कृषि विज्ञान में शिक्षण व अनुसंधान में बीएचयू बने दूसरों के लिए मिसालः प्रो. सुधीर कुमार जैन
– कुलपति जी ने किया कृषि विज्ञान संस्थान के शिक्षकों के साथ संवाद
– बीएचयू का पाठ्यक्रम ऐसा हो जो दूसरे संस्थानों के लिए बने उदाहरणः प्रो. जैन
– सिर्फ कक्षाओं में सीमित रख कर नहीं हो सकता विद्यार्थियों का विकास, जीवन कौशल व सामाजिक कौशल विकसित होना भी आवश्यकः कुलपति
वाराणसी : कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन ने कहा है कि कृषि विज्ञान में अध्ययन व अनुसंधान के लिए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की विशेषज्ञता व ख्याति विश्व स्तरीय है, लेकिन इसे और आगे ले जाने की आवश्यकता है। कृषि विज्ञान संस्थान स्थित शताब्दी कृषि प्रेक्षागृह में तीन घंटे से अधिक चले इस संवाद कार्यक्रम के दौरान कुलपति जी ने अनेक बिंदुओं पर संकाय सदस्यों से विस्तार से चर्चा कि व संस्थान व विश्वविद्यालय के विकास के लिए सुझाव मांगे व सहयोग व योगदान का आह्वान किया।
कुलपति जी ने कहा कि कृषि विज्ञान के बारे में बीएचयू का पाठ्यक्रम ऐसा होना चाहिए कि इस विषय के प्रमुख संस्थान भी हमसे प्रेरणा लें व हमारा अनुसरण करें। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी केन्द्रित शिक्षा के तहत सिर्फ उनके शैक्षणिक ही नहीं, बल्कि मानसिक, सामाजिक व शारीरिक विकास पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को कृषि विज्ञान के साथ साथ अन्य विषयों व क्षेत्रों के बारे में भी शिक्षित व जागरूक किया जाए, ताकि वे भविष्य में विभिन्न महत्वपूर्ण भूमिकाओं के लिए तैयार हो सकें। प्रो. जैन ने कहा कि विद्यार्थियों के विकास को कक्षाओं में ही बांध कर नहीं रखा जाना चाहिए। उन्हें भविष्य की दुनिया व चुनौतियों के लिए तैयार होना है, इसलिए उन्हें विविध ज्ञान व शिक्षा से रूबरू कराना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि बीएचयू के शिक्षकों को चाहिए कि वे विद्यार्थियों को अपने से बेहतर बनाएं तथा और ताकि वे और आगे जा सकें।
कुलपति जी ने कहा कि कृषि विज्ञान संस्थान के संकाय सदस्यों द्वारा कंसल्टेंसी सेवाएं विश्वविद्यालय के विकास की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण संसाधन हैं और इसलिए ये सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि बीएचयू द्वारा प्रदान की जा रही कंसलटेंसी बेमिसाल हो। उन्होंने कहा कि इस बारे में आवश्यकता पड़ने पर कदम भी उठाए जाएंगे।
कुलपति जी ने शिक्षकों को पेश आने वाली चुनौतियों व दिक्कतों के बारे में भी चर्चा कि व समाधान के लिए सुझाव मांगे। उन्होंने कहा कि शोध परियोजनाओं के संबंध में आवश्यक मंज़ूरी व वित्तीय आवंटन को लेकर प्रक्रियागत जटिलताओं को ख़त्म करने तथा शिक्षकों की सुविधा के लिहाज़ से प्रायोजित शोध एवं औद्योगिक परामर्श प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के प्रशासन व व्यवस्था के सरलीकरण तथा उसमें पारदर्शिता लाने के लिए तमाम क़दम उठाए गए हैं।
प्रो. जैन ने कहा कि कक्षाओं की उपलब्धता, छात्रावास की कमी, भवनों की मरम्मत व स्थान की कमी जैसे कई विषय हैं जिन पर गंभीरता व तेज़ी के साथ कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि छात्राओं के लिए छात्रावास की कमी एक अत्यंत महत्वपूर्ण व चिंताजनक विषय है, जिसके समाधान को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने आश्वस्त किया कि जल्द ही इसके सकारात्मक नतीजे दिखेंगे।
Like this:
Like Loading...