Wednesday, October 9, 2024
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अयोध्यालाइव : सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बही भक्तिधारा, काशी व तमिलनाडु के कलाकारों ने की भावपूर्ण प्रस्तुतियां

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सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बही भक्तिधारा, काशी व तमिलनाडु के कलाकारों ने की भावपूर्ण प्रस्तुतियां

वाराणसी  : काशी की पुण्यधरा पर काशी तमिल सगंमम का भव्य आयोजन किया जा रहा है और इस आयोजन के सबसे महत्वपूर्ण आकर्षणों में शामिल हैं सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, जिन्हें तमिलनाडु से आए तथा बनारस के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया जा रहा है। बुधवार को हुई सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में भक्तिधारा प्रवाहित हुई।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजा षणमुगम, चेयरमैन, वार्षाव इंटरनेशनल ग्रुप, तथा गैर आधिकारिक सदस्य, बोर्ड ऑफ ट्रेड, भारत सरकार का उत्तर प्रदेश सरकार में आयुष मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. दयाशंकर मिश्र दयालु द्वारा सम्मानित किया गया। राजा षणमुगम ने कहा कि भारत सरकार द्वारा काशी तमिल संगमम का आयोजन दो विविध संस्कृतियों के एकीकरण की अद्भुत पहल है।

इनमें अतुलानंद कान्वेंट स्कूल, वाराणसी, के विद्यार्थियों द्वारा तमिल और काशी की भाषा के समागम से दोनों प्राचीन सांस्कृतिक धरोहरो को लोक गीतों के माध्यम प्रस्तुत किया गया। प्रस्तुति श्रीमती सुनीता के नेतृत्व में की गई। विद्यालय की ही प्रीति यादव तथा शिवानी मिश्रा के निर्देशन में शिव -सती विवाह एवं रौद्र रूप का शानदार नाट्य – नाटक मंचन किया गया।

तमिलनाडु से आए मुत्थूचन्द्रन व कलाइमामणि के निर्देशन मे आयी टीम द्वारा तोल्पावई कूथु की प्रस्तुति दी गयी। यह एक प्रकार की कठपुतली कला है, जो दक्षिण भारत मे प्रदर्शित की जाती है। इसमें चमड़े की कठपुतलियों का उपयोग भद्रकाली को समर्पित एक अनुष्ठान के रूप में किया जाता है और इसके लिए देवी मंदिरों में विशेष रूप से रंगमंच का निर्माण किया जाता है जिन्हें कूथुमदम कहा जाता है।

एस जेवियर जया कुमार के निर्देशन में भक्तिमय लोक गीत, कारागाम, कवाड़ी, कोक्कली नृत्य, ग्राम देवता करुप्पर नृत्य का प्रदर्शन किया गया। तमिलनाडु से आए कलाइमामणि ,प्रिया, मुरली एवं उनके साथियों ने नवधा भक्ति पर भावप्रवण भरतनाट्यम की प्रस्तुति दी।

कार्यक्रम का समापन कलाइमामणि यू. पार्वथी के निर्देशन में कारागाम, मोर, ” बुल डांस”, के प्रदर्शन के साथ हुआ। ऐसी मान्यता है कि तमिलनाडु के तंजावुर से कारागाम नृत्य का उद्भव हुआ है। संतुलन को प्रदर्शित करते कलाकार इस नृत्य में सिर पर जलपात्र को सुंदर रीति से रखते हैं।

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