Friday, March 29, 2024
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पीलिया रोग के कारण एवं घरेलू उपचार : आचार्य डॉ आर पी पांडे

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पीलिया रोग के कारण एवं घरेलू उपचार

पीलिया शरीर मेँ छिपे किसी अन्य रोग का लक्षण है।
नवजात शिशुओं में यह रोग सामान्य रुप से पाया जाता है।
रोग के लक्षण धीरे-धीरे ही स्पष्ट होते है।
एकदम से पीलिया होने की संभावना कम ही होती है।
पीलिया रोग का कारण

रक्त में बिलरुबिन (bilirubin) के बढ़ जाने से त्वचा, नाखून और आंखों का सफेद भाग पीला नजर आने लगता है, इस स्थिति को पीलिया या जॉन्डिस (Jaundice) कहते हैं। बिलरुबिन पीले रंग का पदार्थ होता है। ये रक्त कोशिकाओं में पाया जाता है। जब ये कोशिकाएं मृत हो जाती हैं, तो लिवर इनको रक्त से फिल्टर कर देता है। लेकिन लिवर में कुछ दिक्कत होने के चलते लिवर ये प्रक्रिया ठीक से नहीं कर पाता है और बिलरुबिन बढ़ने लगता है। नवजात बच्चों में जब लिवर का विकास ठीक से नहीं होता तब भी बिलरूबिन तेजी से बढ़ने लगता है जितनी रफ्तार से लिवर उसे बाहर नहीं निकाल पाता। लिवर की बीमारी से ग्रस्त लोगों को भी इस समस्या से गुजरना पड़ता है।

जॉन्डिस जिसे हिंदी में पीलिया (Jaundice) के नाम से जाना जाता है। आंख, शरीर और यूरिन पीला होना पीलिया के लक्षण (Jaundice symptoms) में शामिल है। बड़ों की तुलना में इस बीमारी को होने की संभावना न्यू बोर्न बच्चों में ज्यादा होती है। जॉन्डिस शरीर में बिलिरुबिन के लेवल (Bilirubin level) बढ़ने की वजह से होता है।

बिलिरुबिन हर मनुष्य के शरीर में एक पीले रंग का द्रव्य होता है, जो खून और मल में प्राकृतिक रूप से मौजूद होता है। शरीर में मौजूद रेड ब्लड सेल्स (Red Blood Cells) टूटने की वजह से बिलिरुबिन (Bilirubin) का निर्माण बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में जब लिवर बिलिरुबिन के स्तर को संतुलित नहीं बना पाता है, तो ऐसे में बिलिरुबिन शरीर में बढ़ जाता है। शरीर में बिलिरुबिन का स्तर बढ़ना जॉन्डिस (Jaundice) की दस्तक माना जाता है।


जब जिगर से आंतों की ओर पित्त का प्रवाह रुक जाता है तो पीलिया रोग प्रकट होता होता है। पित्त के जिगर में इकट्ठा होकर रक्त में संचार करने से शरीर पर पीलापन स्पष्ट दिखने लगता है।
पीलिया रोग प्रमुख रुप से दो प्रकार का होता है..
पहला..
अग्न्याशय के कैंसर या पथरी के कारण।
यह पित्त नलिकाओं अवरोध होने से आंतों मेँ पित्त नहीं पहुंचने के कारण होता है।

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दूसरे प्रकार का पीलिया
लाल रक्त कोशिकाओं के प्रभावित होने तथा शरीर में पित्त की अत्यधिक उत्पत्ति से होता है। मलेरिया तथा हैपेटाइटिस रोग भी पीलिया के कारण होता है। कभी-कभी शराब तथा विष के प्रभाव से भी पीलिया रोग हो जाता है।

पीलिया रोग के लक्षण

रोगी की त्वचा पीली पड़ जाती है। आंखों के सफेद भाग में पीलापन झलकना भी पीलिया के प्रमुख लक्षण है। इसके अतिरिक्त मूत्र में पीलापन आ जाता है तथा सौंच सफेद रंग का होता है। त्वचा पर पीलापन छाने से पहले त्वचा मेँ खुजली होती है।

