बीएचयू । वैदिक विज्ञान केन्द्र, का.हि.वि.वि., शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली, श्री सत्य साईं यूनिवर्सिटी फॉर ह्यूमन एक्सिलेन्स, नवनिहाल, कर्नाटक एवं महर्षि रीसर्च यूनिवर्सिटी, नीदरलैंड के संयुक्त तत्त्वावधान में ‘‘वैदिक विज्ञान के विविध आयाम-2022’’ विषयक साप्ताहिक अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन दिनांक 11-19 फरवरी, 2022 तक आभासीय पटल पर किया जा रहा है। अतुल जी कोठारी, राष्ट्रीय सचिव, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली ने वैदिक दर्शन में वर्णित पंचकोशां के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्राणमयकोश के विकास के लिए प्राणायाम सर्वश्रेष्ठ माध्यम है। मानसिक अस्वस्थता ही शारीरिक अस्वस्थता का कारण है। आनन्दमय कोश पंचकोशों में सबसे सूक्ष्म है। विश्व का एकमात्र आध्यात्मिक राष्ट्र भारत है। आपने पंचकोशों को प्राथमिक शिक्षा में डालने पर बल दिया और बताया कि अन्नमयकोश द्वारा प्रारम्भ से आहारशास्त्र को बल दिया गया है। साथ ही मनोमय विज्ञान एवं आनन्दमय कोश आधारित नई शिक्षानीति में महत्व दिया गया है। विशिष्टातिथि बी0एन0 नरसिम्हा मूर्ति, कुलाधिपति, श्री सत्य साईं यूनिवर्सिटी फॉर ह्यूमन एक्सिलेन्स ने कहा कि शिक्षा बुद्धि का समग्र विकास करती है। स्वस्थ शरीर, स्वस्थ मन प्रदत्त करता है। स्वस्थ मन से ही आध्यात्मिक ज्ञान का विकास होता है। उन्होंने विवेकानन्द, रामकृष्ण परमहंस, सत्यसाईं बाबा इत्यादि विद्वानां का उदाहरण देते हुए गुरुकुल शिक्षा पद्धति के विकास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि शिक्षा में भारतीय संस्कृति का समन्वय आवश्यक है। मुख्य वक्ता डॉ0 टोनी नाडेर, विश्वव्यापी महर्षि अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के अध्यक्ष (नेतृत्वकर्त्ता, ट्रांसडेंटल मेडिटेशन) ने कहा कि वेदां का ज्ञान संसार का सर्वोच्च ज्ञान एवं विज्ञान है। आधुनिक विज्ञान में खोजे गये परमाणुओं को दर्शनशास्त्र ने प्राचीन समय में ही खोज लिया था। वेदांग एवं स्मृतियाँ ज्ञान का भण्डार है एवं वैदिक विज्ञान को समझने में सहायक है। अध्यक्षता प्रो0 कमलेश झा, संकायप्रमुख, संस्कृतविद्या धर्मविज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने अपनी उध्यक्षीय उद्बोधन में वैदिक दर्शन में वर्णित पंचकोशों के बारे में बताते हुए कहा कि प्राणमयकोश की सुदृढ़ता के लिए प्राणायाम करना सबसे लाभकारी है।
स्वागत उद्बोधन एवं विषय प्रवर्तन करते हुए वैदिक विज्ञान केन्द्र के समन्वयक प्रो0 उपेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने कहा कि वेद विज्ञान प्रकृति विज्ञान है। हमें प्रकृति के समन्वय के साथ विकास की अवधारणा को पुनः स्थापित करना होगा।
कार्यक्रम का संचालन प्रो0 राजकुमार मिश्रा, रसायन विभाग, विज्ञान संस्थान, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने तथा धन्यवाद ज्ञापन श्री कृष्णमुरारी, अतिथि अध्यापक, वैदिक विज्ञान केन्द्र ने किया। इस कार्यक्रम का प्रारम्भ वैदिक मंगलाचरण शिवार्चित मिश्र, शोध छात्र, वेद विभाग एवं कुलगीत डॉ0 मधुमिता भट्टाचार्या, गायन विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने किया। कार्यक्रम में देश-विदेश से लगभग 2000 प्रतिभागी आभासीय पटल पर जुड़े। कार्यक्रम के संयोजक डॉ0 राजेश नैथानी, प्रति कुलपति, हिमालयन विश्वविद्यालय एवं आयोजन सचिव डॉ0 विवेकानन्द उपाध्याय है।