एमसीए के अनुसार पिछले वित्त वर्ष (2021-22) में देश में रजिस्टर हुईं 1.67 लाख से अधिक कंपनियां
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष (2021-22) में देश में 1.67 लाख से अधिक कंपनियां रजिस्टर की गई हैं जबकि एक साल पहले (2020-21) की अवधि में 1.55 लाख नई कंपनियों को पंजीकृत किया गया था। सोमवार को एक बयान में मंत्रालय ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान पंजीकृत कंपनियों की संख्या किसी भी साल में रजिस्टर हुई कंपनियों की संख्या से ज्यादा थी और ऐसे में यह वृद्धि महत्वपूर्ण हो जाती है।
देश में नई कंपनियों की बढ़ी संख्या
मंत्रालय ने जारी बयान में कहा, ”2021-22 में बनी कंपनियों की संख्या 2020-21 की नई कंपनियों की संख्या की तुलना में 8 प्रतिशत ज्यादा है। वहीं, एमसीए ने वित्त वर्ष 2018-19 में 1.24 लाख कंपनियों का पंजीयन किया था, वित्त वर्ष 2019-20 में 1.22 लाख कंपनियों को पंजीकृत किया था और वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 1.55 लाख कंपनियों को पंजीकृत किया था।”
किस क्षेत्र में कितनी नई कंपनियां आईं?
मंत्रालय ने बताया कि पिछले वित्त वर्ष में सर्वाधिक 44,168 कंपनियों का पंजीकरण व्यावसायिक सेवा क्षेत्र में किया गया जबकि 34,640 का पंजीकरण विनिर्माण क्षेत्र में किया गया। इनके अलावा, 23,416 कंपनियों का पंजीकरण सामुदायिक, व्यक्तिगत एवं सामाजिक सेवा क्षेत्र में और 13,387 कंपनियों का पंजीकरण कृषि एवं संबंधित गतिविधियों के क्षेत्र में किया गया है।
सबसे ज्यादा कंपनियां कहां हुईं पंजीकृत ?
मंत्रालय के अनुसार, सबसे ज्यादा 31,107 पंजीकरण महाराष्ट्र में हुए हैं। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 16,969, दिल्ली में 16,323, कर्नाटक में 13,403 और तमिलनाडु में 11,020 पंजीकरण हुए है।
मंत्रालय की कोशिशें जारी
मंत्रालय ने कहा कि वह कंपनी अधिनियम, 2013 को अन्य कानूनों के साथ लागू कर रहा है। इसके साथ ही, देश में व्यवसाय शुरू करने के मामले में प्रक्रियाओं को कम करने और समय के साथ-साथ लागत बचाने के प्रयासों को लेकर विभिन्न पहल कर रहा है। ऐसे में कंपनियों के रजिस्ट्रेशन की संख्या बढ़ी है।
वहीं विश्लेषकों में नोट किया गया है कि वित्त वर्ष 2021 के लॉकडाउन वर्ष के दौरान नए पंजीकरणों में उछाल महत्वपूर्ण है क्योंकि अत्यधिक लोग जमीन खरीदना या कारखाना स्थापित करने के बजाय अपने स्वयं के उद्यम शुरू करने और घर से काम करना पसंद करते हैं। बदले में यह, नए पंजीकरणों में सेवाओं के उच्च हिस्से में परिलक्षित होता है, जिसमें व्यापार सेवाओं का लगभग 40% हिस्सा होता है।
कंपनी अधिनियम, 2013
संसद द्वारा पारित कंपनी अधिनियम, 2013 को भारत के राष्ट्रपति ने 29.08.2013 को अपनी स्वीकृति प्रदान की। यह अधिनियम कंपनियों से संबंधित कानून को मजबूत और संशोधित करता है। कंपनी अधिनियम, 2013 को राजपत्र में 30.08.2013 को अधिसूचित किया गया है। अधिनियम के कुछ प्रावधान 12.09.2013 को प्रकाशित अधिसूचना द्वारा कार्यान्वित किए गए हैं। कंपनी अधिनियम, 1956 के प्रावधान भी अभी लागू हैं।
सरकार के पास कंपनियों के रजिस्ट्रेशन का प्रोसेस क्या है ?
कंपनियां, कम्पनी अधिनियम (सीए) 2013 के तहत निधि के रूप में घोषणा के लिए केंद्र सरकार को आवेदन भेजती हैं। वहीं कंपनी अधिनियम, 2013 (सीए, 2013) और निधि नियम, 2014 (संशोधित) की धारा 406 के तहत कई कंपनियों को निगमित करके किसी निधि कंपनी के रूप में घोषित करने के लिए आवेदन प्रपत्र एनडीएच -4 माध्यम से केंद्र सरकार के समक्ष आवेदन करने की आवश्यकता होती है। यदि कंपनी केंद्र सरकार के पास अपनी कमाई का रिकॉर्ड घोषित करने के लिए आवेदन नहीं करती है तो यह कम्पनी अधिनियम (सीए) 2013 और निधि नियम, 2014 का उल्लंघन है।
ब्लैक मनी को रोकने में कैसे है सहायक ?