पीलिया रोग का उपचार

1. बड़ा पहाड़ी नीबू का रस पित्त प्रवाह में सुचारु रुप से करने में सहायक होता है।
2. कच्चे आम को शहद तथा कालीमिर्च के साथ खाने से पित्त जन्य रोगो मे लाभ होता है और जिगर को बल मिलता है।
3. चुकंदर का रस भी पित्त प्रकोप को शांत करता है। इसमें एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर प्रयोग करते रहने से शीघ्र लाभ होता है।
4. चुकंदर के पत्तों की सब्जी बनाकर खाने से भी पीलिया रोग शांत होता है।
5. सहजन के पत्तों के रास में शहद मिलाकर दिन में दो-तीन बार देने से रोगी को लाभ होता है।
6. अदरक, नींबू और पुदीने के रस में एक चम्मच शहद मिलाकर प्रयोग करना भी काफी फायदेमंद होता है।
7. पीलिया के रोगी को मूली के पत्तो से बहुत अधिक लाभ होता है। पत्तों को अच्छी तरह से रगड़कर उसका रस छानें और उसमें छोटी मात्रा में चीनी या गुड़ मिला लें। पीलिया के रोगी को प्रतिदिन कम से कम आधा किलो यह रस देना चाहिए। इसके सेवन से रोगी को भूख लगती है और नियमित रुप से उसका मल साफ होने लगता है। रोग धीरे-धीरे शांत हो जाता है।
8. एक गिलास टमाटर के रस में थोड़ा सा काला नमक और काली मिर्च मिला लें। इसे प्रातःकाल पीने से पीलिया रोग में काफी लाभ होता है और जिगर ठीक से काम करने लगता है।
9. पीपल के पेड़ की 3-4 नई कोपलें अच्छी प्रकार से धोकर मिश्री या चीनी के साथ मिलाकर बारीक बारीक पीस लें। 200 ग्राम जल में घोलकर रोगी को दिन में दो बार पिलाने से 4-5 दिनों मेँ पीलिया रोग से छुटकारा मिल जाता है। पीलिया के रोगी के लिए यह एक बहुत ही सरल और प्रभावकारी उपाय है।
10. फिटकिरी को भूनकर उसका चूर्ण बना लें। 2 से 4 रती तक दिन में दो या तीन बार छाछ के साथ पिलाने से कुछ ही दिनों में पीलिया रोग में आराम होना शुरु हो जाता है।
11. कासनी के फूलों का काढ़ा बनाकर 50 मिलीलीटर तक की मात्रा में दिन में तीन-चार बार देने से पीलिया रोग में लाभ होता है। इसका सेवन करने से बढ़ी हुई तिल्ली भी ठीक हो जाती है। पित्त प्रवाह मेँ सुचरूता तथा जिगर और पित्ताशय को ठीक करने मेँ सहायता मिलती है।
12. गोखरु की जड़ का काढ़ा बनाकर पीलिया के रोगी को प्रतिदिन 50 मिलीलीटर मात्रा दो-तीन बार देने से पीलिया रोग मेँ काफी लाभ होता है।
13. एलोवेरा का गूदा निकाल कर काला नमक और अदरक का रस मिलाकर सुबह के समय देने से लगभग 10 दिनों में पीलिया का रोगी ठीक हो जाता है।
14. कुटकी और निशोध दो देसी जड़ी बूटियाँ है।
इन दोनोँ को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें।
एक चम्मच चूर्ण गर्म जल में रोगी को दे।
इस प्रकार दिन में दो बार देने से जल्दी लाभ होने लगता है।

पीलिया के लक्षण दूर करने में मदद करेंगे ये घरेलू उपाय 

पीलिया हेपेटाइटिस A, B या C का काल हरा नारियल : रोगी को दिन में कम से कम 2 हरे नारियल का पानी पिलायें, नारियल तुरंत खोल कर तुरंत ही पानी पिलाना है, इसको ज्यादा देर तक रखना नहीं है। एक दिन के बाद ही पेशाब का कलर बदलना शुरू हो जायेगा। ऐसा निरंतर 4-5 दिन करने के बाद आप बिलकुल स्वस्थ अनुभव करेंगे। ऐसे में रोगी को जो भी इंग्लिश दवा दी जा रही हो उसको एक बार बंद कर दी जाए और अगर रोगी कि हालत बहुत सीरियस हो तो उसको इसके साथ में ग्लूकोस दिया जा सकता है। और बाकी पूरा दिन सिर्फ नारियल पानी पर ही रखें। ये प्रयोग अनेक लोगों पर पूर्ण रूप से सफल रहा है। लीवर में होने वाले किसी भी रोग के लिए भी इस प्रयोग को निसंकोच अपनाया जा सकता है।

