सहयोगात्मक शोध के लिए साझा पेटेंट/बौद्धिक संपदा अधिकार आवेदन पर सहमत हुए बीएचयू तथा आईआईटी-बीएचयू
· बीएचयू कुलसचिव तथा आईआईटी-बीएचयू के डीन (अनुसंधान एवं विकास) ने किये समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
वाराणसी : काशी हिन्दू विश्वविद्यालय तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बीएचयू) के बीच विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा मानविकी में सहयोगात्मक शोध पर पेटेंट व बौद्धिक संपदा अधिकार आवेदन के संबंध में समझौता किया गया है। दोनों संस्थानों के बीच इस बारे में पांच वर्षीय समझौता ज्ञापन पर बीएचयू के कुलसचिव प्रो. अरुण कुमार सिंह तथा आईआईटी (बीएचयू) के डीन (रीसर्च एंड डिवेलपमेंट) प्रो. विकास कुमार दुबे ने हस्ताक्षर किये।
इस समझौते से दोनों संस्थानों के शोधकर्ता संयुक्त अनुसंधान व विकास की बौद्धिक संपदा की संभावनाओं पर मिल कर काम करने के लिए प्रोत्साहित होंगे। साथ ही साथ बहु-विषयी/विषयेतर (multi-disciplinary/ trans-disciplinary) शोध में पेटेंट व बौद्धिक संपदा हासिल करने के प्रयासों को भी तेज़ी मिलेगी। काशी हिन्दू विश्विद्यालय में सामाजिक विज्ञान, मानविकी तथा विज्ञान में अध्ययन व अनुसंधान के लिए सशक्त व अनुकूल माहौल व व्यवस्था है।
आईआईटी (बीएचयू) भी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। ऐसे में दोनों संस्थानों के साथ आने से उन शोधकर्ताओं के लिए नए आयाम व अवसर उपलब्ध होंगे जो नए उत्पादों व बौद्धिक संपदा अधिकारों पर काम करना चाहते हैं। समझौता ज्ञापन के अंतर्गत दोनों संस्थान पेटेंट व बौद्धिक संपदा अधिकार के लिए संयुक्त रूप से आवेदन करेंगे। इस सहमति से शोधकर्ताओं को आईपीआर व पेटेंट के आवेदन व उन्हें हासिल करने में होने वाली जटिलताओं व चुनौतियों ने निपटने में भी मदद मिलेगी।
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का अन्य संस्थानों के साथ सहयोग बढ़ाने पर कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन का विशेष ज़ोर है, ताकि बीएचयू के विद्यार्थियों तथा शिक्षकों के लिए नए अवसर पैदा हों व उच्च गुणवत्ता के अनुसंधान को अंजाम दिया जा सके। आईआईटी (बीएचयू) के निदेशक, प्रो. प्रमोद कुमार जैन ने कहा कि दोनों संस्थानों के पारस्परिक हित के लिए सहयोग का ये नया दौर है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बीएचयू) के बीच यह सहमति दोनों स्थानों के विकास की प्रतिबद्धता का परिणाम है।