दरअसल, इस कानून के तहत कंपनियों को अपनी कमाई का लेखा-जोखा सरकार को देना पड़ता है, ऐसे में यदि कोई निधि कंपनी अपनी कमाई का लेखा-जोखा सरकार को नहीं देती है तो वह कमाई ब्लैक मनी के रूप में काउंट की जाती है, क्योंकि ऐसे में कंपनी की मंशा यही समझी जाती है कि वह अपनी कमाई का सही ब्यौरा न देकर ब्लैक मनी यानि काली कमाई करना चाहती है। इससे देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचता है और विकास भी रुक जाता है।
देश के विकास में कैसे फायदेमंद ?
यदि कंपनियां सरकार द्वारा तय किए गए कंपनी अधिनियम (सीए) 2013 के तहत अपना रजिस्ट्रेशन कराती हैं तो इससे कंपनियों को अपनी आमदनी पर सरकार द्वारा तय किया गया टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। इससे सरकार की कमाई होती है जो देश के विकास पर खर्च की जाती है। ऐसे में देश में मौजूद तमाम कंपनियों का रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य है। वहीं दूसरी और इससे कंपनियों को नुकसान नहीं बल्कि फायदा होगा।
टर्नओवर बढ़ेगा
कंपनियों के पंजीकरण से एक फायदा यह भी होगा कि कंपनियों का टर्नओवर बढ़ेगा। लाभ की दृष्टि से देखें तो यह कंपनियों के लिए ही लाभकारी होगा। यदि कंपनियां टैक्स का भुगतान करेंगी तो इससे कंपनियों की ब्लैक मनी तो व्हाइट होगी ही साथ ही साथ कंपनियों को निवेश के अन्य मौके भी प्राप्त होंगे। इससे रोजगार का सृजन भी होगा और देश की तरक्की भी होगी।
देश में बड़ी कंपनियां होंगी स्थापित
देश में छोटी कंपनियों की परिभाषा में संशोधन किया गया है जिसने लगभग 2 लाख कंपनियों पर अनुपालन बोझ कम कर दिया है। इससे इन कंपनियों को विस्तार में मदद मिलेगी। कंपनियों के पंजीकरण में ऐसे रिलैक्सेशन मिलने से प्रोत्साहन भी मिलता है और यह विस्तार आगे चलकर काफी फायदेमंद भी साबित होता है। छोटी कंपनियों का आकार जब बड़ा होता है तो उसके कर्मचारियों में भी विश्वास पैदा होता है और वे कंपनी की ग्रोथ को लेकर और अधिक गंभीर होकर कार्य करते हैं।
निवेश के खुलेंगे रास्ते
वहीं हितधारकों भी ऐसी कंपनियों का सदस्य बनने तथा ऐसी कंपनियों में अपनी गाढ़ी कमाई जमा करने/ निवेश करने को तैयार हो जाते हैं जिन कंपनी के लेखा-जोखा सरकार के पास होता है यानि जो कंपनियां सरकार के पास रजिस्टर्ड होती है। अत: निवेशकों में भरोसा पैदा करने के लिए कंपनियों का रजिस्ट्रेशन होना भी बेहद जरूरी समझा जाता है।
आय और करों की प्रस्तुति में सटीकता होगी सुनिश्चित
इसके अलावा कंपनी के पंजीकरण से बैंकों, स्टॉक एक्सचेंजों, म्युचुअल फंडों, ईपीएफओ, राज्य पंजीकरण विभागों इत्यादि से संबंधित स्रोतों से उनकी आय के बारे में आसानी से जानकारी जुटाई जा सकेगी। इससे न केवल आयकर विवरणी भरने में लगने वाले समय में कमी आएगी, बल्कि आय और करों की प्रस्तुति में सटीकता भी सुनिश्चित होगी।
उल्लेखनीय है कि सरकार के निरंतर प्रयासों और उपायों के परिणामस्वरूप ‘डूइंग बिजनेस रिपोर्ट’ में आज भारत अपनी रैंकिंग में लगातार बेहतर करते हुए आगे बढ़ रहा है। वर्ष 2014 में भारत 142वें पायदान पर था जो 2019 में 63वें पायदान पर पहुंच गया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारत में किस प्रकार अपनी नीतियों के चलते तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है।