एक गिलास पानी में एक चम्मच त्रिफला भिगोकर रख दें। रात भर भिगे रहने के बाद सुबह इसे छान लें। लगभग दो हफ्ते तक इस पानी को पिएं आपको राहत महसूस होगी।
नीम के पत्तों को धोकर इनका रस निकाल लें। पीलिया से ग्रसित पेशेंट रोजाना एक चम्मच नीम के पत्तों का रस पिलाएं। कुछ दिनों में इसका असर आपको साफ नजर आएगा।
एक गिलास टमाटर के जूस में चुटकी भर मिर्च और नमक मिलाकर रोजाना सुबह पिएं। इससे भी पीलिया के लक्षण दूर होंगे।
एक गिलास पानी में धनिया को रातभर भिगोकर रख दें। सुबह उठकर इस पानी को पी लें। रोजाना इसे करने से पीलिया के लक्षण दूर होने में मदद होगी।
विटामिन-सी (Vitamin C) से भरपूर फल जैसे नींबू, संतरा आदि का रस पीने से बहुत फायदा होता है। रोजाना नींबू पानी पीने से आप पीलिया से छुटकारा पा सकते हैं।
गन्ने का रस भी पीलिया के लक्षण कम करने के लिए फायदेमंद माना जाता है। रोजाना गन्ने का जूस (Juice) डायट में शामिल करने से इस बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सकता है।
जितना हो सके उतना पानी पिएं। इस बीमारी में शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। जितना हो सके उतना पानी पिएं। जितना आप पानी पिएंगे उतना ही शरीर से हानिकारक पदार्थ बाहर होंगे।
स्वस्थ रहने के लिए अपने दिनचर्या में नियमित योगासन शामिल करें।

प्याज़ : पीलिया की बीमारी में प्याज़ का बहुत ही महत्व है । सबसे पहले एक प्याज़ को छीलकर इसके पतले – पतले हिस्से करके इसमें नींबू का रस निचोड़े तथा इसके बाद इसमें पीसी हुई थोड़ी सी काली मिर्च और काला नमक डालकर प्रतिदिन सुबह – शाम इसका सेवन करने से पीलिया की बीमारी 15 से 20 दिन में ख़त्म हो जाती है ।

चने की दाल : रात्रि को सोने से पहले चने की दाल को भिगोकर रख दे । प्रातकाल उठकर भीगी हुई दाल का पानी निकालकर उसमे थोड़ा सा गुड डालकर मिलाये । और इसको कम से कम एक से दो सप्ताह तक खाने से पीलिया की बीमारी ठीक हो जाती है । पीलिया की बीमारी को ठीक करने के लिए और भी अनेक उपाए है ।

सौंठ : सौंठ से भी पीलिया के रोग को ठीक किया जा सकता है। उपचार (सामग्री ) : पिसी हुई सौंठ – 10 ग्राम, गुड – 10 ग्राम, प्रयोग विधि :- ऊपर बताई गई दोनों साम्रगी को अच्छी तरह से मिलाकर प्रातकाल ठन्डे पानी के साथ खाने से 10 से 15 दिन में पीलिया की बीमारी से छुटकारा मिल जाता है ।

पीपल : पीपल एक प्रकार की जड़ है जो दिखने में काले रंग की होती है । यह जड़ पंसारी की दुकानों पर आसानी से पाई जाती है । इस जड़ के तीन नग लेकर बारीक़ पीसकर पानी में पुरे एक दिन तक भिगोकर रखे या फुलाए । फुलाने के बाद बचे हुए पानी को बाहर निकालकर फेक दे । तथा फुले हुए नग में नींबू का रस , काली मिर्च और थोड़ा सा नमक डालकर रोजाना खाने से पीलिया एक सप्ताह में ही ठीक हो जायेगा । इसी तरह हर दिन नगो की संख्या एक – एक करके बढ़ाते जाये और ऊपर बताई गई विधि के अनुसार इसका सेवन करते रहे । जब नगो की संख्या दस हो जाये तब इसका प्रयोग बंद कर दे । बताया गया उपचार का उपयोग करने से पीलिया की बीमारी तो ठीक हो जाती है बल्कि पेट से जुडी सभी बीमारियाँ जैसे :- पुराना कब्ज , यरक़ान, पुराना बुखार इत्यादि रोगों से छुटकारा मिल जाता है ।

बादाम : सामग्री : बादाम की गिरी – 10, छोटी इलायची के बीज – 5 के, छुहारे – 2 नग, प्रयोग विधि : इन सभी सामग्री को मिलाकर किसी भी मिट्टी के बर्तन में डालकर रात्रि को सोने से पहले भिगो दे । और प्रातकाल उठकर इन सभी भीगी हुई सामग्री में 75 ग्राम मिश्री मिलाकर इनको बारीक़ पीसकर इसमें 50 ग्राम ताजा मक्खन मिलाये और इसे एक मिश्रण की तरह तैयर करके रोगी को लगातार कम से कम दो सप्ताह तक सेवन करने से पीलिया की बीमारी ठीक हो जाती है । साथ ही पेट में बनी गर्मी भी दूर हो जाती है । नोट :- इस औषधी का उपयोग करते समय किसी गर्म पदार्थों को नही खाना चाहिए ।

