बीएचयू : ‘‘श्री काशी विश्वनाथ धाम एवं श्रीराम जन्मभूमि’’ पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक (ए.डी.जी), भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण, नई दिल्ली के डॉ0 बी0 आर0 मणि ने आभासीय पटल के माध्यम से कहा कि भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण ने काशी के इस वर्तमान स्वरूप के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण कार्य किया है। विशेष रूप से उसके द्वारा किये गये शोध कार्यों के आधार पर वर्तमान स्थितियों का निर्माण सम्भव हो सका है। यहाँ प्राप्त अन्य साक्ष्यों से यह ज्ञात होता है कि यहाँ अविमुक्तेश्वर मंदिर का भी अस्तित्व था, जिसकी खोज और विकास करना हमारा दायित्व है।
मुख्य वक्त डॉ0 जितेन्द्रनाथ मिश्र, वरिष्ठ साहित्यकार, काशी ‘‘मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का लोकजीवन पर प्रभाव’’ विषय पर कहा कि भारतीय जन-जीवन में राम ऐसे रचे-बसे है कि यदि एक बच्चे का जन्म भी होता है तो गीता राम जन्म का गाया जाता है। विवाह होता है तो विवाह गीत में राम और सीता ही आते हैं। यहाँ तक की शवयात्रा में भी राम नाम सत्य ही बोला जाता है। मुख्य वक्ता प्रो0 कौशलेन्द्र पाण्डेय, आचार्य एवं अध्यक्ष, साहित्य विभाग, का.हि.वि.वि., वाराणसी ने कहा कि ने कहा कि काशी मोक्ष के साथ वैभव की भी नगरी है।
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