बीएचयू । वैदिक विज्ञान केन्द्र द्वारा ‘‘विज्ञान के माध्यम से स्वतंत्रता का संघर्ष’’ विषयक विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन सायं 4:00 बजे से किया गया। इस व्याख्यान के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता प्रो0 जयन्त सहस्रबुद्धे, राष्ट्रीय संगठन सचिव, विज्ञान भारती ने कहा कि भारत में दशकां तक आक्रमण हुए। इसमें अंग्रेजां ने भारत की कला, संस्कृति, विज्ञान को नष्ट किया। अंग्रेजों ने भारत पर अपनी जीत दिखाकर उन्हें दास बनाना प्रारम्भ किया। अंग्रेजों ने सर्वेक्षण करने वाली संस्थायें बनायी, जिससे कि वे भारत के प्राकृतिक संसाधनों का पता करते और भारत का कच्चा माल इलैंण्ड ले जाकर अपने उद्योग खड़ा करते। उन्हांने कहा कि अंग्रेजों ने 190 वर्षों में भारत देश को केवल लूटने में आधुनिक विज्ञान का प्रयोग किया। अंग्रेजों ने भारत को पश्चिमी ज्ञान को पढ़ाया और हमारे ज्ञान को छोटा बताने लगे। डॉ0 सहस्रबुद्ध जी ने बतलाया कि पहला सत्याग्रह सर जगदीश चन्द्र बसु द्वारा सन् 1887 में किया गया, जबकि प्रथम सत्याग्रह का श्रेय महात्मा गांधी जी को दिया जाता है।
उन्हांने सत्याग्रह की मान्य परिभाषा देते हुए बतलाया कि जो बिना किसी को क्षति पहुँचाये अपना लक्ष्य हासिल करने का क्रम किया जाय, सत्याग्रह कहलाता है। इस प्रकार से सर्वप्रथम जगदीश चन्द्र बसु ने अंग्रेजों का अहंकार तोड़ने के लिए बिना तनख्वाह का तीन वर्षों तक भौतिकी पढ़ाया। बाद में अंग्रेजों ने शर्मिन्दा होकर उन्हें पूरा तनख्वाह दिया।कहा कि हमें भारत की ज्ञान परम्परा को सीखना होगा। डॉ0 जगदीश चन्द्र वसु, स्वामी विवेकानन्द, प्रफुल्लचन्द्र राय के वैज्ञानिक शोधों की विस्तृत चर्चा हुई। सभा के विशिष्ट अतिथि प्रो0 जय प्रकाश लाल, मनोन्नत आचार्य, कृषि विज्ञान संस्थान, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो0 कमलेश झा, संकायप्रमुख, संस्कृतविद्या धर्मविज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने कहा कि भारतीय ज्ञानपरम्परा को वर्तमान भारत में आत्मसात करना अत्यन्त ही आवश्यक और प्रासंगिक है। स्वागत उद्बोधन एवं विषय प्रवर्तन करते हुए वैदिक विज्ञान केन्द्र के समन्वयक प्रो0 उपेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने कहा कि स्वतंत्रता संघर्ष में भारतीय वैज्ञानिकों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है, जिसका स्रोत वेद-विज्ञान है। कार्यक्रम का संचालन प्रो0 मृत्युंजय देव पाण्डेय, रसायन विभाग, विज्ञान संस्थान, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ0 शिशिर गौड़, जानपद अभियांत्रिकी, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बी.एच.यू. ने किया। इस कार्यक्रम के प्रारम्भ में मंगल दीपप्रज्वलन एवं महामना के चित्र पर माल्यार्पण तथा वैदिक मंगलाचरण श्री कृष्ण मुरारी त्रिपाठी, शोधच्छात्र, वेद विभाग एवं कुलगीत सुश्री सौम्या कुमार, शोधच्छात्रा, गायन विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ने किया। कार्यक्रम में विशेष रूप से प्रो0 सुमन जैन, प्रो0 यू0पी0 शाही, प्रो0 रुद्रप्रकाश मलिक, प्रो0 संजय कुमार शर्मा, प्रो0 राजेश कुमार, प्रो0 ब्रजभूषण ओझा, डॉ0 दयाशंकर त्रिपाठी, प्रो0 श्रवण शुक्ला, डॉ0 सुनील कात्यायन, प्रो0 रूचिर कुमार, डॉ0 राजकुमार मिश्र, श्री पवन कुमार मिश्रा एवं वैदिक विज्ञान केन्द्र के छात्र-छात्राएँ एवं कर्मचारीगण उपस्थित रहें।