लहसुन : पीलिया की बीमारी में लहसुन भी फायदेमंद होता है । इसलिए कम से कम 4 लहसुन ले और इन्हे छीलकर किसी वस्तु से पीसकर इसमें 200 ग्राम दूध मिलाये । और रोगी को इसका रोजाना सेवन करने से पीलिया की बीमारी जड़ से ख़त्म हो जाती है । तथा पीलिया की बीमारी का उपकार इमली से भी किया जा सकता है ।

इमली : इमली खाने के अनुसार रात्रि को सोने से पूर्व भिगोकर रख दे । प्रातकाल उठकर भीगी हुई इमली को मसलकर इसके छिलके उतार कर अलग रख दे । तथा इमली का बचे हुए पानी में काली मिर्च और काला नमक मिलाकर दो सप्ताह तक पीने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है ।
शहद और आँवले का रस : एक चम्मच शहद में 50 ग्राम ताजे हरे आँवले का रस मिलाकर प्रतिदिन सुबह कम से कम तीन सप्ताह तक खाने से पीलिया की बीमारी से छुटकारा मिल जायेगा ।

सूखे आलू बुखारे : सूखे आलू बुखारे आपको पंसारी से मिल जाएंगे, 4 सूखे आलू बुखारे एक चम्मच इमली और 1 चम्मच मिश्री को एक गिलास पानी के साथ किसी मिटटी के बर्तन में भिगो कर रख दे। सुबह इस मिश्रण को हाथो से मसल ले और अब इस पानी को मलमल के कपडे से छान ले और घूँट घूँट कर पी ले। ये प्रयोग सुबह शाम करे।

बन्दाल के डोडे : बन्दाल के डोडे (जो पंसारी के यहाँ मिलते हैं) 4 या 5 नग लेकर रात को मिट्टी के सिकोरे या बर्तन में पौन कप पानी में डालकर भिगो दें। सुबह मसलकर उस पानी को छान लें। रोगी को सीधा लिटाकर, गर्दन थोड़ी झुकी रखकर, दो-तीन बूंद रूई से नाक के प्रत्येक नथुने में टपका दें। केवल एक दिन एक बार डालने से नाक-आँख से पीला पानी बहकर, भयंकर पीलिया दो ही दिन में ठीक हो जाता है।
पान, आक का दूध : एक बंगला पान ले इसमें चुना और कत्था लगाये। अब इस पान में आक के दूध की 3-4 बूंदे डाल कर खा ले। ये प्रयोग सुबह सूर्य निकलने से पहले करना हैं। ये प्रयोग 3 दिन करने से पीलिया ठीक हो जाता हैं और यदि पीलिया बहुत ज़्यादा हैं तो ये प्रयोग लगातार 5 दिन तक करना पड़ सकता हैं। आक का दूध निकलते समय सावधानी रखे क्यों की इसका दूध आँखों के लिए बहुत खतरनाक होता हैं। और ये प्रात सुबह सूर्य निकलने से पहले ही दूध निकलना हैं। पीलिया के इलाज के लिए आक के नर पत्ते को लेना चाहिए, आम तौर पर नर पत्ता ही ज़्यादातर मिलता हैं। नर पत्ते में अंग्रेजी के V आकार की नसे होती हैं, और फूल में गोला आम की शकल और बाल होते हैं।

प्राकृतिक धूप : जब छोटे बच्चों को पीलिया होता है तो ऐसे में दवाइयों के अतिरिक्त बच्चे को कुछ देर सनलाइट में भी लेकर जाना चाहिए। इससे उनकी स्थिति में काफी लाभ होता है। गन्ने का रस

गन्ने का रस लीवर को मजबूत बनाने का काम करता है और उसके सही तरह से काम करने में मदद करता है। जब तक आपके पीलिया में सुधार न हो जाए तब तक रोज एक गिलास पिएं।

बकरी का दूध :बकरी का दूध गाय के दूध की तुलना में पचने में काफी आसान होता है, इसलिए बच्चों से लेकर बड़ों तक को पीलिया होने पर बकरी का दूध पीना चाहिए। इसके अलावा, बकरी के दूध में उपयोगी एंटीबॉडी भी होते हैं जो पीलिया को ठीक करने में मदद करते हैं।

