐसे में उस विश्वास को बनाए रखना है।

– प्रारंभ से ही CBI ने अपने आदर्शवाद के उद्यमिता, निष्पक्षता एवं सत्यनिष्ठा के पथ पर चलते हुए अत्यंत जटिल एवं संवेदनशील मामलों में सत्य को उजागर कर देश की विभिन्न संस्थाओं और जनता का विश्वास अर्जित किया है।

– भ्रष्टाचार उन्मूलन और सार्वजनिक जीवन में सत्यनिष्ठा बनाए रखने के लिए सीबीआई पर preventive vigilance एवं  Punitive vigilance की मुख्य जिम्मेदारियां हैं।

– देश के आर्थिक स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए सीबीआई बैंक धोखाधड़ी और आर्थिक अपराधों की गहन जांच व अनुष्ठानों से जुड़े साइबर मामलों की जांच एवं G7 24/7 के नेटवर्क से अंतर्राष्ट्रीय डेटा संरक्षण के लिए अधिकृत नोडल एजेंसी है।

– देश की उत्कृष्ट जांच एजेंसी सीबीआई पर गंभीर मामलों की जांच अनुसंधान एवं उनके सफल अभियोजन का दायित्व है।

– अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के अंतर्गत इंटरपोल की नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करने वाली सीबीआई आज देश के विभिन्न पुलिस बल के साथ परस्पर समन्वय, प्रशिक्षण एवं रिसर्च के माध्यम से राष्ट्र को सुरक्षित एवं संरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

– सीबीआई की वास्तविक शक्ति उसके अनुसंधान एवं अभियोजन अधिकारियों की पेशेवर दक्षता, कर्तव्य के प्रति समर्पण एवं ईमानदारी से ही है।

– गाजियाबाद स्थित सीबीआई एकेडमी में कड़े प्रशिक्षण में तपकर सीबीआई ऑफिसर्स अपने विशिष्ट दायित्वों के लिए तैयार होते हैं।

– देश की सभी कानूनी प्रवर्तन संस्थाओं के लिए सीबीआई की क्राइम मैनुअल एवं मानक संचालक प्रक्रियाएं गोल्ड स्टैंडर्ड मानी जाती हैं।

– निरंतर परिवर्तित होते आपराधिक परिवेश से निपटने के लिए नवीनतम तकनीकों को अपनाकर सीबीआई ने कई अति विशिष्ट जांच प्रभाग एवं इकाइयां बनाई है।

– सीबीआई के कार्यालयों का नेटवर्क श्रीनगर से तिरुवनंतपुरम एवं गांधीनगर से ईटानगर तक देश के 36 शहरों में स्थित हैं।

– सीबीआई के जांच एवं अभियोजन अधिकारियों के बेजोड़ तालमेल उनके निरंतर प्रशिक्षण एवं उन्नयन आधुनिक तकनीकों का पूर्णता से एकीकरण इसे विश्व की एक बेहतरीन इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी बनाता है।

– आज सीबीआई का कन्विक्शन रेट करीब 75 प्रतिशत है जो वैश्विक मानकों से तुलनीय है।

2014 के बाद देश में हुए बड़े परिवर्तन

याद हो, वर्ष 2014 में जब देश ने एक बड़े परिवर्तन का फैसला लिया, तब से लेकर आज तक देश एक नई दिशा में आगे बढ़ा है। इस माहौल को बदलना एक बहुत बड़ा चैलेंज था। शपथग्रहण के बाद, पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार के पहले 2-3 आदेशों में कालेधन के खिलाफ कमेटी बनाने का भी फैसला शामिल था। सुप्रीम कोर्ट के कहने के बावजूद इस कमेटी का गठन लटका हुआ था। इस फैसले ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार का कमिटमेंट दिखाया।

देश की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की अप्रोच

बीते वर्षों में देश इसी तरह भ्रष्टाचार पर zero tolerance की अप्रोच के साथ आगे बढ़ा है। वर्ष 2014 से अब तक देश की प्रशासनिक व्यवस्थाओं में, बैंकिंग प्रणाली में, हेल्थ सेक्टर में, एजुकेशन सेक्टर में, लेबर, एग्रीकल्चर, हर सेक्टर में रिफॉर्म हुए। ये पूरा दौर बड़े सुधारों का रहा है। इन सुधारों को आधार बनाकर आज भारत, आत्मनिर्भर भारत के अभियान को सफल बनाने में पूरी शक्ति से जुटा हुआ है। वर्तमान सरकार ध्येय है कि वह भारत को दुनिया के अग्रिम पंक्ति वाले देशों में लेकर जाए। लेकिन विकास के लिए जरूरी है हमारी जो प्रशासनिक व्यवस्थाएं हैं वो ट्रांसपेरेंट हों, रिस्पॉन्सिबल हों और अकाउंटेबल हों व जनता के प्रति जवाबदेह हों। इन सभी व्यवस्थाओं का सबसे बड़ा दुश्मन भ्रष्टाचार है। भ्रष्टाचार केवल कुछ रुपयों की ही बात नहीं होती। एक तरफ, भ्रष्टाचार से देश के विकास को ठेस पहुंचती है तो साथ ही भ्रष्टाचार, सामाजिक संतुलन को तहस-नहस कर देता है। ऐसे में भ्रष्टाचार का डटकर मुकाबला करना सिर्फ एक एजेंसी या संस्था का दायित्व नहीं बल्कि इससे निपटना एक कलेक्टिव रिस्पॉन्सिबिलिटी है।

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