आयुर्वेद ने “Heal in India” के माध्यम से पूरे विश्व को आकर्षित किया
ग्लोबल हेल्थ केयर में आयुर्वेद का अत्यधिक योगदान है, भारत की इस प्रतिबद्धता का सबूत “Heal in India” और “Heal by India” जैसी पहल है। वहीं “Heal in India” के माध्यम से आयुर्वेद में विशेषज्ञता और ज्ञान प्राप्त करने के लिए विश्व को भारत की ओर आकर्षित किया जाएगा और “Heal by India” के जरिए स्वास्थ्य के बारे में अपने अनुभव और साक्ष्य हमारे Indian knowledge system में भी उपलब्ध होंगे।
आयुर्वेद के क्षेत्र में कई अवसर पैदा हुए
आज अर्थव्यवस्था में भी आयुर्वेद के महत्व काफी हद तक बढ़ गया है। जड़ी-बूटियों की खेती, आयुष दवाओं के निर्माण और आपूर्ति और डिजिटल सेवाओं के क्षेत्र में नये अवसर पैदा हुए हैं। इन क्षेत्रों में कई स्टार्टअप्स भी खुले हैं, आज लगभग 40,000 एमएसएमई आयुष क्षेत्र में सक्रिय हैं। 8 साल पहले आयुष उद्योग 20 हजार करोड़ रुपये था और आज यह करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। वहीं विश्व स्तर पर भी इसका विकास हुआ है। हर्बल दवाओं और मसालों का मौजूदा वैश्विक बाजार10 लाख करोड़ रुपये का है। पीएम मोदी ने कहा था कि , “पारंपरिक चिकित्सा का यह क्षेत्र लगातार विस्तार कर रहा है और हमें इसकी हर संभावना का पूरा फायदा उठाना है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए हमारे किसानों के लिए कृषि का एक नया क्षेत्र खुल रहा है, जिसमें उन्हें बेहतर मुनाफा भी मिलेगा। इसमें युवाओं के लिए हजारों-लाखों नए रोजगार सृजित होंगे।”
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— अयोध्यालाइव (@ayodhyalive2) December 13, 2022
आयुर्वेद जीवन जीने का तरीका
आयुर्वेद के महत्व के बारें में पीएम मोदी ने कहा था कि आयुर्वेद जीवन जीने का तरीका है, आयुर्वेद हमें सिखाता है कि शरीर और मन को एक साथ और एक-दूसरे के साथ स्वस्थ होना चाहिए। ‘उचित नींद’ आज चिकित्सा विज्ञान के लिए चर्चा का एक बड़ा विषय है, लेकिन भारत के आयुर्वेद विशेषज्ञों ने सदियों पहले इस पर विस्तार से लिखा था।
कुल मिलाकर देखा जाए तो आयुर्वेद भारत की परंपरा और जीवनशैली का हिस्सा है, जिसने हमे जीवन जीना का ढंग सिखाया। पूरे विश्व में आयुर्वेद ने एक विचार को जन्म दिया आज पूरा विश्व आयुर्वेद के प्रति आकर्षित हो रहा है। बीते कुछ वर्षों में केंद्र सरकार ने पारंपरिक और असरदार चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद को आधार और विस्तार देने के लिए बड़े पैमाने पर पहल कर रही है। नई स्वास्थ्य नीति 2017 पीएम मोदी के दृष्टिकोण को भी दर्शाती है, जिसमें जीवन जीने के तरीके के रूप में स्वास्थ्य देखभाल पर ध्यान केंद्रित किया गया है। आज पीएम मोदी के नेतृत्व में वैश्विक स्वास्थ्य का उद्देश्य “सभी के लिए स्वास्थ्य” के स्थान पर सभी के लिए स्वस्थ, लंबा और सार्थक जीवन बन गया है।
आयुर्वेद आज पूरे विश्व का कल्याण करने का काम कर रहा है, यह सिर्फ एक पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के रूप ही नहीं बल्कि यह एक holistic science के रूप में हमारे सामने है। केंद्र सरकार के प्रयासों और उपायों के चलते आज आयुर्वेद पूरी दुनिया के लिए संजीवनी का काम कर रहा है। पीएम मोदी ने आयुर्वेद के महत्व पर कहा था कि ‘कुछ लोग समझते हैं कि आयुर्वेद, सिर्फ इलाज के लिए है लेकिन इसकी खूबी ये भी है कि आयुर्वेद हमें जीवन जीने का तरीका सिखाता है। आयुर्वेद हमें सिखाता है कि हार्डवेयर-साफ्टवेयर की तरह ही शरीर और मन भी एक साथ स्वस्थ रहना चाहिए, उनमें समन्वय रहना चाहिए।’ इसके अलावा पीएम मोदी ने कहा कि जिस योग और आयुर्वेद को पहले उपेक्षित समझा जाता था, वही आज पूरी मानवता के लिए एक नई उम्मीद बन गया है।