अदरक :अदरक में कई एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। यह हाइपोलिपिडेमिक भी है इसलिए यह लीवर के लिए फायदेमंद होता है। बेहतर रिजल्ट के लिए आप अदरक की चाय बनाकर पीएं।

दही :पीलिया होने पर दही का सेवन जरूर करना चाहिए। दही में प्रोबायोटिक्स प्रतिरक्षा को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। यह सीरम बिलीरुबिन के स्तर को नीचे लाता है और हानिकारक बैक्टीरिया से सुरक्षा प्रदान करता है। अपने पीलिया को ठीक करने के लिए रोजाना एक कटोरी दही खाएं। टमाटर

टमाटर में पाया जाने वाला लाइकोपीन एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है। यह लिवर को डिटॉक्सिफाई करने में मदद करता है। जिससे पीलिया के इलाज में मदद मिलती है। पीलिया होने पर आप टमाटर को उबालकर उसका जूस बनाएं और नियमित रूप से पीएं।

आंवला :आंवला विटामिन सी और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो पीलिया से निपटने में मदद करता है। यह लिवर की कार्यप्रणाली में सुधार करता है और सीरम बिलीरुबिन के स्तर को संतुलित करने में मदद करता है। इसके सेवन के लिए आप आंवला उबालें, इसका पेस्ट बनाएं और इसे पानी और शहद के साथ मिलाकर रोजाना पियें।

जानिए परहेज और अन्य सावधानियां

खाना बनाने, परोसने, खाने के पहले, बाद में और टॉयलेट जाने के बाद हाथ साबुन से अच्छी तरह धोना चाहिए।
खाना रखने वाली जगह पर खाना ढंककर रखना चाहिए, ताकि मक्खियों व धूल से बचाया जा सके।
ताजा व शुद्ध गर्म भोजन करें। दूध व पानी उबालकर पियें।
गंदे, सड़े, गले व कटे हुए फल नहीं खाएं। धूल में पड़ी या खुले हुए बाजार के पदार्थ न खाएं। स्वच्छ टॉयलेट्स का प्रयोग करें।

पीलिया के रोगी को मसालेदार और गरिष्ठ भोजन का त्याग करना चाहिए।
स्वच्छ पानी उबाल कर ठंडा करके पीना चाहिए।
शराब, मांस, धूम्रपान, का सेवन एक दम नहीँ करना चाहिए।
अशुद्ध और बासी खाद्य पदार्थों का सेवन भी नहीं करना चाहिए।

वायरल हैपेटाइटिस या जॉन्डिस को साधारणतः लोग पीलिया के नाम से जानते हैं। यह रोग बहुत ही सूक्ष्म विषाणु के कारण होता है। शुरू में जब रोग धीमी गति से व मामूली होता है तब इसके लक्षण दिखाई नहीं पडते हैं, परन्तु जब यह उग्र रूप धारण कर लेता है तो रोगी की आंखे व नाखून पीले दिखाई देने लगते हैं, लोग इसे पीलिया कहते हैं। वैसे तो पीलिया होने पर लोग दवाई का सेवन करते हैं। लेकिन आप कुछ घरेलू उपायों की मदद से भी अपनी स्थिति से राहत पा सकते हैं।

यह रोग मुख्य रूप से दूषित भोजन करने और दूषित पानी पीने के कारण होता है। यह रोग अधिक तैलीय पदार्थ तथा बासी भोजन करने से होता है। इस रोग में रोगी के शरीर में खून की कमी होने लगती है।
शरीर में खून की कमी के कारण रोगी का पूरा शरीर पीला हो जाता है। इस रोग में रोगी की आंखें पीली हो जाती हैं और उसके पेशाब का रंग भी पीला होता है। इस रोग में खून में दूषित द्रव मिलकर अनेक प्रकार के रोगों को उत्पन्न करते हैं। इससे जिगर में सूजन पैदा होती है और रोगी को भोजन करने की इच्छा नहीं होती है।
पीलिया लीवर से सम्बंधित रोग है, इस रोग में रोगी की आँखे पीली पड़ जाती हैं, पेशाब का रंग पीला हो जाता है, अधिक तीव्रता होने पर पेशाब का रंग और भी खराब हो जाता है, पीलिया दिखने में बहुत साधारण सी बीमारी लगती है, मगर इसका सही समय पर इलाज ना हो तो ये बहुत भयंकर परिणाम दे सकती है, रोगी की जान तक जा सकती है इसमें।

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