हाल ही में पीएम मोदी ने 9वीं विश्व आयुर्वेद कांग्रेस में शामिल हुए थे और उन्होंने तीन राष्ट्रीय आयुष संस्थानों अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए), गोवा, राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान (एनआईयूएम), गाजियाबाद और राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान (एनआईएच), दिल्ली का उद्घाटन किया था।
आयुर्वेद पूरी मानवता के लिए एक नई उम्मीद
आयुर्वेद एक ऐसा विज्ञान है जिसका उद्देश्य- ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयः’। यानी, सबका सुख, सबका स्वास्थ्य। आयुर्वेद Wellness की बात करता है और उसे प्रमोट करता है। आयुर्वेद के लाभ को ध्यान में रखते हुए विश्व भी अब तमाम परिवर्तनों और प्रचलनों से निकलकर इस प्राचीन जीवन की दर्शन की तरफ लौट रहा है। कोविड 19 महामारी के दौरान एक वैश्विक संकट पैदा हो गया था, ऐसे में आयुर्वेद का उपयोग कर लोगों इस बीमारी से लड़ पाने में सक्षम हुए थे और आयुर्वेद के प्रति लोगों का भरोसा भी बढ़ा। वर्तमान में कई सारे ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद’ खुल रहे हैं। इसी वर्ष 2022 में ग्लोबल आयुष इनोवेशन और इनवेस्टमेंट समिट का सफल आयोजन भी हुआ है, जिसमें भारत के प्रयासों की तारीफ WHO ने भी की है। कुछ समय पहले तक आयुर्वेद को उपेक्षित समझा जाता था लेकिन आज पूरे विश्व के लिए एक नई उम्मीद बना चुका है।
‘डेटा बेस्ड एविडेंसेस’ का डॉक्यूमेंटेशन जरूरी
पीएम मोदी ने “एविडेन्स बेस्ड रिसर्च डेटा” की बात की थी। पीएम मोदी ने ऐसा इसलिए कहा था की आयुर्वेद को लेकर वैश्विक सहमति, सहजता और स्वीकार्यता आने में काफी समय लगा, क्योंकि विज्ञान में एविडन्स को ही प्रमाण माना जाता है। दूसरी तरफ हम सभी आयुर्वेद के परिणाम और प्रभाव से परिचित थे लेकिन हमारे पास किसी भी तरह के प्रमाण मौजूद नहीं थे। ऐसे में यह जरूरी है कि हम लोगों को ‘डेटा बेस्ड एविडेंसेस’ का डॉक्यूमेंटेशन करना चाहिए। आयुर्वेद को लेकर हमारे पास जो भी मेडिकल डाटा है या जो भी शोध उपलब्ध हैं अब उनको साथ लाने की आवश्यकता है, आधुनिक विज्ञान ने जो भी पैरामीटर्स तय किए गए है उस पर हमें खरा उतरना होगा। बीते वर्षों में आयुर्वेद को आगे बढ़ाने की दिशा पर कई काम हुए है। आयुष मंत्रालय ने एक आयुष रिसर्च पोर्टल भी तैयार किया है जिसमें करीब 40 हजार रिसर्च स्टडीज़ का डेटा मौजूद है। कोविड संकट के दौरान भारत में आयुष से जुड़ी करीब 150 स्पेसिफिक रिसर्च स्टडीज़ हुईं हैं और अब हम इसे आगे ले जाते हुए ‘National Ayush Research Consortium बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
आयुर्वेद एक दार्शनिक आधार है
आयुर्वेद सिर्फ उपचार की बात नहीं करता बल्कि कल्याण की बात करता है, आज पूरी दुनिया आयुर्वेद की तरफ आकर्षित हो रही है। आज पूरी दुनिया के लिए आयुर्वेद एक आशा और अपेक्षाओं का स्त्रोत बन चुका है। आयुर्वेद एक स्वच्छ विचार पैदा करने के साथ-साथ श्रेष्ठ जीवनशैली के उपयोग में संतुलन को भी प्रोत्साहित करता है। इसके अलावा आयुर्वेद शारीरिक संरचना के अनुरूप शरीर, मन और चेतना में किस तरह से संतुलन बनाए इस पर भी विचार करता है।
आज भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति पूरे विश्व में फैल रही है, आयुष मंत्रालय आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठा रही है जिसको लेकर केंद्र सरकार ने भारतीय प्राचीन चिकित्सा से संबंधित उपचार और दवाओं के लिए कई देशों में कई समझौते भी किए है। आयुष मंत्रालय ने कई प्रशासनिक और नीतिगत उपाय भी किए हैं ताकि पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को पहले से कहीं अधिक मुख्यधारा में लाया जा सके।
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